BIG NEWS: स्वदेश दर्शन योजना को आठ साल, नीमच को नहीं मिला लाभ, सांसद घोषणा के अनुरूप जिम्मेदारी से करते कार्य, तो विकसित कर सकते थे टूरिस्ट सर्किट, कांग्रेस नेता भानुप्रताप के गंभीर आरोप, पढ़े ये खबर

स्वदेश दर्शन योजना को आठ साल, नीमच को नहीं मिला लाभ

BIG NEWS: स्वदेश दर्शन योजना को आठ साल, नीमच को नहीं मिला लाभ, सांसद घोषणा के अनुरूप जिम्मेदारी से करते कार्य, तो विकसित कर सकते थे टूरिस्ट सर्किट, कांग्रेस नेता भानुप्रताप के गंभीर आरोप, पढ़े ये खबर

नीमच। जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष और नीमच विधानसभा क्षेत्र के सक्रिय नेता भानुप्रताप सिंह राठौड़ भाटखेड़ा ने आरोप लगाया है कि, क्षेत्रीय भाजपा सांसद की नीमच जिले के प्रति उदासीनता के कारण केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2015 में प्रारम्भ की गई स्वदेश दर्शन योजना का आठ साल में कोई भी लाभ जिले को नहीं दिला सकें हैं। अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं, और अगर सांसद अभी भी मन से प्रयास करें तो जिले को पर्यटन के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जा सकता हैं।

जारी बयान में भानुप्रताप सिंह राठौड़ ने कहा कि, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने वर्ष 2015 में स्वदेश दर्शन योजना प्रारंभ की हैं। यह एक ऐसी योजना है जिसका उद्देश्य पर्यटन स्थलों की मूलभूत सुविधाओं में सुधार तथा विस्तार कर सम्बद्ध केंद्रों को दर्शनीय और आकर्षण का केंद्र बनाना हैं। इसके अंतर्गत अलग-अलग थीम पर इंटीग्रटेड टूरिस्ट सर्किट बनाने की कार्य योजना को साकार करने पर जोर दिया गया हैं। 

केंद्र सरकार ने योजना को मूर्त रूप देने के लिए लगभग सात हजार करोड़ रु का बजट भी जारी किया और विभिन्न सर्किट विकसित करने की दिशा में 79 योजनाएं भी जारी की हैं। गौर करने लायक बात यह हैं कि, केंद्र और राज्य में भाजपा नीत सरकार हैं, और सांसद भी इसी दल के हैं। नीमच जिले के तीनों विधायक भी भाजपा के हैं और इनमें से एक राज्य के कैबिनेट मंत्री भी हैं। 

राठौड़ ने कहा कि, इस तरह के सर्वथा अनुकूल एवं शक्तिशाली सत्ता समीकरणों के रहते केंद्र सरकार द्वारा प्रचलित योजनाओं से क्षेत्र को लाभान्वित करने के लिए अगर सांसद नीमच जिले के विकास में वास्तविक रुचि लेकर प्रभावी पहल करते तो प्रमुख स्थलों के विकास हेतु बहुत आसानी से स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत भरपूर बजट स्वीकृत करवा कर यहां पर्यटन विकास के लक्ष्य को आसानी से हांसिल किया जा सकता था। सांसद ने आरंभिक रूप से योजनाओं को लेकर उत्साह दिखाते हुए घोषणा भी की थी कि नीमच जिले के साथ राजस्थान के चितौड़गढ़, उदयपुर, सांवरियाजी और मध्यप्रदेश के मंदसौर और उज्जैन क्षेत्र के सुप्रसिद्ध धार्मिक, ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक स्थलों को एक सर्किट में जोड़कर विकास किया जाएगा। इस घोषणा के बाद लगभग आठ वर्ष व्यतीत होने को है और वर्ष 2015 से जारी केंद्र की योजना अंतर्गत जिले को घोषित और अपेक्षित लाभ की आज तक भी प्रतीक्षा है।

राठौर ने कहा कि अगले वर्ष लोकसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं और अगर सांसद अभी भी नीमच जिले के प्रति अपनी कुछ जिम्मेदारी समझते हैं तो उनको केंद्र की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत नीमच जिले में विद्यमान संभावनाओं के अनुरूप कदम उठाते हुए कार्य करना चाहिए ।  इस दिशा में जहां तक नीमच जिले की संभावनाओं का सवाल है तो दुनियाँ के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ की जन्मस्थली नीमच में फोर्स का राष्ट्रीय म्यूजियम स्थापित करने का प्रयास होता है तो यह देश भर के लिए बड़े आकर्षण का केंद्र साबित हो सकता है और इसके लिए अतिरिक्त बजट सीआरपीएफ से भी मिल सकता है ।

इसके अलावा जिले में प्रसिद्ध धार्मिक स्थल सुखानंद , भादवा माता तथा रामपुरा स्थित बोहरा  समाज के धर्म स्थल का समुचित विकास  किया जाए । बरुखेड़ा के प्रसिद्ध मंदिर , जीरन का किला तथा खोर स्थित नवतौरण मंदिर को सर्व सुविधा युक्त बनाकर इस श्रृंखला से जोड़ा जा सकता है । जावद क्षेत्र में डीकेन के पास भीमबेटका से भी समृद्ध शैल चित्र का अनोखा खजाना है । कामा किरता तालाब पर विदेशी पक्षियों का आगमन अद्भुत आकर्षण रचते हैं । मोरवन बांध तथा गांधी सागर क्षेत्र में ग्रामीणों के सहयोग से कॉटेज बनाया जाए तो वीकेंड के केंद्र सिद्ध हो सकते हैं।

नीमच क्षेत्र के शिवाजी सागर , अटल सागर तथा चैनपुरा तालाब में वर्ष भर पानी रहने की सूरत में वाटर स्पोर्ट्स विकसित किए जा सकते हैं । श्री राठौर ने कहा कि समग्र रूप से देखें तो जिले का सघन सर्वे कर धार्मिक , प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक स्थलों को चिन्हित करते हुए इनके समुचित विकास एवं मूलभूत सुविधाओं में सुधार एवं विस्तार हेतु प्रभावी योजनाएं बनाई जाकर केंद्र की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत मंजूर करवाने के प्रयास प्राण प्राण से किए जाएं तो कामयाबी मिलना निश्चित है ।

राठौड़ ने कहा कि अगर स्वदेश दर्शन योजना का लाभ अर्जित करते हुए प्रमुख स्थलों का विकास कर नीमच जिले को राजस्थान सर्किट से जोड़ा जाए तो जिले के लिए पर्यटन सेक्टर भी आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है । तमाम अनुकूलताओं और सत्ता  शक्ति के अनुकूल समीकरण और सामर्थ्य के बावजूद अभी तक अगर जिले में पर्यटन विकास नहीं हो पाया है तो निश्चित रूप से कटघरे में सांसद और उनकी भूमिका है यह बताने की जरूरत नहीं है।