NEWS : मुंशी प्रेमचंद जयंती, जाजू कन्या कॉलेज में विशेष व्याख्यान का आयोजन संपन्न, इन्होंने प्रस्तुत किएं अपने विचार, पढ़े खबर
मुंशी प्रेमचंद जयंती
नीमच। श्री सीताराम जाजू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 31 जुलाई 2024 को मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व एवं कार्यों को याद कर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया। शहर की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था कृति एवं महाविद्यालय के केरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन के साथ किया। इसके बाद सरस्वती वंदना की गई।
कृति अध्यक्ष इंजीनियर बाबूलाल गौड़ व भरत जाजू ने प्राचार्य डॉ. एनके डबकरा का स्वागत किया। विशिष्ट अतिथि विजय बैरागी व डॉ बीना चौधरी का स्वागत कृति परिवार ने किया। इस मौके पर कृति अध्यक्ष गौड़ ने मुंशी प्रेमचंद के संक्षिप्त जीवन परिचय के साथ उनके व्यक्तित्व की विशेषताओं और उनके द्वारा उस समय के समाज में घटित हो रही विभिन्न घटनाओं, सामाजिक परिवेश और समाज के दलित वर्ग की स्थिति एवं समस्या से उबरने के लिए एक निम्न मध्यम वर्ग के व्यक्ति की छटपटाहट को शब्दों में अभिव्यक्त करने की कला का वर्णन किया।
विजय बैरागी ने मुंशी प्रेमचंद द्वारा अति पिछड़े परिवार एवं गांव में जन्म लेने के बावजूद कम संसाधनों में सादा जीवन, उच्च विचार की कल्पना के साथ-साथ समाज में एक आदर्श प्रस्तुत किया। मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित ग़बन, निर्मला, ईदगाह उस समय की सामाजिक पृष्ठभूमि और एक व्यक्ति के अंदर चल रही उठापटक को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। आज हमें प्रेमचंद के जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई को समझने की कोशिश करना चाहिए। किशोर जवेरिया ने भी युवा पीढ़ी को प्रेमचंद द्वारा रचित हिंदी और उर्दू साहित्य को पढ़ने और उनके द्वारा अभिव्यक्त की गई संवेदनाओं को समझने की बात कही।
हिन्दी विषय की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. बीना चौधरी ने कहा कि, प्रेमचंद के साहित्य को जनजीवन से जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए। प्रेमचंद ने जनता की पीड़ा को समझा और उसकी तरफ सभी का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने अपने उपदेशों को स्वयं जीवन में जीया एवं बाल विधवाओं के लिए आवाज़ उठायी। जो प्राप्त है, बहुत ही पर्याप्त है और संगठन की शक्ति पर ज़ोर दिया। प्रेमचंद ने ही किसान विमर्श दिया है, किसान का सर्वप्रथम सम्मान होना चाहिए। प्रेमचंद्र आज भी प्रासंगिक हैं। छात्रा रोहिणी मालवीय ने भी प्रेमचंद के जीवन की विशेषताओं का वर्णन किया।
प्राचार्य डॉ. एनके डबकरा ने कहा प्रेमचंद जी के साहित्य को समझ कर चिंतन करने की आवश्यकता है। प्रगति के साथ नैतिक पतन हो रहा है, वह चिंतनीय है युवाओं को प्रेमचंद के साहित्य पर मंथन करना चाहिए, उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन केरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. रश्मि हरित एवं डॉ. महेन्द्र राव द्वारा किया गया एवं आभार कृति सचिव श्री महेन्द्र त्रिवेदी ने माना। इस अवसर पर कृति संस्था परिवार से रघुनंदन पाराशर, प्रकाश भट्ट, सत्येंद्र सक्सेना, आशा सांभर, रेणुका व्यास, राजेश जायसवाल, कमलेश जायसवाल, गणेश खंडेलवाल, महाविद्यालय परिवार के सदस्य एवं छात्राएं उपस्थित रहीं।