NEWS: जीरन में श्रीराम कथा का दूसरा दिन, साध्वी सुश्री रितु पांडे ने कहां- मित्र के दु:ख को भी पहाड़ जैसा समझना चाहिए... यही है मित्रता, पढ़े खबर

जीरन में श्रीराम कथा का दूसरा दिन, साध्वी सुश्री रितु पांडे ने कहां- मित्र के दु:ख को भी पहाड़ जैसा समझना चाहिए... यही है मित्रता, पढ़े खबर

NEWS: जीरन में श्रीराम कथा का दूसरा दिन, साध्वी सुश्री रितु पांडे ने कहां- मित्र के दु:ख को भी पहाड़ जैसा समझना चाहिए... यही है मित्रता, पढ़े खबर

जीरन। श्री विजय हनुमान मंदिर मालियों की बावड़ी पर आयोजित कार्यक्रम के दूसरे दिन महायज्ञ की तैयारियों के साथ ही श्रीराम कथा साध्वी सुश्री ऋतू पाण्डे द्वारा व्यास पीठ से रामचरित्र मानस पर पाठ किया। साध्वी ने बताया कि, किस तरह रामचरित्र मानस में मित्रता का और भाईयो के मन में एक दूसरे के प्रति अपार प्रेम और त्याग की भावना का सजीव चित्रण रामायण में देखने को मिलता है, ऐसा और कही नही है।

मित्र के सुख के रज जैसा समझो और मित्र के रज जैसे दुख को भी पहाड़ जैसा समझना चाहिए, यही मित्रता है। मित्रता देखना है, तो रामचरित्रमानस इसका वर्णन मिलता है, राम और सुग्रीव की मित्रता अद्भुद है। भाई-भाई का प्रेम देखना है, तो रामचरित्र मानस में दिखाई देता है। जिस तरह से राम और सुग्रीव की मित्रता का वर्णन किया है अद्भुद है। 

उसी प्रकार भाई के प्रति भाई का प्रेम भी रामचरित्रमानस में देखने को मिलता है ऐसा पूरी दुनिया में कही नही है।वनवास राम को मिला था लेकिन भाईयो का प्रेम इतना था कि लक्ष्मण जी राम के साथ वन चले गए तो भारत ने सारा वैभव त्याग कर भगवान राम की चरण पादुका को ही सिंहासन पर रख कर रामकाज किया।ये सिखाता है रामचरित्र मानस की किस तरह से भाईयो में एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम है आज वो नजर नहीं आता।इसीलिए रामचरित्र मानस को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है।

रामायण की एक एक चौपाई में सारा है। उत्तरकांड पढ़ना चाहिए, उसमें बहुत कुछ मिलता है। कैसे बच्चों को पालना कैसे जीवन व्यापन करना सभी औषधि के बारे में लिखा है। किस ओषधि के सेवन से कौनसी बीमारी दूर होती है। रामायण पड़ना चाहिए, रामायण चलती फिरती पाठ शाला है। सिर्फ रामायण पड़ते रहिए उसमें जीवन का सम्पूर्ण सार है।

मीरा बाई का ठाकुर जी के प्रति अपार भग्ति का वर्णन अद्भुद-

हनुमान की भगवान राम के प्रति भग्ति अवर्णनीय है। हनुमान के समान राम भग्त आज तक ना हुआ है, और ना होगा। हनुमान को हनुमान क्यों कहते हैं, क्योंकि हनु यानी कि हरना मान को मान का हरण करने के कारण ही हनुमान को हनुमान कहा जाता है। हनुमान ने अपने अंदर से अहंकार और सभी विकारों का हरण कर राम भग्ति में लीन हो गए। हनुमान का चरित्र रामायण में बहुत ही सुंदर देखने को मिलता है।