NEWS: जीरन में नानी बाई मायरा की शुरुवात, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, चंद्रदेव महाराज बोले- संकट में चिंता करने से समस्या का हल नहीं होता, पढ़े खबर

जीरन में नानी बाई मायरा की शुरुवात, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, चंद्रदेव महाराज बोले- संकट में चिंता करने से समस्या का हल नहीं होता, पढ़े खबर

NEWS: जीरन में नानी बाई मायरा की शुरुवात, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, चंद्रदेव महाराज बोले- संकट में चिंता करने से समस्या का हल नहीं होता, पढ़े खबर

जीरन। भक्त नरसी की भगवान कृष्ण की भक्ति पर आधारित कथा है नानी बाई रो मायरो कथा के पांच दिवसीय आयोजन की शुरुआत बुधवार को शोभायात्रा के साथ हुई। कथावाचक चन्द्रदेव महाराज के मुखारविंद से धर्मप्रेमी जनता कथा का श्रवण करेगी। पहले दिन उन्होंने भगवान की भक्ति की महिमा का बखान किया। शोभायात्रा में नगर की महिलाएं, पुरुष एवं अन्य धर्मप्रेमी शामिल हुए। यात्रा बालाजी मंदिर से प्रारंभ होकर कथा स्थल हरवार रोड स्थित तालाब किनारे गार्डन में पहुंची। बैंडबाजों के साथ कथावाचक चन्द्रदेव महाराज उपस्थित थे। 

कथावाचक चन्द्रदेव महाराज ने कथा का शुभारंभ करते हुए पहले दिन नरसी की जन्म कथा एवं कृष्ण भक्ति के प्रसंग बताए। उन्होंने कहा कि नरसी मेहता की भक्ति से प्रसन्ना होकर स्वयं भगवान कृष्ण को नरसी की बेटी नानी बाई का मायरा भरने के लिए आना पड़ा। प्रभु की लीला अपरंपार है। भक्त और भगवान का रिश्ता बहुत गहरा होता है। प्रथम दिवस की कथा में नरसिंह के पूर्व जन्म की कथा, नरसिंह के बाल्यकाल का वृतांत, भगवान के अनन्य भक्त नाभादास जो की ब्रह्मजी के अंशावतार थे की कथा का वर्णन भी किया। 

नरसिंह ने भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्ति प्राप्त करने के लिए 14 करोड़ का त्याग किया। भक्ति के तेज में रास में भगवान शिव पार्वती के साथ राधा कृष्ण युगल सरकार के दिव्यरास का दर्शन कर केदार राग प्राप्त किया। संगीतमय कथा के दौरान भजन-कीर्तन पर श्रद्धालु झूमने लगे। महाराज ने भक्ति का महत्व बताते हुए प्रसंग सुनाए। उन्होंने सफलता का मंत्र बताते हुए कहा कि व्यक्ति में विश्वास एवं धैर्य होना चाहिए। 

संकट में चिंता करने से समस्या का हल नहीं होता, बल्कि उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए। महाराज ने सुखी जीवन जीने का रहस्य बताया। उन्होंने कहा कि भगवान भजन करने वाले भक्त के वश में रहते हैं। कथा में नरसीजी के जन्म चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि नरसीजी शिव भक्ति में लगे रहे और शंकर भगवान ने वृंदावन में जाकर कृष्ण भगवान से मुलाकात करवाई। पांच दिवसीय नानी बाई रो मायरो कथा का आयोजन प्रतिदिन सुबह 11 बजे दोपहर 3 बजे तक होगा।