OMG ! सावधान, किराए पर बैंक खाते, ग्रामीणों को देते लालच, ऐसे जारी करते फर्जी सिम कार्ड, फिर काले कारनामों को देते अंजाम, बड़ा खेल हुआ उजागर, पढ़े खबर
सावधान, किराए पर बैंक खाते
डेस्क। राजधानी भोपाल में टेलीकॉम कंपनी के फील्ड इंजीनियर प्रमोद कुमार को डिजिटल अरेस्ट करने के मामले में पुलिस ने एक आरोपी धीरेंद्र कुमार विश्वकर्मा को गिरफ्तार किया। साइबर पुलिस ने उसे उत्तर प्रदेश के महोबा से दबोचा। वह जालसाजी करने वाले गिरोह को फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराता था। फर्जी सिम कानपुर के दुर्गेश सिंह को बेचता था। यहां से ये सिम डिजिटल अरेस्ट करने वाले गिरोह तक पहुंच जाते थे। दुर्गेश अभी फरार है। उस पर 10 हजार का इनाम है।
पुलिस ने धीरेंद्र से 1 मोबाइल व 3 सिम कार्ड जब्त किए हैं। धीरेंद मोबाइल सिम कंपनी का एजेंट है। वह ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को फ्री में सिमकार्ड देने का झांसा देता था। लोग जैसे ही पहचान के लिए बायोमैट्रिक प्रक्रिया पूरी करते थे। वह झूठ बोलकर दो बार बायोमैट्रिक प्रक्रिया करा लेता था। फिर ग्रामीणों के नाम से दूसरा सिम कार्ड जारी करा लेता था। पूछताछ में उसने बताया, अब तक 150 से ज्यादा सिम गिरोह को दे चुका है।
ऐसे हुआ गिरफ्तार-
डिजिटल अरेस्ट की जांच में पुलिस को सिम की लोकेशन महोबा और कानपुर की मिली। सिम कार्ड महोबा के विकास साहू के नाम पर थी। विकास से पूछताछ में पता चला, धीरेंद्र ने कुछ दिन पहले उसे एक सिम दी और दो बार प्रोसेस कराया था। इसके बाद पुलिस ने धीरेंद्र को दबोच लिया।
बैंक खाते भी चलते हैं किराए पर-
साइबर ठगी के लिए किराए पर बैंक खाते लेने का मामला जरूर अजीब लगेगा। लेकिन साइबर ठग मोबाइल सिम ही नहीं पुलिस से बचने के लिए ठगी की रकम जमा कराने और उसे निकालने के लिए किराए के बैंक खाते का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसी कई गैंग सक्रिय है जो नौकरी पर तो किसी को मोटी रकम देकर बैंक खाते किराए पर ले रहे थे। ठग एक खाते के लिए 5-8 लाख रुपए तक दे देते हैं।
मध्य प्रदेश की ग्वालियर पुलिस ने चार माह पहले एक महिला को पकड़ा था। वह गरीब लोगों के दस्तावेज से सिम जारी करवाकर उनक नाम से बैंक खाते खुलवा देती थी। बदले में कुछ रकम भी देती थी। फिर इन खातों को ठगों को 2-2 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से किराए पर देती थी। पुलिस ने उसके घर से 16 बैंक पासबुक भी बरामद की और कई खाते फ्रीज कराए।