NEWS : शासकीय महाविद्यालय जीरन में हिंदी सप्ताह के तहत विभिन्न कार्यक्रम संपन्न, प्रतियोगिताओं में इन्होंने मारी बाजी, पढ़े खबर
शासकीय महाविद्यालय जीरन में हिंदी सप्ताह के तहत विभिन्न कार्यक्रम संपन्न
रिपोर्ट- राजेश प्रपन्न
जीरन। विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन तथा भारतीय ज्ञान परंपरा के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न कार्यक्रम हुए, प्रभारी प्राचार्य प्रो. दिव्या खरारे के निर्देशन में आज हिंदी सप्ताह का समापन कार्यक्रम संपन्न किया। कार्यक्रम प्रभारी डॉ रामधन मीणा हिंदी प्राध्यापक एवं विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन की मेंटर डॉ. सोनम गोटा ने अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। आज हिंदी दिवस के उपलक्ष में सर्वप्रथम हिंदी भाषा के इतिहास एवं संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए डॉ. मीणा ने बताया कि 'कोस कोस पर बदले पानी, तीन कोस पर वाणी' सूक्ति हमारे भारतवर्ष में चरितार्थ होती है।
आप सब जानते हैं कि मनुष्य आवश्यकता से सामाजिक प्राणी है और समाज में रहकर वह है अपने विचारों का आदान-प्रदान दूसरों तक पहुंचाना चाहता है, साथ ही दूसरों के विभिन्न विचारों को स्वयं भी समझना चाहता है इसलिए भाषा मनुष्य के पास एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से वह समाज के अन्य लोगों भावो एवं विचारों का आदान-प्रदान करता है। इसी के साथ-साथ उन्होंने कहा कि हमारा भारत वर्ष भाषाई विविधताओ वाला देश है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कहा भी है की "निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।
हमारा देश विभिन्न विदेशी हुकूमत के आधिपत्य में रहा है बशर्ते उन विदेशी आक्रांताओं ने हमारे देश के शासन प्रशासन को चलाने के लिए अपनी भाषाओं को तवज्जो देकर उनको हमारे ऊपर थोप दिया और हमारे भारतीय जनमानस पर राज करते रहे लेकिन जब 15 अगस्त 1947 को हम विदेशी बेड़ियों से आजाद हुए तो हमारे नीति नियंताओं को भारत का शासन प्रशासन चलाने के लिए एक भारतीय भाषा की जरूरत महसूस हुई। बड़े विचार मंथन के बाद हमारे संविधान निर्मात्री सभा द्वारा अंततोगत्वा आज ही के दिन 14 सितंबर 1949 को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अधिनियमित किया। साथ ही उन्होंने प्रावधान किया कि अगले 15 वर्षों तक अंग्रेजी को भी साथ रखा जाएगा।
जब तक की हिंदी में पूर्ण प्रशासनिक काम संपन्न न होने लग जाए, लेकिन दुर्भाग्यवस गुलामी की पराकाष्ठा अंग्रेजी के रूप में आज भी विद्यमान है, एवं हिंदी जिस हक हकूक की अधिकारीणी थी वह स्थान नहीं पा सकी। हिंदी के साथ ही संविधान के भाग 17 के अध्याय एक के अनुच्छेद 343 से लेकर 351 तक विभिन्न राजभाषाओं का प्रावधान है उन्ही में हिंदी भी एक राजभाषा के रूप में स्थान प्राप्त है । अब राष्ट्रभाषा कब बनेगी यह तो भविष्य के गर्त में है। अन्य वक्ता प्रो. रणजीत सिंह चंद्रावत ने बताया कि आज हिंदी दिनों दिन अपनी प्रगति कर रही है एवं रोजगार उन्मूलक भाषा बन रही है उन्होंने विशेष जोर देते हुए बताया कि भारत में विभिन्न दूतावासों में हिंदी के साथ-साथ संबंधित देश की भाषा का ज्ञान है तो आपको एक सम्मानजनक मेहनताने के साथ रोजगार मिलेगा, क्योंकि आज अनुवाद के क्षेत्र में हिंदी को जानने पढ़ने वालों की संख्या बड़ी रही है।
अंत में डॉ. मीणा ने बताया कि हिंदी सप्ताह के तहत विभिन्न प्रतियोगिताएं हमने संपन्न की है जिनमें प्रश्नोत्तरी, भाषण एवं निबंध प्रतियोगिताए हैं जिनमें प्रतियोगियों ने बढ़ चढ़कर प्रतिभागीता की है, उन्होंने बताया कि 13/09/2024 को प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में लगभग 34 प्रतिभागियों ने भाग लिया आज भाषण प्रतियोगिता एवं निबंध प्रतियोगिता संपन्न की गई जिसमें भी विभिन्न प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका क्रमश: प्रो. सीमा चौहान डॉ. शिखा सोनी एवं प्रो .रणजीत सिंह चंद्रावत ने निभाई । उन्होंने निर्णायक शीट में निष्पक्ष निर्णय करते हुए अपना निर्णय सुनाया।
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रश्नों की वस्तुनिष्ठता के कारण समान नंबरों से अनेक प्रतियोगी विभूषित हुए अतः उन सभी प्रतिभागियों को संयुक्त रूप से स्थान देते हुए क्रमश: प्रथम स्थान पर वंशिका कुंवर एवं हर्षिता को प्रदान किया गया। द्वितीय स्थान में क्रमश है चांद कुंवर,नितिन मराठा, अंकित गुर्जर, वर्षा वीरवाल,संजना कुंवर, राधा मीणा आदि ने बाजी मारी। तृतीय स्थान में क्रमशः पूजा अहिरवार, रुचिका कुंवर, विजयलक्ष्मी शर्मा, वेदिका जाट, निकिता पाटीदार आदि ने बाजी मारी।
भाषण प्रतियोगिता में क्रमश: प्रथम स्थान वैदिका जाट, द्वितीय स्थान पर विजयलक्ष्मी शर्मा एवं तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से नंदिनी खरे एवं सुमन कुंवर रही। निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान विजयलक्ष्मी शर्मा एवं द्वितीय स्थान पर संयुक्त रूप से वेदिका जाट एवं राधा मीणा रही। सभी विजित प्रतिभागियों का नाम बोलकर महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. दिव्या खरारे ने उद्घोष किया और उन्होंने समस्त विजित एवं अन्य प्रतिभागियों का जोश देखकर खुशी व्यक्त एवम् इसी प्रकार बढ़ चढ़कर भाग लेने हेतु प्रोत्साहित किया । अंत में महाविद्यालय के क्रीड़ाधिकारी डॉ. दिनेश सैनी ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।कार्यक्रम में समस्त महाविद्यालय परिवार एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।