WOW ! अब गांधी सागर बनेगा अफ्रीकी चीतों का नया ठिकाना, इतने नर-मादा TIGER अफ्रीका से लाने की तैयारी, क्यों अनुकूल है यह अभयारण्य, पढ़े ये खबर

अब गांधी सागर बनेगा अफ्रीकी चीतों का नया ठिकाना, इतने नर-मादा TIGER अफ्रीका से लाने की तैयारी, क्यों अनुकूल है यह अभयारण्य, पढ़े ये खबर

WOW ! अब गांधी सागर बनेगा अफ्रीकी चीतों का नया ठिकाना, इतने नर-मादा TIGER अफ्रीका से लाने की तैयारी, क्यों  अनुकूल है यह अभयारण्य, पढ़े ये खबर

मंदसौर। श्योपुर जिले के कूनो अभयारण्य में चीते छोड़ने के बाद अब दूसरे चरण की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। अफ्रीका से लाए जाने वाले चीतों को अब मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य में बसाया जाएगा। शुरुआत में तीन नर व पांच मादा चीते लाने की तैयारी है। भोपाल से संकेत मिलने के बाद वन विभाग आवश्यक व्यवस्थाएं करने में जुट गया है।

विभागीय अमले के साथ विशेषज्ञों की टीम भी यहां आ चुकी है। वैसे देहरादून के भारतीय वन्य जीव संस्थान से आए विशेषज्ञ पहले ही गांधी सागर अभयारण्य को चीतों के लिए अनुकूल बता चुके हैं। इनके लिए यहां नरसिंहगढ़ से चीतल लाने का कार्य एक साल पहले ही चालू हो गया था। 266 चीतल छोड़े गए थे। अब इनकी संख्या 350 से ज्यादा हो गई है।

38 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैला गांधी सागर अभयारण्य मंदसौर जिले के साथ ही राजस्थान के चित्तौड़ व कोटा जिले से भी लगा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एक वर्ष पूर्व यहां का निरीक्षण करने आए देहरादून के भारतीय वन्य जीव संस्थान के विशेषज्ञों ने इसे काफी पसंद किया था।

उनका कहना था कि, चंबल नदी से सटा होने के साथ घास वाले मैदानों में चीते के दौडने के लिए पर्याप्त स्थान है। प्राकृतिक संसाधनों पहाड़, घास के मैदान, ऊंचे पेड़, छोटी झाडियां, कंदराएं, गुफाएं सहित पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। अभयारण्य में सभी वन्य प्राणियों व पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण है।

हालांकि प्रथम चरण में गांधी सागर के बजाय कूनो को प्राथमिकता मिली। अब दूसरे चरण में अफ्रीकन चीते बसाने की योजना के तहत गांधीसागर को चुना गया हैं। 368 वर्ग किमी में अरावली पर्वत श्रृंखलााओं के बीच में बसे गांधी सागर अभयारण्य में वह सभी कुछ है, जो वन्य प्राणियों के लिए चाहिये। अनुकूल है गांधी सागर अभयारण्य- 

अभयारण्य में जंगली पेड़ों में खेर, बेर, पलाश सहित अन्य प्रजातियां हैं। सबसे महत्वपूर्ण जलाशय है। गांधी सागर अभयारण्य में तीन साल पहले आखिरी बार हुई गिनती में करीब 50 तेंदुए मिले थे। इसके अलावा लकड़बग्घे, लोमड़ी भी काफी तादाद में हैं। बाकी छुटपुट वन्य प्राणी भी हैं। पक्षी गणना में 225 तरह की प्रजातियां मिली थीं। इनमें तेजी से घट रहे गिद्धों की भी कई तरह की प्रजातियां शामिल हैं।

इनका कहना- 

दूसरे चरण में गांधी सागर अभयारण्य में तीन नर व पांच मादा चीता अफ्रीका से लाने की योजना है। इसके लिए तैयारी भी कर रहे हैं। सड़क दुर्घटनाओं से जंगली जानवरों को बचाने के लिए अब सड़क के दोनों तरफ बाउंड्रीवाल बनाने का भी काम शुरू कर रहे हैं।- आदेश श्रीवास्तव, डीएफओ