BIG NEWS : MP में नगरीय निकाय और पंचायत से पहले होंगे ये चुनाव !... तैयारियां हुई तेज, क्या जल्द बज सकता है बिगुल, पढ़े ये खबर

MP में नगरीय निकाय और पंचायत से पहले होंगे ये चुनाव !... तैयारियां हुई तेज, क्या जल्द बज सकता है बिगुल, पढ़े ये खबर

BIG NEWS : MP में नगरीय निकाय और पंचायत से पहले होंगे ये चुनाव !... तैयारियां हुई तेज, क्या जल्द बज सकता है बिगुल, पढ़े ये खबर

डेस्क। एमपी में अप्रैल महीने के बाद पंचायत के चुनाव आयोजित होने हैं। इससे पहले प्रदेश में सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है। माना जा रहा है कि प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले सहकारी संस्थाओं के चुनाव करवाए जाएंगे। इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। इतना ही नहीं, सहकारी संस्थाओं के चुनाव के लिए 6 महीने से रिक्त राज्य सहकारी निर्वाचन अधिकारी पद पर सेवानिवृत्त आईएएस एमबी ओझा की नियुक्ति की गई

आपकों बता दें कि प्रदेश में पिछले 10 साल से सहकारी संस्थाओं के चुनाव आयोजित नहीं किए गए, वहीं अब संस्थाओं की सदस्यता सूची को अंतिम रूप देने का कार्य किया जा रहा है। जिसके बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शिवराज सरकार ने संस्थाओं के चुनाव कराने का भी फैसला कर लिया। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई, एमपी में आगामी 25 अप्रैल तक पंचायत के चुनाव नहीं होने हैं। इसी विषय का निर्वाचन अधिकारी पदस्थ करने के साथ ही इसके लिए तैयारियों पर जोर दिया जा रहा है। 

माना जा रहा है कि सहकारी संस्था में चुनाव कराने की संपूर्ण जिम्मेदारी सहकारी अधिनियम के अनुसार निर्वाचन प्राधिकारी को सौंपी जाएगी। मामले में अधिकारियों की माने तो प्राथमिक स्तर पर समितियों का संचालक मंडल तैयार किया जाएगा। वहीं संचालक मंडल बनने के साथ ही सहकारी केंद्रीय बैंक के चुनाव आयोजित करवाए जाएंगे। प्रदेश में जिला सहकारी बैंकों के चुनाव के बाद ही राज्य सहकारी बैंक के चुनाव आयोजित होंगे। वही चरणबद्ध तरीके से अखिल भारतीय सहकारी संस्थाओं में प्रतिनिधि का चयन किया जाएगा। 

अब देखना है कि इस मामले में कितना समय लगता है, लेकिन इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। वहीं दो-तीन महीने में इसके लिए जल्द बड़ा फैसला लिया जा सकता है। मध्य प्रदेश में 4500 से अधिक प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति हैं। जिसमें 55 लाख से अधिक किसान इन समितियों से जुड़े हुए हैं। समितियों द्वारा किसानों को आर्थिक लाभ दिया जाता है। वही 27 से 28 लाख किसान प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक ब्याज रहित ऋण इन्हीं सहकारी समितियों से प्राप्त करते हैं।