BIG NEWS: कई योजनाओं ने नियमों के विपरीत कार्य, भ्रस्टाचार के संबंध में हुई शिकायत, लोकायुक्त SP के निर्देश, और टीम की जांच, फिर हुआ बड़ा खुलासा, अब इनके खिलाफ FIR...! मामला- मंदसौर जिले का, पढ़े खबर

कई योजनाओं ने नियमों के विपरीत कार्य, भ्रस्टाचार के संबंध में हुई शिकायत, लोकायुक्त SP के निर्देश, और टीम की जांच, फिर हुआ बड़ा खुलासा, अब इनके खिलाफ FIR...! मामला- मंदसौर जिले का, पढ़े खबर

BIG NEWS: कई योजनाओं ने नियमों के विपरीत कार्य, भ्रस्टाचार के संबंध में हुई शिकायत, लोकायुक्त SP के निर्देश, और टीम की जांच, फिर हुआ बड़ा खुलासा, अब इनके खिलाफ FIR...! मामला- मंदसौर जिले का, पढ़े खबर

मंदसौर। शिकायतकर्ता मुकेश पाटीदार निवासी दलौदा द्वारा लोकायुक्त उज्जैन में शिकायती आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था, जिसमें उद्यानिकी विभाग मंदसौर में पदस्थ मनीष चौहान, उप संचालक उद्यानिकी एवं अन्य के द्वारा जिले में संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, यंत्रीकरण योजना तथा संरक्षित खेती योजना में नियमों के विपरीत कार्य कर भ्रष्टाचार करने के संबंध में शिकायत लेख की गयी। फिर पुलिस अधीक्षक विपुस्था अनिल विश्वकर्मा के निर्देशन में उक्त शिकायत के संबंध में विस्तृत जांच कराई गयी।

जांच के दौरान पाया गया कि, विभाग में संचालित योजनायें तथा राज्य योजनायें, एकीकृत बागवानी मिशन योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय औषधी निशन का क्रियान्वयन किया जाना था। जिनमें कई अनियमितताएं पाई गई। दस्तावेजों से पाया गया कि, मंदसौर जिले को तुलनात्मक दृष्टि से उपरोक्त योजनाओं के लिए अत्यधिक राशि स्वीकृत की गयी। वित्तीय वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में मंदसौर जिले को कुल 308.4 लाख रूपये स्वीकृत किये गये, तथा वर्ष 2018-19 में बागवानी यंत्रीकरण के लिए 235.72 लाख का बजट उपलब्ध कराया गया। 

उप संचालक मनीष चौहान को मंदसौर जिले में दिनांक 12.07.2017 को पदस्थ किया गया, तथा राज्य पोषित योजना अंतर्गत घटक यंत्रीकरण में वर्ष 2017-18 में मंदसौर जिले को 14.05 लाख रूपये तथा 2018-19 में 22.76 लाख रूपये बजट आवंटित किया। केन्द्र पोषित योजना में उप संचालक मंदसौर द्वारा राज्य शासन के नियमों की अवहेलना करते हुए यंत्र प्रदाता कंपनियों से षड़यंत्र कर अनुदान की राशि को सीधे यंत्र प्रदाता कंपनी के बैंक खाते में अंतरित किया। हितग्राहियों का चयन भी मनमाने तरीके से किया गया, तथा एक ही परिवार के एक से अधिक सदस्यों को यंत्र प्रदाय किये गये यंत्रों का क्रय एमपी स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवल्पमेंट कॉ. लि. एवं प्रतिष्ठित निर्माता कंपनियों से नहीं किया। 

संचालक, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी भोपाल के आदेश दिनांक 24.11.2016 के अंतर्गत स्पष्ट था कि, एकीकृत बागवानी मिशन योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय औषधी मिशन का क्रियान्वयन डी.बी.टी. के माध्यम से करने के निर्देश थे, जो नहीं किया गया। इसके साथ ही कार्य का भौतिक सत्यापन भी नहीं कराया गया। तत्काल संचालक उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी भोपाल ने दिनांक 12.01.2017 के आदेश से राज्य शासन के अनुमोदन के बिना कृषक अंश का भुगतान आर. टी.जी.एस./एन.ई.एफ.टी./ बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से संबंधित कंपनी/फर्म के खाते में भुगतान की अनुमति प्रदान कर दी। जबकि केन्द्र प्रवर्तित योजना में कोई भी संशोधन राज्य सरकार ही करने को अधिकृत हैं। 

यंत्र प्रदाता कंपनियों के मैनेजर/ संचालकों ने अपने कथनों में स्वीकार किया कि निर्धारित यंत्र की कीमत का 50 प्रतिशत किसानों से नगद प्राप्त किया गया तथा उसकी रसीद भी किसानों को दी गयी, जो नियम विरुद्ध कार्यवाही को दर्शाता हैं। इसके साथ ही किसानों को निर्धारित यंत्र पॉवर ट्रिलर की बिक्री न करते हुए रोटरी ट्रिलर की बिक्री की गयी, जो पावर ट्रिलर से काफी कम कीमत की होती हैं। पॉवर ट्रिलर की न्यूनतम कीमत लगभग 1.5 लाख रूपये होती है, वहीं रोटरी ट्रिलर की कीमत लगभग 60,000 रूपये होती हैं। इस संबंध में बागवानी मिशन के संचालन संबंधी दिशा-निर्देशों (अप्रैल 2014) का पालन भी नहीं किया गया। 

उद्यानिकी विभाग मंदसौर के अधिकारियों द्वारा नियम विरूद्ध तरीके से जिला स्तरीय तकनीकी समिति से भौतिक सत्यापन कराने के बजाय विकासखण्ड स्तर पर पदस्थ ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी स्तर के अधिकारियों से ही भौतिक सत्यापन कराया गया यंत्र प्रदाता कंपनियों द्वारा किसानों को यंत्र वितरण करते समय अतिरिक्त राशि भी वसूल की गयी तथा योजना की मंशा के विपरीत यंत्र प्रदाता कंपनियों ने ही हितग्राहियों का चयन स्वयं कर लिया एवं उनसे नगद राशि लेकर शेष अनुदान राशि के बिल उद्यानिकी विभाग में लगाकर अनुदान राशि स्वयं की फर्म के खातों में प्राप्त कर ली।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत अनार के पौधों एवं ड्रिप इरीगेशन सिस्टम के भुगतान में भी अनियमितताएं पायी गयी हैं। इन योजनाओं का पैसा भी डी.बी.टी. के माध्यम से हितग्राही कृषकों के बैंक खातों में भेजना था जो नहीं करते हुए सीधे पौधा वितरण कंपनी एवं ड्रिप इरीगेशन संयंत्र कंपनी को भुगतान कर दिया गया। 

योजनांतर्गत प्रदान किये गये अनार के सभी पौधे वर्ष 2017-18 में गर्मी पड़ने से सूख गये तथा किसानों को कोई सहायता राशि प्राप्त नहीं हुई। उद्यानिकी विभाग द्वारा प्रथम आओ प्रथम पाओ की नीति का भी पालन नहीं किया तथा यंत्र प्रदाता कंपनी द्वारा किसानों से सीधे भुगतान प्राप्त किया गया। योजना की शर्तों में द्वितीय वर्ष में 80 प्रतिशत एवं तृतीय वर्ष में 90 प्रतिशत पौधे जीवित होने पर ही अनुदान राशि का भुगतान करना था परंतु राशि पौधा वितरीत करने के बाद ही कंपनियों को प्रदान कर दी गयी।

संरक्षित खेती योजना अंतर्गत पॉली हाउस/शेडनेट हाउस/बॉक इन टनल से संबंधित योजना के दिशा निर्देशों का पालन भी नहीं हुआ है, तथा हितग्राहियों के खातों में अनुदान राशि का भुगतान न करते हुए किसान एग्रोटेक एवं अन्य कंपनियों के खातों में भुगतान किया गया हैं। इसमें की गयी अनियमितता की जांच भी अपराध विवेचना के दौरान की जायेगी।

उद्यानिकी विभाग जिला मंदसौर के अधिकारियों एवं कृषि यंत्र प्रदाता कंपनियों तथा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत अनार पौधा तथा ड्रिप इरीगेशन कंपनियों द्वारा आपसी षड़यन्त्र कर उद्यानिकी विभाग मंदसौर में संचालित एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के क्रियान्वयन में नियम विरूद्ध तरीके से अमानक स्तर के कृषि यंत्रों की कथित खरीदी तथा यंत्र प्रदाता कंपनियों एवं अनार पौधा एवं ड्रिप इरीगेशन वितरण कंपनियों को नियम विरूद्ध तरीके से कृषक अनुदान राशि का भुगतान कर शासन को आर्थिक हानि कारित किया जाना प्रथम दृष्टया प्रमाणित पाये गए। 

जिस पर सत्यानंद, तत्कालीन संचालक, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, मनीष चौहान, उप संचालक, उद्यानिकी विभाग मंदसौर, राजेश जाटव, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी एवं सह प्रभारी वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी विकासखण्ड मल्हारगढ, पप्पूलाल पाटीदार, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, श्री बनवारी वर्मा, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, विकासखण्ड, सीतामऊ, राजेश मईड़ा, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी एवं वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी विकासखण्ड गरोठ, सत्यम मण्डलोई, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी एवं वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी विकासखण्ड भानपुरा, सुरेशसिंह धाकड़, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी एवं वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी मंदसौर, दिनेश पाटीदार, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी शामिल है। 

वहीं प्रोप्राइटर- सुरेश मणिभाई पटेल, फर्म- गणेश ट्रेडिंग कंपनी, जबलपुर, निवासी- ग्राम आमोद, तहसील पिटलाद, जिला आनंद गुजरात, प्रोप्राइटर प्रवीण भाई मूलजी, फर्म- छत्तीसगढ़ इंटरप्राईजेस निहार अस्पताल के सामने, धग्धा रोड़, जेवरा सिरसा, जिला दुर्ग, छत्तीसगढ, निवासी- कातुलबोर्ड वार्ड नं. 59, मकान नंबर 16 / 90 हरिनगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़, प्रोप्राइटर- मितुलभाई पिता प्रवीणभाई पटेल, फर्म- जे.एम. इंटरप्राईजेस, हरिनगर दुर्ग, छत्तीसगढ़, मिहिर पण्ड्या, डायरेक्टर, एबीसी एग्रोबॉयोटेक कंपनी, प्रा. लि., ब्लॉक नंबर 347744 सरदार नगर इंडस्ट्रियल कॉपरेटिव सोसायटी स्टेट, ग्राम छापरा, जिला खेड़ा, गुजरात, मंगलन शिवदासन, डायरेक्टर, एवीसी एग्रोबॉयोटेक कंपनी प्रा.लि. ब्लॉक नंबर 347744 सरदार नगर "इंडस्ट्रियल कॉपरेटिव सोसायटी स्टेट, ग्राम छापरा, जिला खेड़ा, गुजरात, शिवसिंह मेहता, मैनेजिंग डायरेक्टर, मेसर्स कृति इंडस्ट्रीज (इंडिया) लिमिटेड़, प्लॉट नंबर 75-86 सेक्टर सेकेण्ड पीथमपुर धार (म.प्र.) एवं अन्य के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,  13 (1) ए. 13 (1) बी सहपठित धारा-13 (2) तथा भादंवि की धारा 409, 420, 120 बी के अंतर्गत लोकायुक्त संगठन, भोपाल में अपराध क्रं 214 / 2022 पंजीबद्ध किया गया है।