BIG NEWS : नीमच का पीजी कॉलेज, जिसकी बिल्डिंग ऐतिहासिक धरोहर, पर अब इसे कॉलेज प्रबंधन पंहुचा रहा नुकसान, गंभीर आरोप भी आये सामने, मटेरियल बेचने और खरीदने में हुआ बड़ा खेल...! पढ़े ये खबर

मच का पीजी कॉलेज, जिसकी बिल्डिंग ऐतिहासिक धरोहर, पर अब इसे कॉलेज प्रबंधन पंहुचा रहा नुकसान, गंभीर आरोप भी आये सामने, मटेरियल बेचने और खरीदने में हुआ बड़ा खेल...! पढ़े ये खबर

BIG NEWS : नीमच का पीजी कॉलेज, जिसकी बिल्डिंग ऐतिहासिक धरोहर, पर अब इसे कॉलेज प्रबंधन पंहुचा रहा नुकसान, गंभीर आरोप भी आये सामने, मटेरियल बेचने और खरीदने में हुआ बड़ा खेल...! पढ़े ये खबर

रिपोर्ट- अभिषेक शर्मा 

नीमच। नीमच-मनासा रोड़ पर स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय (पीजी काॅलेज) मौजूद है। जहां जिले भर के हजारों विद्यार्थी अध्ययनरत है। यह कॉलेज और इसका परिसर वर्षों पुराना है, अब जाहिर सी बात है कि इसकी हर एक बिल्डिंग भी ऐतिहासिक धरोहर के रूप में नजर आती ही होगी। इन्हीं ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान पहुंचाने का एक मामला भी यहां सामने आया है। जिसे लेकर इसी काॅलेज के पूर्व छात्रसंघ नेता ने कई गंभीर आरोप भी लगाए है। ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुंचाने की बात तो सामने आई है, वहीं मटेरियल को बेचने में भी अनियमिताएं देखने को मिली है।

दरअसल, पीजी काॅलेज परिसर की पुरानी बिल्डिंगों में एक बिल्डिंग ऐसी भी मौजूद है। जिसके कक्ष में पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद ने दिनांक- 03.03.1955 को विश्राम किया था। वहीं इसी बिल्डिंग के एक अन्य कक्ष में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिनांक- 06.03.1954 को विश्राम किया था।

अब बात यह है कि, इसी बिल्डिंग के पास एक और भवन मौजूद था, जो लगभग इतने ही वर्षो पुराना था। जहां पुरानी प्रयोग शाला हुआ करती थी। साथ ही उस समय ग्वालियर स्टेट का ट्रैजरी विभाग भी हुआ करता था। अब इसी बिल्डिंग को ध्वस्त कर यहां एक नए भवन का निर्माण किया जा रहा है।

इस पूरे मामले में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष नवीन किलोरिया ने बड़ा खुलासा करते हुए कहां कि, जिस प्रकार ये ग्वालियर स्टेट की पुरानी रियासतों में शामिल है, और ऐतिहासिक धरोहर है, जो कि करीब 200 साल और चल सकती थी। उसे नष्ट करके, पीछे पुरानी जो लैब थी, उसे भी इन्होंने नष्ट कर दिया। इन्हें केवल जिर्नोधार की जरूरत थी। अब उसे नष्ट करके महज 20 सालों में टूट-फूट जाने वाली बिल्डिंगों का निर्माण कर रहे है।

उन्होंने कहां कि, गांधी सागर का शुभारंभ करने आए पूर्व राष्ट्रपति डाॅक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने यहां रात्रि विश्राम किया था। जहां वर्तमान में पुस्तकालय है। ठीक उसी के पास यह भवन मौजूद है। जिसे नष्ट करके चंद सालों में ध्वस्त होने वाले भवनों का निर्माण किया जा रहा है। जबकि इन्हें महज जीर्णोद्धार की जरूरत है।

पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष किलोरिया ने यह भी बताया कि, मैं स्वयं यहां बीएससी का छात्र रह चुका हूं... यहां पुरानी प्रयोगशाला हुआ करती थी, जो कि पूरी तरह से नष्ट हो चुंकी है। इसे ध्वस्त करने में करीब तीन से चार दिन लगे है, क्योंकि वह काफी मजबूत थी। उसी जगह पर ग्वालियर स्टेट का ट्रैजरी विभाग हुआ करता था, और सैनिक जो है विश्राम करते थे।

पूर्व छात्र नेता किलोरियां ने आरोप लगाए है कि, यह सीधे तोर पर लापरवाही है। अगर जनप्रतिनिधि व कॉलेज प्रबंधन चाहते, तो इसी भवन को काफी हद तक खुबसुरत बनाया जा सकता था। क्योंकि ऐसे भवन क्षेत्र में कहीं है भी नहीं... जो नाम मात्र की ऐतिहासिक चीजे बची हुई है। उसे भी यह नष्ट कर रहे है, उन्हें इस संबंध में ध्यान देना था।

किलोरियां के तो यह भी आरोप है कि, भवन को तोड़ना तक तो ठीक था, लेकिन इसका जो वेस्ट मटेरियल निकला, वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा है। सुनने में आया है कि, उस वेस्ट मटेरियल को भी महज ढाई लाख रूपये में एक डमी ठेकेदार खड़ा कर बैच दिया। जबकि वर्तमान में उसी वेस्ट मटेरियल की कीमत करीब 10 लाख से ज्यादा है। इसका आकलन करने की आवश्यकता थी, जो हुआ नहीं, और उसे सीधे बैच दिया गया। इस मामले में भी हमारे सूत्रों ने कुछ अहम जानकारी दी है, जिसमे कॉलेज के ही लोगो द्वारा मटेरियल का उपयोग अपने यहां किया है, जिसका भी खुलासा हम आगे करेंगे ही...

क्या बोले प्रिंसिपल डाॅक्टर के.एल जाट-

उस जगह पर ओल्ड हॉल था, उसका जीर्णोद्धार बहुत पहले से था, उसे पीडब्लूडी ने अनुपयोगी किया हुआ था, क्योंकि पूर्व में यहां क्लास लगती थी, फिर करीब 8 से 10 सालों से यहां स्टोर रूप था, वह भवन स्टूडेंट्स के बैठने के लिए उपयुक्त नहीं था, बाद में नियमानुसार जिला कलेक्टर और पीडब्लूडी से अनुमति ली गई, जिसके बाद उसके स्थान पर दो मंजिला लायब्रेरी बन रही है, और नया निर्माण हो रहा है।

रही वेस्ट मटेरियल की बात, तो उसके लिए तो समाचार पत्रों में ओपन विज्ञप्ति निकली थी, और उसकी बोली लगी थी, और बोली में राशि भी पीडब्लूडी ने निर्धारित की थी, उस राशि से ऊपर बोली लगने के बाद ही वेस्ट मटेरियल दिया गया, उसमे कॉलेज प्रबंधन कुछ निर्धारित नहीं कर सकता है।