NEWS : कृति का ''मेरा जीवन मेरे अनुभव कार्यक्रम'' संपन्न, डॉ. माधुरी चौरसिया ने कहां- सपने आसमान के देखें, लेकिन पैर जमीन पर रखें, पढ़े खबर

कृति का ''मेरा जीवन मेरे अनुभव कार्यक्रम'' संपन्न

NEWS : कृति का ''मेरा जीवन मेरे अनुभव कार्यक्रम'' संपन्न, डॉ. माधुरी चौरसिया ने कहां- सपने आसमान के देखें, लेकिन पैर जमीन पर रखें, पढ़े खबर

नीमच। माना कि जिंदगी की राहें आसान नहीं हैं मगर मुस्‍कुराकर चलने में कोई नुकसान नहीं है। जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है, परेशानियां व मुसीबतें आती व जाती रहेंगी लेकिन उनके आगे घुटने टेकने से अच्‍छा है कि अपने कद को उनसे ऊंचा उठाकर आगे बढ़ा जाएं। हर इंसान को जिंदगी में सपने हमेशा आसमान के देखना चाहिए लेकिन पैर हमेशा जमीन पर रखना चाहिए। यह बात समाजसेवी, साहित्‍यकार, शिक्षाविद् व ज्ञानोदय यूनिवर्सिटी की चांसलर डॉ माधुरी चौरसिया ने कही। वे कृति संस्‍था के मेरा जीवन मेरे अनुभव कार्यक्रम में बोल रही थीं।

शहर की अग्रणी साहित्यिक, सांस्‍कृतिक एवं सामाजिक संस्‍था कृति ने मेरा जीवन मेरे अनुभव कार्यक्रम की श्रृंखला में 8 मार्च को रात 8 बजे एलआईसी चौराहा स्थित भगवान श्री परशुराम मंदिर परिसर में डॉ माधुरी चौरसिया के जीवन के संघर्षों व सफलताओं के विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। शुरुआत में अतिथि डॉ अर्चना पंचोली, पूर्व प्राचार्य डॉ मीना हरित सहित अन्‍य ने भगवान परशुराम एवं मां सरस्‍वती का पूजन कर माल्‍यार्पण व दीप प्रज्‍जवलन किया। कृति अध्‍यक्ष इंजीनियर बाबूलाल गौड़ ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्‍तुत की। 

इसके उपरांत डॉ माधुरी चौरसिया ने मेरा जीवन मेरे अनुभव कार्यक्रम में कहा कि आज मैं अपने जीवन के 60 वर्ष पुराने अतीत को देखती हूं तो उसके अंदर यादों के सुनहरे काफिले गुजरते हैं। जब मैं छोटी थी तो आंख खोलते ही मुझे साहित्य का अंबार देखने को मिला। पिता जी साहित्यकार थे, उनके संस्कार स्वत: मेरे अंदर आ गए। पढ़ती थी तो शिक्षिका बनने की बाल सुलभ प्रवृत्ति मन में उभरते रही और उसे प्रवृत्ति के कारण मुझे बचपन में पिटाई भी खाना पड़ी। आगे चलकर एक विद्यालय द्वारा पात्र होने के बाद भी चयनित नहीं करने पर गरीब बच्चों के बीच ज्ञानोदय विद्यालय खोलकर भव्य ज्ञानोदय विश्वविद्यालय तक की यात्रा पूर्ण की है। मेरे पति अनिल चौरसिया हर वक्त मेरे साथ रहे। साल 2008 के बाद पुत्र अभिनव एवं पुत्रवधु गरिमा ने दायित्व हाथ में लिया। बेटी अभिरुचि का काफी महत्‍वपूर्ण योगदान रहा। ज्ञानोदय संस्थान आज विशाल वट वृक्ष के रूप में सामने खड़ा है। 

फार्मेसी, इंजीनियरिंग, कंम्‍प्‍युटर, आर्ट, साइंस, मैनेजमेंट, कॉमर्स, पॉलीटेक्निक कॉलेज, नर्सिंग, बी.एड., आईटीआई के साथ विश्वविद्यालय में अनेक पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। हजारों छात्र यहां अपने स्वर्णिम भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। साथ ही 150 बेड का सर्वसुविधा युक्त मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल निर्मित कर जनता को समर्पित किया है, जिसमें हजारों लोग अपना इलाज कर रहे हैं। राजनीति के क्षेत्र में भी मैंने नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और उसके बाद से राजनीति के दलदल से दूर रहकर पूरी तरह से शिक्षा को ही समर्पित हूं। लेखन के क्षेत्र में शिक्षा एक सार्थक परिसंवाद एवं पथ के प्रदीप मेरी पुस्तक हैं।कृति परिवार द्वारा आयोजित टेपा सम्मेलन की रिपोर्ट भी महत्वपूर्ण हैं। कार्यक्रम का संचालन सत्‍येंद्र सक्‍सेना ने किया। आभार कृति सचिव महेंद्र त्रिवेदी ने माना। 

इस दौरान किशोर जे‍वरिया, प्रकाश भट्ट, ओमप्रकाश चौधरी, नीरज पोरवाल, कमलेश जायसवाल, सत्‍येंद्र सिंह राठौड़, डॉ अक्षय राजपुरोहित, डॉ राजेंद्र जायसवाल, एडवोकेट कृष्‍णा शर्मा, अनिल चौरसिया, जिला पंचायत सदस्‍य तरूण बाहेती, डॉ सुरेंद्र सिंह शक्‍तावत, जगदीश शर्मा, रमेश मोरे, रेणुका व्‍यास, पुष्‍पलता सक्‍सेना, मीना जायसवाल, छाया जायसवाल, भगत वर्मा, डॉ बीएल बोरीवाल आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।