BIG NEWS: ATM से रूपए नहीं निकले, तो स्क्रीन को तोड़ा, शिकायत पर आरोपी गिरफ्तार, प्रकरण विचारण के दौरान एक की मौत, अब दूसरे आरोपी को न्यायालय ने सुनाई ये सजा, पढ़े खबर

ATM से रूपए नहीं निकले, तो स्क्रीन को तोड़ा, शिकायत पर आरोपी गिरफ्तार, प्रकरण विचारण के दौरान एक की मौत, अब दूसरे आरोपी को न्यायालय ने सुनाई ये सजा, पढ़े खबर

BIG NEWS: ATM से रूपए नहीं निकले, तो स्क्रीन को तोड़ा, शिकायत पर आरोपी गिरफ्तार, प्रकरण विचारण के दौरान एक की मौत, अब दूसरे आरोपी को न्यायालय ने सुनाई ये सजा, पढ़े खबर

नीमच। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री संध्या मरावी द्वारा बैंक के ए.टी.एम. में तोड़-फोड़ करने वाले आरोपी योगेश (26) निवासी-नयापुरा रोड़, मन्दसौर को 3 वर्ष के कठोर कारावास व कुल 2 हजार जुर्माने से दण्डित किया।

एडीपीओ रितेश कुमार सोमपुरा द्वारा जानकारी देते हुुए बताया कि, घटना दिनांक 29.11.2017 की कमल चौक स्थित पंजाब नेशनल बैंक के ए.टी.एम. की हैं। आरोपी योगेश गेहलोत व दिपेश पंवार दोनो ए.टी.एम. कक्ष में रूपये निकालने के लिए गये थे, किन्तु मशीन में से रूपये नहीं निकलने के कारण आरोपी योगेश ने मशीन की स्क्रीन पर मुक्का मारकर उसे क्षतीग्रस्त कर दिया। आरोपियों को ऐसा करते हुए चपरासी विकास ने देख लिया। 

जिस कारण उसने दरवाजा बंद कर मैनेजर विनोद धाकड़ को घटना की सूचना दी, जिसके बाद मैनेजर द्वारा पुलिस को बुलाया, तथा पुलिस आरोपीयों को केंट थाने पर ले जाकर उनके विरूद्ध अपराध क्रमांक 568/2017, धारा 451 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 व धारा 3 लोक सम्पत्ति को नुकसानी का निवारण अधिनियम, 1984 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की गई। 

प्रकरण की विवेचना ए.एस.आई. कन्हैयालाल सौलंकी द्वारा की गई, जिनके द्वारा ए.टी.एम. मशीन में हुए लगभग 1 लाख रूपये के नुकसान के संबंध में नुकसानी पंचनामा बनाया। ए.टी.एम. कक्ष के सीसीटीवी फुटेज को प्राप्त कर शेष आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। प्रकरण के विचारण के दौरान एक आरोपी दिपेश पंवार की मृत्यु हो जाने से आरोपी योगेश के विरूद्ध विचारण हुवा।

विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से न्यायालय में फरियादी व चश्मदीद साक्षीगण सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराये गये तथा घटना की सीसीटीवी फुटेज को न्यायालय के समक्ष चलाया गया, जिसमें आरोपी मुक्का मारकर ए.टी.एम. की स्क्रीन को तोड़ते हुए दिखाई दे रहा था। अभिलेख पर आई साक्ष्य के आधार पर अभियोजन द्वारा अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराकर आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया। 

माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 451 के अंतर्गत 1 वर्ष के कठोर कारावास व 1 हजार जुर्माना तथा धारा 3 लोक सम्पत्ति को नुकसानी का निवारण अधिनियम, 1984 में 3 वर्ष के कठोर कारावास व 1 हजार जुर्माने से दण्डित करते हुए दोनो सजायें एक साथ भुगताये जाने का आदेश किया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी रितेश कुमार सोमपुरा, एडीपीओ द्वारा की गई।