BIG NEWS : नियम विरुद्ध खुले वाहनों से मृत जानवरों की ढुलाई, सम्मानजनक नहीं मिलती विदाई, खुली जीप में लटकती है गौमाता की गर्दन, रस्सी बांधकर भी रगड़ते, कौन कर रहा स्वास्थ्य से समझौता, और किसने क्या कहां, पढ़े खबर

नियम विरुद्ध खुले वाहनों से मृत जानवरों की ढुलाई

BIG NEWS : नियम विरुद्ध खुले वाहनों से मृत जानवरों की ढुलाई, सम्मानजनक नहीं मिलती विदाई, खुली जीप में लटकती है गौमाता की गर्दन, रस्सी बांधकर भी रगड़ते, कौन कर रहा स्वास्थ्य से समझौता, और किसने क्या कहां, पढ़े खबर

नीमच। शहर के वार्डो में मृत होने वाले मवेशियों गाय को खुले वाहनों में परिवहन कर ले जाया जा रहा है। प्रतिदिन कई मृत जानवरों को नपा के खुले वाहन से परिवहन करते देखा जा सकता है। इससे वातावरण तो प्रदूषित होता ही है, साथ ही इस लापरवाही का खामियाजा आमजनता को स्वास्थ्य के साथ समझौता कर चुकाना पड़ रहा है। वहीं 36 करोड़ देवी देवता के वास समझे जाने वाली गौ माता की सम्मानजनक अंतिम विदाई भी नहीं दी जाती है।

यह दृश्य जब शनिवार सुबह इस प्रतिनिधि ने देखा व कैमरे में कैद किया तो खासबात यह नजर आई कि ऐसा कर नगर पालिका नीमच सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की नाफरमानी कर रही है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत भी यह अपराध की श्रेणी में आता है। बावजूद इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। खुले वाहनों में मृत जानकारों का परिवहन करने के दौरान सढ़ चुके इन मृत गायों की बेजा दुर्गंध आती है। जिसका सामना शहरवासियों सहित राहगीर व चालकों को भी करना पड़ता है। कई बार नपा के वाहन गुजरने के बाद लोगों को उल्टियां या जी मचलाने जैसी शिकायत भी होती है। नपा के इस खुले वाहन से वातावरण पूरी तरह से दुर्गंध फैल जाती है।

स्थानीय के मुताबिक नपा की गाड़ी मृत मवेशी को रखकर अन्य मृत जानवरों को उठाने शहर का चक्कर लगाते हैं। ऐसे में जहां जहां से वाहन गुजरता है वहां खड़े रहना भी शहरवासियों का मुश्किल हो जाता है। खुले वाहन से मृत जानवरों के परिवहन मामले में कुछ जागरुक लोगों ने शिकायत भी की है। जिसमें उन्होंने बताया कि नपा के इस कृत्य से घातक बीमारी व महामारी फैलने की आशंका भी बन रही है। आमजन इस मामले में कुछ देर की समस्या है सोचकर खामोश रह जाते हैं। जबकि नियमानुसार मृत मवेशियों का परिवहन बंद वाहनों में किया जाना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत मानव स्वास्थ्य, जीव-जंतुओं और यहां तक कि पर्यावरण तथा जमीन के लिए भी घातक साबित होने वाले मृत मवेशी व अपशिष्ट पदार्थो का निपटान रिहायसी क्षेत्र से 10 किमी. दूर करने का प्रावधान है। यहीं नहीं कचरा व मृत जानवरों के परिवहन के लिए लीकप्रुफ वाहनों का इस्तेमाल होना चाहिए, लेकिन इसके विरुद्ध नपा खुले वाहनों में मृत जानवरों का परिहवन कर रहा है। सूचना तो यह भी मिली है कि चिताखेड़ा के पास रामनगर के मगरे में उन्हें खुली भूमि पर शव को छोड़ आते है। सीएमओ ने इस बात से इंकार कर जेसीबी से खड्डा खोद गाड़ने की बात कही।

सड़क पर घूमने वाले अब होंगे निराश्रित मवेशी- 

अभी हाल ही में पूर्व विधायक मंदसौर यशपालसिंह सिसोदिया की पहल पर राज्य सरकार ने सड़क पर घूमने वाले पशु अब 'आवारा' नहीं कहे जाएंगे उनका नामकरण कर निराश्रित मवेशी शब्द का इस्तेमाल करने का आदेश पारित करवा दिया है

इनका कहना- 

गौ नन्दी सेवा धाम से जुड़े गौ सेवक नितेश अहीर ने इस प्रतिनिधि को बताया कि खुले वाहन में मृत पशुओं को ले जाने की शिकायत हमारे द्वारा कई मर्तबा संबंधित को की गई है। साथ ही गाय के सींग पर रस्सी बांधकर खींचते है जिससे वो रगड़ाती है अंतिम विदाई तो व्यवस्थित दी जावे। उन्हें उठाने के लिए लिफ्ट सिस्टम होना चाहिए।

नगर पालिका परिषद नीमच के सीएमओ एम.के वशिष्ट ने कहा कि खुली जीप में मृत पशुओं को ले जाने वाले वाहन को शीघ्र ही ढकवाने की व्यवस्था करेंगे। पशु का वजन भारी होने के कारण सींग से खींचते है, लिफ्ट की जानकारी का पता कर परिषद के माध्यम से खरीदेंगे। मृत पशुओं को दस किलो मीटर दूर चिन्हित जगह पर जेसीबी के माध्यम से गड्ढा खोदकर गाड़ा जाता है।

एडवोकेट महेश पाटीदार ने इस प्रतिनिधि को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के विरुद्ध अपशिष्ट पदार्थो का निपटान करने वाले व्यक्ति या संस्था पर जुर्माने की कार्रवाई हो सकती है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत 5 वर्ष के कारावास एवं एक लाख रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान है। यदि इसके बावजूद भी प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया जाता है तो यह सजा सात वर्ष तक की भी हो सकती है।