BIG NEWS: BJP सरकार ने नीमच की पोस्ता मंडी को किया तबाह, असंगत नियमों की मार, व्यापारी हुए विमुख, काश्तकार परेशान, MLA-सांसद दूर नहीं करवा पाए नियमों की विसंगतियां, पूर्व विधायक नंदकिशोर पटेल के तीखे आरोप, पढ़े खबर
BJP सरकार ने नीमच की पोस्ता मंडी को किया तबाह, असंगत नियमों की मार, व्यापारी हुए विमुख, काश्तकार परेशान, MLA-सांसद दूर नहीं करवा पाए नियमों की विसंगतियां, पूर्व विधायक नंदकिशोर पटेल के तीखे आरोप, पढ़े खबर

नीमच। साढ़े छ साल से असंगत नियमों में उचित संशोधन की मांग को लटकाकर भाजपा की प्रदेश सरकार ने नीमच में संचालित देश की अग्रणी पोस्ता मंडी को लगभग पूरी तरह तबाह कर दिया। दूषित नियमों की मार से परेशान और मयगीत व्यापारियों ने पोस्ता कारोबार से हाथ खींच लिए हैं और अब क्षेत्र के हजारों अफीम उत्पादक अपनी पोस्ता उपज को जावरा और अन्य मंडियों में बेचने के लिए भटक रहे हैं। इससे किसानों को अनावश्यक खर्च भार वहन करना पड रहा है और उपज के उचित दाम भी नहीं मिल रहे हैं। यह बात पूर्व विधायक और वरिष्ठ इंका नेता नंदकिशोर पटेल ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहीं।
पूर्व विधायक नंदकिशोर पटेल ने कहा कि, अफीम के डोडों को तोड़कर निकाले जाने वाले पोस्ता दाना में स्वाभाविक रूप से डोडे चूरे के अंश और प्राकृतिक रूप से डोडे से प्राप्त पोस्ते का नगण्य सा भाग काला रहता है। पोस्ते की सफाई और शुद्धता के लिए किसानों से खरीद के बाद व्यापारी छानकर और सार्टेक्स के जरिये धुला पानी एवं काला दाना अलग करते हैं। देश में जब तक डोडाचूरा व्यापार सरकार द्वारा दिये गये ठेके के आधार पर निर्धारित प्रक्रियानुसार होता था। तब तक राज्य सरकार पोस्ता व्यापारियों को भी पोस्ते की छनाई सफाई करने की अनुमति इस शर्त पर देती थी कि, इससे निकलने वाले धुलापाली को निर्धारित ठेकेदार को सौंप देंगे। इस व्यवस्था के तहत मंडी सालों से सुचारू रूप से चल रही थी। मध्य प्रदेश और राजस्थान के अफीम उत्पादक नीमच मंडी की तौल और मोल की शुद्धता की साख के चलते अपनी पोस्ता उपज यहां आकर ही बेंचते थे। नीमच मंडी देश की अग्रणी पोरता मंडी के रूप में विख्यात थी।
असंगत नियमों के चलते नीमच की पोस्ता मंदी को लगा आघात-
पटेल ने कहा कि, देश की भाजपा नीत मोटी सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2016 से देश में डोडाचूरा वी खरीद फरोख्त को पूरी तरह से अवैध घोषित करने के बाद इसी आधार पर मध्यप्रदेश सरकार ने राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर डोडाचूरा सम्बन्धी सभी नियम निरस्त कर दिए। इसरी के अनुरूप डोडाचूरा के ठेके तथा पोस्ता व्यापारियों को सफाई की अनुमति देने की प्रक्रिया भी बंद कर टी गई। डोडाचूरा जलाने के प्रबन्धों की जिम्मेदादी राज्य सरकार की रही लेकिन पोस्तादाना सफाई दी गई। डोडाचूरा जलाने के प्रबन्धों की जिम्मेदारी राज्य सरकार की रही लेकिन पोरतादाना सफाई से निकले वाले मटेरियल को नष्ट करने... किसके माध्यम से नष्ट करने इत्यादि के बारे में कोई भी नियम नहीं बनाया गया। ऐसे नियमित खारी के चलते पोस्ता व्यापारियों के सामने बड़ी परेशानिया निर्मित हो गई है।
ऊन्होने कहां कि, पोस्ते में प्राकृतिक रूप से बहुत मामूली अंशों में काला दाना रहता है। यह व्यापारी नहीं मिलाता है और न ही पोस्ते का व्यापार प्रतिबंधित है। लेकिन नियमों की अस्पष्टता के चलते सफाई किये गए अंश की जांच जारी है। जॉच से व्यापारियों को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन प्राकृतिक रूप से पोस्ते में आने वाले किरी अंश के लिए व्यापारियों के विरूद्ध एनपीएस एक्ट के तहत अपराध की कायमी के मामलों से भय का माहौल बन गया है।
साढ़े छः साल की दीर्घ अवधि में भी जारी नियमगत विसंगति का हल नहीं-
पटेल ने कहा कि, सभी पोस्ता व्यापारी किसान और कांग्रेस संगठन अप्रैल 2016 से ही निरंतर मांग करते आ रहे हैं कि, पोस्ता छनाई से निकले कही सामग्री के संदर्भ में तुरंत सुरपष्ट एवं समुचित नियमों का निर्धारण करें ताकि व्यापारी निर्वाध एवं निर्भय होकर व्यापार कर सके। लेकिन प्रदेश भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया। जुलाई 2017 में भी इनी मांगों को लेकर नीमच की पोस्ता मंडी लम्बे समय तक बंद रही थी। जब आश्वासन दिया गया था कि शीघ्र ही नियमों की विसंगतियों को दूर किया जाएगा। लेकिन साढ़े छह साल बीतने के बाद भी अभी तक नियमों को विसंगतियों असमंजस और भय का माहौल कायम है। क्षेत्रिय भाजपा सांसद और विधायक ने भी केन्द्र एवं प्रदेश में भाजपा की ही सरकार होने के बावजूद अपने क्षेत्र में विद्यमान इस जटिल समस्या के नियम संगत समाधान के लिए कोई पहल नहीं की है जिससे समस्या और विकराल हो गई है।
महीनों से पोस्ता मंडी फिर से बन्द, किसानों को हो रही भारी परेशानी एवं शोषण-
पटेल ने कहा कि, प्रदेश की भाजपा सरकार और क्षेत्र के निर्वाचित नेताओं द्वारा किसानों और व्यापारियों के हितो की लगातार अनदेखी तथा नियमों की विसंगतियों के कारण उत्पन्न परेशानियों के चलते पोस्ता व्यापारियों ने पोस्ता कारोबार से ही हाथ खीच लिया है। इस कारण महीनों से पोस्ता मंडी बंद है और सारा व्यापार चौपट हो गया है। हजारों अफीम उत्पादक अपनी पोस्ता उपज के विकय हेतु जावरा और अन्य दूरस्थ मड़ियों में भटक रहे हैं जहाँ उनको वाजिब दाम नहीं मिल पा रहे है। आवागमन व्यय का भी भार उनको उठाना पड़ रहा है। अफीम फसल वर्ष 2022-23 में भी सरकार ने मध्यप्रदेश के कोई 42 हजार से अधिक किसानों को अफीम उत्पादन के लायसेन्स दिए है। तीन माह बाद इन किसानों की की पोस्ता उपज आ जायेंगी लेकिन नीमच की पास्ता ही तब तक टीक से नहीं चल सकती जब तक नियमों की विसंगतियों दूर नहीं हो जाती है।
पटेल ने प्रदेश सरकार से नांग की है कि, अविलंब इस संदर्भ में पहल कर नियमों की खामियों को दूर किया जाए ताकि व्यापारी निर्णय होकर पुनः पोरते का कारोबार शुरू कर सके और नीमच मंडी की साख की पुनर्स्थापना हो जाए।
विदित ही है कि, सरकार द्वारा हर साल प्रदत्त लायसेंसधारी किसानों द्वारा उत्पादित अफीम का सह-उत्पाद पोस्ता दाना होता है। स्वास्थ्यवर्धक इस जीन्स की खरीद-फरोख्त के लिए सबसे बड़ी पोस्ता मही नीमच में संचालित होती रही है।