NAVRATRI 2022 : नवरात्रि में सजेगा मां का दरबार, आज इस मुहूर्त में कलश स्थापना, जानें पूजा विधि, क्या करें और क्या नहीं...! पढ़े इस खबर में

नवरात्रि में सजेगा मां का दरबार, आज इस मुहूर्त में कलश स्थापना, जानें पूजा विधि, क्या करें और क्या नहीं...! पढ़े इस खबर में

NAVRATRI 2022 : नवरात्रि में सजेगा मां का दरबार, आज इस मुहूर्त में कलश स्थापना, जानें पूजा विधि, क्या करें और क्या नहीं...! पढ़े इस खबर में

डेस्क। नौ दिवसीय नवरात्रि पर्व की शुरुआत आज से हो रही है। ये नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, और मां अम्बे की मूर्ति को चौकी पर स्थापित किया जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। जिसके बाद पांच अक्टूबर विजयदशमी पर समाप्त होगा। नवरात्रि में प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी। मंदिरों में आकर्षक रूप से पुष्प सज्जा तथा विद्युत सज्जा किया जाएगा। सुबह शाम माता की आरती के बाद प्रसाद वितरण किया जाएगा। 

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- 

सोमवार को देवी आराधना की पूजा और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह छह बजकर 11 मिनट से शुरू होकर सुबह सात बजकर 51 मिनट तक ही रहेगा। वहीं अगर आप इस मुहूर्त में किसी कारण से कलश स्थापना न कर पाएं, तो दूसरा शुभ मुहूर्त अभिजीत होगा, जो सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। 

मां के ऋंगार के लिए ये चीजें- 

नवरात्रि के पहले दिन मां का ऋंगार किया जाता है। उन्हें ऋंगार की सभी चीजें अर्पित की जाती हैं। इस दिन मां के ऋंगार के लिए एक लाल रंग की चुनरी, सिंदूर, इत्र, बिंदी, लाल चूड़ियां, मेहंदी, काजल, लिपस्टिक, कंघा, नेल पेंट आदि सामान पहले से ही एकत्रित कर लें।  

पूजन के लिए लें आएं ये सामग्री- 

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इस दिन पूजा की काफी सामग्री की जरूरत होती है। पूजा के लिए पहले से ही तैयारी कर लें। इसमें कलश, मौली, आम के पत्ते (5-7), कलश में डाने के लिए रोली, कुमकुम, गंगाजल, सिक्का, गेहूं या अक्षत, जौ, जौ बोने के लिए मिट्टी का एक बड़ा बर्तन, मिट्टी, कलावा आदि सामान की जरूरत पड़ती है। वहीं, हवन के लिए लकड़ियां, हवन कुंड, काले तिल, कुमकुम, अखंड अक्षत, धूप, प्रसाद के लिए पंचमेवा, लोबान, घी, लौंग, गुग्गल, कपूर, सुपारी और हवन के अंत में चढ़ाने के लिए भोग।  

नवरात्रि के पहले दिन इस विधि से करें पूजा- 

नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा के स्थान को गंगाजल से साफ करें। घर के मंदिर में दीप जलाएं, इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें। फिर मां की प्रतिमा को स्थापित करें। मां को अक्षत, सिंदूर, लाल रंग के पुष्प, फल और मिठाई अर्पित करें, धूप जलाएं और पूजा आरंभ करें। इस दौरान कुश के आसन का इस्तेमाल करें। अगर कुश का आसन मिलना संभव न हो तो ऊन से बने आसन या कंबल का इस्तेमाल भी क्या जा सकता है।   

क्या करें और क्या न करें...? 

नवरात्रि में क्या करें...?

1. नवरात्रि के प्रथम दिन यानि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि अपने पूजा स्थान और घर की साफ सफाई अच्छे से करनी चाहिए। 

2. पहले दिन कलश स्थापना करके मां दुर्गा की स्थापना करनी चाहिए और पूरे नौ दिनों तक उनका विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। 

3. नवरात्रि में आप दोनों समय यानि सुबह और शाम में पूजन नहीं कर सकते हैं तो सुबह और संध्या की आरती अवश्य ही करें। 

4. नवरात्रि में आपको दुर्गा चालीसा, दुर्गासप्तशती और देवीभागवत पुराण का पाठ करना चाहिए. देवी भागवत पुराण मेें मां दुर्गा की महिमा का वर्णन विस्तार से किया गया है। 

5. दुर्गा पूजा में सप्तशती का पाठ करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं क्योंकि उसमें दिए गए सिद्ध मंत्र काफी फलदायी माने जाते हैं। 

6. जो लोग व्रत रखते हैं, उनको चारपाई पर सोना वर्जित होता है. या तो आप जमीन पर सोएं या फिर तखत पर। 

7. नवरात्रि के समय में व्रत रखने वाले फलाहार करते हैं. सात्विक भोजन के साथ ही मन, कर्म और वचन की शुद्धता भी आवश्यक है। 

8. जो लोग नौ दिनों तक व्रत नहीं कर सकते हैं, वे पहले दिन और दुर्गा अष्टमी के दिन व्रत रखें। 

9. जो स्वास्थ्य कारणों से व्रत नहीं रख सकते हैं. वे सात्विक भोजन और ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करते हुए मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं. पूजा में व्रत की बाध्यता नहीं है। 

नवरात्रि में क्या न करें...?

1. सबसे पहले मांसाहार और तामसिक भोजन का त्याग कर दें. लहसुन प्याज का सेवन बंदर कर दें। 

2. नवरात्रि के समय में पान, गुटखा, तांबाकू, शराब आदि का सेवन न करें। 

3. दुर्गा पूजा के दिनों में महिला के साथ संबंध न बनाएं. ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें। 

5. किसी के विषय में गलत न सोचें, ना ही कोई ऐसा कार्य करें, जो स्वयं को अच्छा न लगे। 

6. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नवरात्रि शक्ति की देवी की पूजा का अवसर है. आप अपने किसी भी व्यवहार से किसी महिला को दुखी न करें. उसे अपमानित न करें. महिलाओं का सम्मान करें।