लाइफ स्टाइल : बच्चो को लग गई मोबाईल की लत,और घर में हो रहे झगड़े भी,तो अब अपनाये ये महत्वपूर्ण टिप्स,पढ़े ये खबर

बच्चो को लग गई मोबाईल की लत,और घर में हो रहे झगड़े भी,तो अब अपनाये ये महत्वपूर्ण टिप्स

लाइफ स्टाइल : बच्चो को लग गई मोबाईल की लत,और घर में हो रहे झगड़े भी,तो अब अपनाये ये महत्वपूर्ण टिप्स,पढ़े ये खबर

मोबाइल को लेकर अक्सर देखने में आ रहा है की माता-पिता और बच्चों में होती है लड़ाई, तो यहां है सोल्यूशन। यहां आपको अपने बच्चे को मोबाइल देने से जुड़ी जानकारियां व टिप्स मिलेंगे जैसे - बच्चों के साथ वक्त बिताना, खेलने के लिए प्रोत्साहित करना।

बच्चे हो या बड़े हर कोई आजकल गैजेट्स में खोया रहता है। चाहे वो लैपटॉप हो, टैब हो या मोबाइल हो, बड़ों की तरह ही बच्चे भी गैजेट्स के एडिक्टेड होते जा रहे हैं। खासकर अगर बात हो मोबाइल की तो कई पैरेंट्स की शिकायत होती है कि उनके बच्चे का स्क्रीन टाइम काफी ज्यादा रहता है। जब भी खाली टाइम मिले तो बच्चे अपना टाइम पास मोबाइल में गेम खेलते हुए या रील देखते हुए ही बिताते देखे जा रहे हैं,

ऐसे में यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि उन्हें वक्त रहते इस स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। हालांकि, कई बार पैरेंट्स बच्चों को समझाने की कोशिश भी करते हैं, लेकिन इससे बच्चे और उनके बीच बहस या लड़ाई-झगड़ा शुरू हो जाता है। कभी-कभी तो बच्चे पैरेंट्स से ही अपने आपकी तुलना करने लगते हैं, जिस कारण पैरेंट्स के पास भी कोई जवाब नहीं रहता है,

ऐसे में यह जरूरी है कि इस संवेदनशील स्थिति को बहुत ही समझदारी से सुलझाया जाए। तो यहां आपको ऐसे ही कुछ टिप्स मिलेंगे जिससे आप अपने बच्चे से बिना झगड़े आसानी से मोबाइल से दूर रख पाएंगे,

नियम बनाएं.......। 
देखा जाए तो आजकल मोबाइल एक जरूरत बन चुकी है। ऐसे में बच्चे को कौन सी एज में मोबाइल देना है पहले वह तय कर लें। फिर जब आप बच्चे को मोबाइल दें तो उसके यूज के बारे में बताएं और एक रूल बना दें। रूल में ये चीजें होनी चाहिए कि मोबाइल का यूज कब करना है? कितनी देर करना है? और क्यों करना? इस तरह के सवालों के जवाब उनके सामने रखें।


खेल की अहमियत समझाएं..........। 
बच्चे को मोबाइल छोड़कर बाहर खेलने के लिए इंस्पायर करें। उन्हें बताएं खेलना उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कितना जरूरी है। साथ ही साथ उन्हें दोस्त बनाने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वो ज्यादा से ज्यादा वर्चुअल नहीं बल्कि रियल में दोस्त बनाने की कोशिश करें।

वक्त बिताएं​..........। 
बच्चे वही सीखते हैं जो अपने पेरेंट्स को करते देखते हैं। ऐसे में अगर पेरेंट्स होने के नाते आप उन्हें वक्त नहीं देंगे व अपने मोबाइल में ही व्यस्त रहेंगे तो उनके पास तुलना करने का व लड़ने का बहुत अच्छा बहाना रहेगा। इसलिए बच्चों को समझाने से पहले यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि पहले वो समझें कि हर वक्त मोबाइल यूज करना गलत है। फैमिली टाइम को अलग रखें और ज्यादा से ज्यादा बच्चों के साथ वक्त बिताएं।

यु समझदारी से काम लें.......। 
मोबाइल के लेकर अगर बच्चें बहस करें तो उन पर चिल्लाने या हाथ उठाने की गलती न करें। ऐसा करने से बच्चे काफी ज्यादा आक्रामक या गुस्से में आ जाते हैं। दरअसल, बच्चों में यह बहुत ही सामान्य है कि उन्हें जो करने से मना किया जाए वो वही करते हैं। ऐसे में उन पर गुस्सा करके उन्हें उकसाने के बजाय उन्हें समझें और धैर्य के साथ समझाएं।


तय करें समय .....। 
अगर आप बच्चों पूरी तरह से मोबाइल यूज करने से मन करेंगे तो उनकी जिज्ञासा और ज्यादा बढ़ जाएगी। ऐसे में उनके लिए मोबाइल के यूज का टाइम तय कर लें। उन्हें बताएं कि खाते वक्त, खेलते वक्त या सोने से पहले मोबाइल का यूज बिल्कुल न करें। साथ ही साथ आप पेरेंट्स होने के नाते भी इन रूल्स को फॉलो करें।


अन्य एक्टिविटीज ये .......। 
बच्चों को अलग-अलग एक्टिविटीज में फोकस कराएं। ड्रॉइंग, पेंटिंग, डांसिंग, सिंगिंग या गेमिंग जैसे एक्टिविटीज को करने के लिए प्रोत्साहित करें। इतना ही नहीं, सोने से पहले या खाली टाइम में उन्हें रीडिंग की आदत लगवाएं। ध्यान रहे इस दौरान आप वाईफाई को भी बंद रखें या कोशिश करें कि मोबाइल जब दें तो जितना हो सके वाईफाई का कनेक्शन भी न दे ,