BIG BREAKING: चंगेरा मंडी में उपज की बोली, फिर इस बात को लेकर व्यापारी और किसान आमने-सामने, डेढ़ घंटे से नीलामी बंद, क्या शेर को मिल गया सवाशेर, पढ़े महेंद्र अहीर की खबर
चंगेरा मंडी में उपज की बोली, फिर इस बात को लेकर व्यापारी और किसान आमने-सामने, डेढ़ घंटे से नीलामी बंद, क्या शेर को मिल गया सवाशेर, पढ़े महेंद्र अहीर की खबर
नीमच। जिले की चंगेरा मंडी में उपज के भाव को लेकर व्यापारी और किसान आमने-सामने हो गए, दोनों के बीच हुई तूतू-मैंमैं के बाद करीब डेढ़ घंटे से मंडी बंद है, और फिर आखिर में किसान की जीत हुई, व्यापारी ने बोली के दौरान तय हुए दामों में ही किसान की उपज खरीदी।
जानकारी के अनुसार बुधवार को चंगेरा मंडी में जिले सहित आसपास के क्षेत्रों के कई किसान अपनी गेहूं की उपज लेकर पहुंचे। इसी दौरान जब ढेर की बोली लग रही थी, तो मंत्री ब्रदर्स नामक फर्म के संचालक राजेश मंत्री ने एक ढेर की बोली लगाई, और फिर कुछ देर बाद गेहूं की क्वालिटी हल्की बताकर ढेर को लेने से इन्कार कर दिया।
इसके बाद उपज का मालिक यानी किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। बोली लगाने के बाद किसान ने उसी व्यापारी को उपज खरीदने की बात कही। जिसके बाद अन्य किसान भी एकत्रित हो गए, और हो-हल्ले के दौरान करीब डेढ़ घंटे तक मंडी में नीलामी बंद कर दी। फिर थम हारकर व्यापारी ने तय भाव 2413 रूपये में किसान की उपज को खरीदा। अंत में आखिरकार किसानों के सामने व्यापारियों को झूकना ही पड़ा। ऐसे में कहीं शेर को सवाशेर मिलने वाली कहावत कहीं ना कहीं सच हो गई।
लेकिन इसके बाद किसानों से एक और मांग रखते हुए मंडी को चालू नहीं किया। उन्होंने व्यापारियों से कहां कि, बोली लगने के बाद उपज को व्यापारियों के गोदाम तक छोड़कर आना पड़ता है। कभी 8 तो कभी 10 किलोंमीटर दूर जाना पड़ता है। इसका खर्च भी अब व्यापारियों द्वारा ही दिया जाए, हालांकि फिलहाल मंडी बंद है, अब देखना यह है कि, किसानों की इस मांग का क्या हल निकलता है।
इनका कहना-
मैं सबसे पहली बात तो यह कहना चाहूंगा कि, नीमच मंडी हो या चंगेरा मंडी, दोनों ही जगहों पर ढेर उतरकर उपज नीलाम होनी चाहिए, इससे श्रमिकों को रोजगार मिले, दूसरा किसानों और व्यापारियों के बीच होने वाली कहांसुनी भी बंद हो, और जो छोटा किसान अपनी उपज नहीं ला पाता है, साधन के अभाव में, वह भी अपनी उपज लेकर पहुंचे। रहीं किसान और मैरे बीच विवाद की बात तो, ऐसा कुछ हुआ नहीं, मैरे द्वारा किसानों को हाथों हाथ पर्ची दे दी गई। उसे बस यही कहां था कि, तुम्हारे माल में उपर-नीचे में कितना फर्क है, जब वह राजी नहीं हुआ, तो मैने उसे पर्ची दी और तौल करा लिया। वह बात तो दो मिनट में खत्म हो गई थी। विवाद इस बात का था कि, कुछ किसान बोले कि वह मंडी में से माल बाहर लेकर नहीं जाएंगे।- राजेश मंत्री, संचालक मंत्री ब्रदर्स।