OMG ! जीरन का एक गांव ऐसा भी... बारिश होते ही ग्रामीण परेशान, खेत के साथ पुलियां भी लबालब, गहरे पानी से होकर पहुंचते अपनी मंजिल पर, शिकायते कई, पर हालात जस के तस, पढ़े राजेश प्रपन्ना की खबर
जीरन का एक गांव ऐसा भी... बारिश होते ही ग्रामीण परेशान, खेत के साथ पुलियां भी लबालब, गहरे पानी से होकर पहुंचते अपनी मंजिल पर, शिकायते कई, पर हालात जस के तस, पढ़े राजेश प्रपन्ना की खबर

नीमच। बारिश के दिनों में जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव की समस्या आम है, और बारिश खत्म होने के बाद यह समस्या काफी हद तक खत्म भी हो जाती है, लेकिन जिले में एक गांव ऐसा भी मौजूद है। जहां बारिश के दिनों में खेतों में तो पानी जमा होता ही है, साथ ही मुख्य मार्ग भी बारिश के पानी के बीच कहीं से कहीं तक नजर नहीं आता है।
जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से करीब 28 किलोंमीटर की दूरी पर मौजदू ग्राम उगरान और छाछखेड़ी के बीच स्थित पुलिया का है। ग्राम उगरान में करीब 50 किसान परिवार है, जो खेतों में फसलों की बुआई के जरिये अपना जीवन-यापन करते है।
मामले को लेकर ग्रामीणों ने बताया कि, बारिश के दिनों में खेतों में पूरा पानी जमा हो जाता है। जिससे फसले पूरी तरह से गल जाती है, और काफी नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही ग्राम उगरान से छाछखेड़ी मार्ग पर जो पुलिया है, वह भी बारिश के पानी से लबालब हो जाती है, जिसके कारण एक से दूसरे गांव और खेतों में जाने के लिए लगभग 3 फीट गहरे पानी में से गुजरना पड़ता है। ऐसे में जहरिले जानवरों को खतरा भी बना रहता है।
ग्रामीणों ने बताया कि, समस्या को लेकर कई बार जिला कलेक्टर को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया, लेकिन आज तक जिला प्रशासन ने मामले की सूध नहीं ली। साथ ही इसी समस्या से स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों को केवल और केवल आश्वासन ही मिलता है।
बताया यह भी जा रहा है कि, ग्राम उगरान निवासी किसानों का ग्राम कुचड़ौद सोसायटी में लेन-देन होता है, और खाद्य-बीज लाने-ले जाने का भी यह एक महज मार्ग है, जो कि बारिश में बद हो जाता है। ऐसे में जीरन होते हुए कुचड़ौद पहुंचता होता है। इस दौरान करीब 20 किलोमीटर का सफर ज्यादा तय करना पड़ता है।
इनका कहना-
गांव के नवरत्नदासा पिता जीवनदास बैरागी का कहना है कि, ये लड़ाई बीते साल करीब 2006 से लगातार जारी है। सीएम हैल्पलाइन सहित अन्य जगहों पर कई बार शिकायत की, लेकिन समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ।