NEWS: दीपावली पर्व 24 अक्टूबर को, ठीक अगले दिन रहेगा सूर्य ग्रहण, नहीं होगा कोई भी शुभ कार्य, इन राशियों पर पड़ेगा प्रभाव, पूजा का विसर्जन कब करें...? पढ़े ये खबर
दीपावली पर्व 24 अक्टूबर को, ठीक अगले दिन रहेगा सूर्य ग्रहण, नहीं होगा कोई भी शुभ कार्य, इन राशियों पर पड़ेगा प्रभाव, पूजा का विसर्जन कब करें...? पढ़े ये खबर
रिपोर्ट- मुकेश पार्टनर
नीमच। इस वर्ष दीपावली 24 अक्टूबर सोमवार को मनाई जाएगी। उसके अगले दिन यानी 25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्य ग्रहण रहेगा। यह सूर्य ग्रहण भारत के कुछ हिस्सों जैसे आसाम, गुवाहाटी, त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश आदि को छोड़कर संपूर्ण भारत में दृश्य होगा। यह सूर्यग्रहण 25 अक्टूबर को शाम 4:37 से शुरू होकर शाम 5:52 तक रहेगा। यह समय नीमच की अक्षांश के अनुसार निकाला गया है। बाकी शहरों के अक्षांश के अनुसार अलग-अलग समय रहेगा। सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण के आरंभ होने के 12 घंटे पूर्व लग जाता है।
इस नियम के अनुसार सूर्य ग्रहण का सूतक 25 अक्टूबर मंगलवार को प्रातः 4:37 से लग जाएगा। और शाम को ग्रहण की समाप्ति तक अर्थात शाम 5:52 तक रहेगा। अतः इस सूर्य ग्रहण की समाप्ति तक सूतक तथा सभी यम, नियम मान्य रहेंगे। मंदिरों के पट भी बंद रहेंगे। ग्रहण की समाप्ति होने के बाद ही मंदिर धोकर भगवान की प्रतिमा को स्नान कराया जाएगा और उसके पश्चात भोग आरती की जाएगी। इस ग्रहण को गर्भवती महिला ना देखें। स्वाति नक्षत्र और तुला राशि में जन्मे व्यक्ति भी ना देखें ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, तप, यंत्र निर्माण, श्राद्ध, तर्पण, आदि कार्य करने का अनंत फल बताए गए हैं। ग्रहण के ग्रहण के सूतक लगने के पूर्व खाने पीने की वस्तुओं में डाब (कुशा) रखें मंदिर को भी ढक दें।
सूर्य ग्रहण का सभी 12 राशियों पर प्रभाव- मेष, कर्क, तुला, वृश्चिक, मीन (कष्ट प्रद), वृषभ, सिंह, धनु, मकर (सुखद), मिथुन, कन्या, कुंभ (सामान्य)
दीपावली के दिन की पूजा का विसर्जन कब करें...?
जनमानस के मन में यह प्रश्न है कि, दीपावली की पूजा का विसर्जन कब करें...? जो जन दीपावली के दिन ही विसर्जन करना चाहते हैं। वे सूतक लगने होने के पहले अर्थात 25 अक्टूबर को सुबह 4:37 के पहले विसर्जन करें। जो जन दीपावली के दिन विसर्जन नहीं करना चाहते हैं। वह सूतक लगने के पूर्व उस पूजन मंडल, कलश आदि में डाब (कुशा) रखे और किसी ने नए वस्त्र से उसे ढक दें। ग्रहण वाले दिन रात्रि में ग्रहण समाप्त होने के बाद विसर्जन करना उचित नहीं रहता है। अतः वे 26 अक्टूबर बुधवार को भी विसर्जन कर सकते हैं। 26 अक्टूबर को 3 दिन हो जाएंगे।
3 दिन में विसर्जन न करने की धारणा भी जनमानस में है ऐसे में वे चौथे दिन यानी 27 अक्टूबर गुरुवार को विसर्जन करें। किंतु उन्हें पूजन मंडल के देवताओं की पूजा 26 को भी करनी चाहिए और वह भोग आदि भी लगाना चाहिए। उपरोक्त जानकारी कर्मकांडीय विप्र परिषद के अध्यक्ष पंडित मालचंद शर्मा ने दी है।