NEWS : भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक पहुंचे जाजू कन्या महाविद्यालय, पहले दिन एटोमिक ऊर्जा पर ज्ञानवर्धन, दो सत्रों में होंगे व्याख्यान, पढ़े खबर

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक पहुंचे जाजू कन्या महाविद्यालय

NEWS : भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक पहुंचे जाजू कन्या महाविद्यालय, पहले दिन एटोमिक ऊर्जा पर ज्ञानवर्धन, दो सत्रों में होंगे व्याख्यान, पढ़े खबर

नीमच। श्री सीताराम जाजू शासकीय कन्या महाविद्यालय में भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र मुम्बई के वैज्ञानिकों द्वारा एटोमिक ऊर्जा के सम्बन्ध में ज्ञान वर्द्धन एवं जीवन के अनेक क्षेत्रों में इसका उपयोग एवं शोध के सम्बन्ध में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के प्रथम दिवस पर वैज्ञानिक डॉ. शिल्पा त्रिपाठी एवं वैज्ञानिक डॉ. किरण कुमार गोराई द्वारा दो सत्रों में विशिष्ट व्याख्यान दिया। 

कार्यशाला का प्रारम्भ मॉ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। अतिथि वैज्ञानिकों के लिये स्वागत भाषण में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एन.के. डबकरा ने कहा कि भारत की वैज्ञानिक प्रगति में भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र, मुम्बई का विशिष्ट योगदान रहा है। युवा विद्यार्थी इस केन्द्र में वैज्ञानिक बनकर विज्ञान के क्षेत्र में अपने सपनों को साकार कर सकती है। 

कार्यशाला के प्रथम दिवस किरण कुमार गोराई एवं डॉ. शिल्पा त्रिपाठी ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। किरण कुमार ने अणु के बारे में समझाया, जिससे कि विद्यार्थी पूर्व कक्षाओं में पढ़े हुए अध्यायों को पुनः याद करते हुए नयी जानकारी से जुड़ सके। लाईट का उत्पादन होता है अणु की सहायता से और अगर अणु का इलेक्ट्रान प्रकाश की गति के लगभग गति से गतिमान हो तो उससे जो प्रकाश उत्पन्न होगा उसकी प्रकृति के बारे में चर्चा की। इस प्रकाश का उपयोग वर्तमान में भारत में इण्डस सिंक्रोट्रॉन में पदार्थों के अध्ययन में किया जाता है। किरण कुमार ने इस सिंक्रोट्रॉन के बारे में बताते हुए दृश्य माध्यम से सिंक्रोट्रॉन की कार्यप्रणाली समझायी। 

इसी को आगे बढ़ाते हुए डॉ. शिल्पा त्रिपाठी ने सिंक्रोट्रॉन विकिरण के विभिन्न उपयोगों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि किस तरह इसका उपयोग विज्ञान के ही साथ-साथ पुरानी पेन्टिंग, सिक्के आदि में किया जा सकता है। विज्ञान के अंतर्गत केंसर पर शोध, चट्टानें, जानवर इत्यादि पर शोध में सिंक्रोट्रॉन विकिरण का उपयोग किया जाता है। दवाईयां के विस्तृत अध्ययन में इसका उपयोग किया जाता है। चंद्रयान, मंगलयान आदि के डिक्टेटर केलीब्रेशन में इसका उपयोग किया गया है। अन्त में कई छात्राओं ने प्रश्न पुछकर जिज्ञासाओं को शान्त किया। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉ. हिना हरित ने किया।