NEWS : जीरन के शासकीय महाविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव व भविष्य की चिंताओं पर इन्होंने दिया जोर, पढ़े खबर
जीरन के शासकीय महाविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन
जीरन। प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर दिव्या खरारे एवं संगोष्ठी संयोजक डॉ विष्णु निकुम के निर्देशन में आज शासकीय महाविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ महाविद्यालय में किया गया। सर्वप्रथम सरस्वती वंदना एवं द्वीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। स्वागत की बेला में महाविद्यालय प्राचार्य ने सभी आगंतुक अतिथियों का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। सर्वप्रथम विद्यायक प्रतिनिधि श्रीमान लक्ष्मण सिंह भाटी ने स्थानीय उदाहरण देते हुए वन्यजीवों की उपादेयता पर प्रकाश डाला। नीमच अग्रणी महाविद्यालय प्राचार्य एवम संगोष्ठी संरक्षक डॉक्टर के.एल. जाट ने कॉलेज के स्टाफ से आत्मीय संबंध स्वरूप उदाहरण देते हुए इस सेमिनार के बारे में नए आयाम स्थापित करने की बात कही।
प्रथम वक्ता आर.एन. मिश्रा ने बड़े ही विस्तार रूप से अपनी बात को अमली जामा पहनाया। प्रथम तकनीकी सत्र के प्रथम वक्ता डॉ शशिकांत कुमार ने बड़ी गंभीरता से वन्य जीवों के टकराव एवं पारिस्थितिकी तंत्र पर अपनी बात बड़े ही विद्वत्ता से एवं वैश्विक उद्यरण देते हुए रखी। अन्य विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. सुधा कपूर ने भी अपनी बात को विभिन्न आधारभूत एवं रचनात्मक उदाहरण देते हुए रखी। डॉ. आर.बी. अनुरागी सर ने वैश्वीकरण एवं वन्यजीवों की समग्र उपलब्धता एवं मानव जाति की हस्तक्षेप से सराबोर करते हुए रखी। दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता नीलाद्री रंजन दास ने की एवं उपाध्यक्षता की भूमिका डॉ. संजय जोशी ने निभाई।
प्रथम पत्र वाचन शोधार्थी हीरालाल पटेल ने किया जिसमें उन्होंने प्रकाश प्रदूषण पर अपनी बात रखी जिसको संगोष्ठी कक्ष में सराहा गया। अंत में एस.एल.इरवार ने अपनी बात नीमच एवं मंदसौर के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से उत्पन्न जलवायु संबंधी चुनौतियों पर रखी। भोजनावकाश के पुर्व अतिथियों द्वारा संगोष्ठी के टाइटल पर आधरित पोस्टर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जिसमें विद्यार्थियों ने उपस्थित अतिथियों को पोस्टर के विषय पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। द्वितीय दिवस को मुख्य अतिथि पूर्व दक्षिण मंडल ने मंच व शोधार्थियों को संबोधित किया व जीवन में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव व भविष्य की चिंताओं पर जोर दिया। विषय विशेषज्ञ डॉ प्रभाकर मिश्र ने संस्कारों ओर प्रकृति के बीच संबंध बताया कि आने वाले वर्षों में धरती का तापमान बढ़ जाएगा।
इस ही के साथ तृतीय से पंचम तक तकनीकि सत्र आयोजित किया गया एवम विभिन्न शोधकर्ताओं ने अपने रिसर्च पेपर का वचन किया। पोस्टर में प्रथम द्वितीय स्थान प्राप्त विद्यार्थी पुरस्कार वितरण किया गया मंच का संचालन संगोष्ठी सहसंयोजक डॉ. हेमलता जोशी व सचिव रणजीत सिंह चन्द्रावत ने किया। तकनीकी सहयोग, सह सचिव डॉ. रजनीश मिश्र एवं समन्वयक दीपक पाटीदार ने किया। सह सचिव सीमा चौहान प्रो. आयोजन समिति डॉ शीतल सोलंकी, रितेश चौहान, डॉ नानूराम नारगेश, प्रो वन्दना राठौर, डॉ दिनेश सैनी प्रो रवीना राजोरा , प्रो अंकित खरे, डॉ बाला शर्मा, डॉ सोनम घोटा, कृष्णा सोलंकी, विष्णु प्रजापत, महेंद्र अहिरवार, विजय गोयर उपस्थित रहे। अंत में संगोष्ठी संयोजक डॉ. विष्णु निकुम ने आभार व्यक्त किया। इसी के साथ आज का संगोष्ठी कार्यक्रम संपन्न हुआ। जानकारी डॉ.रामधन मीणा व मीडिया प्रभारी रणजीत सिंह चन्द्रावत द्वारा दी गई है।