NEWS : 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 105 कन्या बनी सहभागी, बुराइयों को मिटाने के लिए दिए आहुतियां, प्रतिभा का प्रदर्शन भी, अब इस दिन होगा पौधों का वितरण, पढ़े खबर

5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 105 कन्या बनी सहभागी

NEWS : 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 105 कन्या बनी सहभागी, बुराइयों को मिटाने के लिए दिए आहुतियां, प्रतिभा का प्रदर्शन भी, अब इस दिन होगा पौधों का वितरण, पढ़े खबर

नीमच। नगर के प्रख्यात गायत्री शक्तिपीठ मंदिर पर गायत्री एवं ग्रीष्म कालीन प्रशिक्षण शिविर पर्व के पावन उपलक्ष्य में श्रद्धालु भक्तों द्वारा नौ कुंडी महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में विचार क्रांति अभियान के अंतर्गत व्यक्तित्व विकास हेतु आवासीय कन्या कौशल प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। 5 दिवसिय प्रशिक्षण शिविर में 105 कन्याओं द्वारा विभिन्न धार्मिक संस्कारों एवं अनुष्ठानों का ज्ञान प्रशिक्षक निशा धनोतिया दीदी एवं पवन गुप्ता भैया द्वारा प्रदान किया जा रहा है।

यज्ञ में नगर के भाई बहनों, मातृशक्ति बच्चों ने भाग लिया। इस अवसर पर किसी की विवाह वर्षगांठ, तो किसी का जन्मदिन, तो किसी बच्चे का अन्नप्राशन दिवस के लिए भी आहुतियां दी। इस अवसर पर ललिता गोपाल कृष्ण बाल्दी के सानिध्य में नो कुंडी यज्ञ का आयोजन किया। जिसमें सभी ने विश्व कल्याण एवं क्षेत्र की सुख समृद्धि सुख शांति के लिए प्रार्थना कर सामूहिक आहुतियां दी। आयोजन में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए निशा धनोतिया दीदी ने कहा कि यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्राण है। वैदिक धर्म का सार है। यज्ञ ही संसार में श्रेष्ठतम पुण्य कर्म है। भौतिक दृष्टि से यज्ञ का महत्व अत्यधिक है। 

इसके साथ ही आंतरिक वैचारिक मानसिक प्रदूषण समाप्त करने का उपाय है। यज्ञ सनातन धर्म का प्रमुख वाहक है। गुरुदेव श्री श्री राम आचार्य द्वारा यज्ञ को घर-घर तक पहुंचाने के लिए जागृति अभियान चलाया गया था जो आज भी आदर्श प्रेरणादाई प्रसंग है। गुरुदेव ने स्वाध्याय को घर घर पहुंचाने के लिए अनेक प्रयास किए थे।  स्वाध्याय देवातु जगाने का प्रमुख आधार होता है। गुरुदेव राम आचार्य के अनुसार गायत्री मंत्र में उपवास में तपस्या का तत्व सम्मिलित होता है। अशोक धाकड़ ने कहा कि सनातन संस्कृति और यज्ञ को घर-घर पहुंचना शर्म नहीं हमारा धर्म है। छोटी बच्ची तो मानवता बच जाएगी संस्कृति बिगड़ी तो मानवता बिगड़ जाएगी संस्कृति की रक्षा करना युवा वर्ग का प्रमुख कर्तव्य है। 

सनातन संस्कृति को घर-घर जाकर संस्कारों के माध्यम से समझाना पड़ रहा है यह हमारा दुर्भाग्य है। दीपक अहीर ने कहा कि गायत्री रूप सुख में गंगा है। घर- घर में लड़ाई झगड़ा विकृति बढ़ रही है इसे मिटाने के लिए गायत्री मंत्र के जाप की आवश्यकता है। प्रबल पुरुषार्थ करना होगा तभी युग परिवर्तन होगा ।मनुष्य तपस्वी तेजस्वी मनस्वी ही गायत्री को धारण कर सकता है।यज्ञ के माध्यम से देश में राष्ट्र के प्रति जागृति लाना आवश्यक है। और प्रकोप से बचाव के लिए यज्ञ सशक्त माध्यम है। अवसर पर योग ध्यान भी करवाया गया दीपक अहीर द्वारा सूचना प्रसारण की।

यज्ञ का शुभारंभ संगीतमय वैदिक मंत्रोचार के साथ स्वस्तिवाचन से हुआ। यज्ञ विश्राम शांति मंत्र के साथ किया गया। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर मुख्य ट्रस्टी कैलाश चंद्र अहीर, कृष्ण गोपाल बाल्दी सत्य चतुर्वेदी, दिव्या मुच्छाल, डॉक्टर महेश शर्मा, तन्मय शर्मा, मंजुला शर्मा, भावना जोशी, अशोक धाकड़ व‌‌ गायत्री परिवार परिजन तथा कार्यकर्ता एवं मातृ शक्ति सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। यज्ञ में सहभागी होने वालों को तुलसी बिल्वपत्र के पौधे का वितरण अंतिम दिवस किया जाएगा और उन्हें उन पौधों को अपने परिवार जन संतान की तरह खाद एवं सिंचाई कर देखभाल का संकल्प भी दिलाया। उक्त जानकारी दीपक अहीर ने दी।

प्रशिक्षण शिविर दिनचर्या-

4:30 बजे जागरण 5:30 आरती 7:45 प्रज्ञा पर 8:15 से 9:30 बजे तक 26 जून को प्रमुख ट्रस्टी कैलाश चंद्र अहीर का स्वागत उद्बोधन हुआ। जिसमें उन्होंने बालिकाओं को धार्मिक संस्कारों को जीवन में आत्मसात करने की प्रेरणा प्रदान की। ललिता बाल्दी बहन जी द्वारा धार्मिक संस्कारों का मार्गदर्शन प्रदान किया गया, 10:30 से कर्मकांड प्रशिक्षण 11:30 बजे से 12:30 बजे  27 जून को जानकी लाल जी द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया 12:30 से 2:30 बजे तक भोजन विश्राम 2:30 बजे से युग संगीत 3:30 बजे स्वावलंबन पर मार्गदर्शन प्रदान किया गया। 

27 जून को संभाषण प्रदान किया गया। 5:15 बजे तक आत्मरक्षा के लिए प्रतिदिन कराते का प्रशिक्षण प्रशिक्षक कोच मीरा थापा द्वारा प्रदान किया  जा रहा है। शाम 5:30 बजे आरती एवं चालीसा पाठ, शाम 6 बजे 26 जून को जीवन के महान दिव्य दैनिक दिनचर्या तथा 27 को स्वस्थ रहने के सूत्र पर प्रकाश डाला गया। 6:45 बजे प्रतिभा परिष्कार, 8 बजे वीडियो प्रोजेक्टर पर फिल्म 9 बजे शयन प्रार्थना और 9:30 बजे शयन के साथ रात्रि विश्राम हो रहा है।