NEWS : विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना, युवा दिवस पर जीरन महाविद्यालय में हुआ सूर्य नमस्कार, इन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन, किन्होंने दिया व्याख्यान, पढ़े खबर

विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना, युवा दिवस पर जीरन महाविद्यालय में हुआ सूर्य नमस्कार,

NEWS : विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना, युवा दिवस पर जीरन महाविद्यालय में हुआ सूर्य नमस्कार, इन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन, किन्होंने दिया व्याख्यान, पढ़े खबर

शासकीय महाविद्यालय जीरन  प्राचार्य प्रो. दिव्या खरारे की अध्यक्षता में विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना के तहत महाविद्यालय परिसर में 'युवा दिवस' के उपलक्ष में आज सामूहिक सूर्य नमस्कार किया गया इस हेतु समस्त छात्र छात्राओ ने भाग लिया। साथ ही इसके पश्चात महाविद्यालय परिसर सभागार हॉल में स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर चित्र प्रदर्शनी के आयोजन के साथ ही शिकागो व्याखान पर चर्चा की गई, भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसका विषय युवाओं के लिए शाश्वत प्रेरणा रखा गया।  जिसमें अनेक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। प्रतिभागियों में प्रथम स्थान पर नंदिनी खरे, द्वितीय स्थान परसाक्षी पुरोहित,  तृतीय स्थान पर सयुक्त रूप से मनीषा भाटी व पायल राठौड़ रही।

डॉ. विष्णु निकुम ने बताया की शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन के अपने भाषण में विवेकानंद ने कहा था कि हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही केवल विश्वास नहीं रखते हैं। बल्कि हम दुनिया के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। डॉ.बाला शर्मा द्वारा बताया की 1893 में 11 से 27 सितंबर के बीच स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में कुल छह भाषण दिए। इसमें उनका उद्घाटन भाषण सबसे ज़्यादा जाना जाता है।

डॉ. ज्ञान सिंह बघेल ने बताया की "उठो जागो और अभीष्ट को प्राप्त करो और उनका दूसरा मंत्र था अपने राष्ट्र को, इसकी महान संस्कृति को, इसकी सभ्यता और यहां के धर्म को जानो, जो मानव मात्र की सेवा की बात करता है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि किसी भी समाज व राष्ट्र की मूलभूत चेतना उसकी युवा शक्ति में ही निवास करती है। एवं महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. दिव्या खरारे ने अपने विचारों रखते हुए बताया की स्वामी विवेकानंद जी के शिक्षा दर्शन पर सिद्धान्त शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक का शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक विकास हो सके। शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक के चरित्र का निर्माण हो, मन का विकास हो, बुद्धि विकसित हो तथा बालक आत्मनिर्भर बने। बालक एवं बालिकाओं दोनों को समान शिक्षा देनी चाहिए।

धार्मिक शिक्षा, पुस्तकों द्वारा न देकर आचरण एवं संस्कारों द्वारा देनी चाहिए। साथ ही बताया कि रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था किन्तु उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण का आरम्भ "मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों" के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। छात्रों को लाभान्वित किया ।कार्यक्रम का संचालन टीपीओ प्रभारी डॉ. सोनम घोटा ने किया। अंत में डॉ.रामधन मीणा आभार व्यक्त करतें हुए स्वामी विवेकानन्द के विचारों को जीवन में आत्मसात करने हेतु आग्रह किया। जानकारी मीडिया प्रभारी रणजीत सिंह चन्द्रावत ने प्रदान की।