EXCLUSIVE : नीमच में यहां खिला ब्रह्म कमल का फूल, डेढ़ साल की मेहनत का इन्हें मिला फल, शिवजी को चढ़ाने पर वरदान, तो सुख-संपत्ति में भी होती है वृद्धि, एक झलक से चमक सकती है किस्मत..! क्या खासियत, और क्यों है उपयोगी, पढ़े ये खबर
नीमच में यहां खिला ब्रह्म कमल का फूल, डेढ़ साल की मेहनत का इन्हें मिला फल, शिवजी को चढ़ाने पर वरदान, तो सुख-संपत्ति में भी होती है वृद्धि, एक झलक से चमक सकती है किस्मत..! क्या खासियत, और क्यों है उपयोगी, पढ़े ये खबर
रिपोर्ट- अभिषेक शर्मा
नीमच। मंदिर में देवी-देवताओं को चढ़ाना हो, या अपने घरों में चार चांद लगाने हो, फूल जहां भी होते है, उस जगह की शोभा बढ़ाते है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसे फूल के बारे में सुना है, जो भाग्य भी चकमा देता हो...! जी हां, एक ऐसा भी बेहत खास फूल इन दिनों शहर की एक काॅलोनी में चर्चा का विषय बना हुआ है। जब लोगों ने इंटरनेट पर उस फूल के बारे में पढ़ा तो वह हैरान भी रह गए। जिसके बाद आमजन यहां फूल की एक झलक पाने के लिए पहुंचे, और इस पर हिन्दी खबरवाला की टीम भी यहां पहुंची, और कुछ तस्वीरें कैमरे में कैद की
दरअसल, शहर के इंदिरा नगर स्थित क्लासिक क्राउन सिटी कॉलोनी निवासी पीजी काॅलेज की प्रोफेसर अर्पणा रे को पेड़-पौधों से काफी लगाव है। इसी कारण उन्होंने अपने घर में एक मिनी नर्सरी या यूं कहें मिनी गार्डन भी बनाया हुआ है। इस मिनी गार्डन में मौजूद हर एक पौधे की देखभाल शुरूवात से इन्होंने ही की। पौधों को लगाने, उन्हें पानी पिलाने से लेकर सहेजकर बड़ा करने तक की जिम्मेदारी वह बखूरी निभाती है। कहां जा सकता है कि, काॅलेज के अलावा उनका समय अपने घर में ही इस नर्सरी के बीच में गुजरता है।
इन्हीं सब पौधों के बीच में एक पौधा ऐसा भी है, जिसकी देखभाल वह पिछले करीब डेढ़ साल से कर रही है, और अब जाकर उसमे एक फूल आया, जो कि ब्रह्म कमल के नाम से देशभर में मशहूर है। जब प्रोफेसर अर्पणा रें से ब्रह्म कमल के फूल के संबंध में चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि, वह इसका पौधा उज्जैन स्थित अपने घर से लाई थी। फिर डेढ़ साल तक उन्होंने दिन-रात उसकी देखभल की। जिसके बाद अब जाकर कहीं उस पौधे में एक ब्रह्म कमल का फूल आया। फूल की खास बात यह है कि, वह पौधे में लगे पत्ते पर खिलता है। और जिस घर में यह होता है, उस व्यक्ति की किस्मत रातों-रात बदल भी जाती है।
क्या है ब्रह्म कमल और क्यों माना जाता है बेहद खास-
एक नजर यहां भी-
साल में सिर्फ एक रात खिलने वाला रहस्यमयी फूल ब्रह्म कमल है, विशेषज्ञों का मानना है कि, इस फूल के खिलने का सही वक्त जुलाई-अगस्त है, उसमे भी किसी एक दिन ही यह खिलता हुआ नजर आता है,
चमक सकती है किस्मत..!
मान्यता है कि, जैसे-जैसे ये फूल खिलता है, उसी प्रकार व्यक्ति का भाग्य भी खिल उठता है, बिगड़े काम संवर जाते हैं, आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगती है, सुख-समृद्धि का वास होता है
ज्यादातर ऊंचाई पर ही मिलता है ब्रह्म कमल-
ये कमल का फूल एक खास किस्म का है, जो भारत में हिमाचल, हिमालय और उत्तराखंड में पाया जाता है, इसके अलावा बर्मा और चीन के कुछ पहाड़ी इलाकों में भी ब्रह्म कमल दिखता है, आमतौर पर ये फूल काफी दुर्गम स्थानों पर होता है, और कम से कम 4500 मीटर की ऊंचाई पर ही दिखता है, एक बार यह फूल 3000 मीटर की ऊंचाई पर भी पाया गया है
औषधि में उपयोगी-
साल में केवल एक बार खिलने वाले इस फूल को पूरी तरह से खिलने में घंटों लगते है, इसमें यह 8 इंच तक खिल जाता है, फिर कुछ घंटों बाद ये बंद भी हो जाता है, फूल के कई चिकित्सकीय इस्तेमाल भी हैं, जैसे इसे आयुर्वेद में काफी मान्यता मिली हुई है, वैज्ञानिक नाम के साथ इसे कई दवाओं में काम में लिया जाता है, जिनमें पुरानी खांसी में यह मुख्य रूप से कारगार साबित होता है
कई असाध्य बीमारियों में दवा की तरह काम करता है-
कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों के इलाज का भी दावा किया जाता है, इनके अलावा जननांगों की बीमारी, लिवर संक्रमण, यौन रोगों का इलाज भी इससे होता है, हड्डियों में दर्द से राहत में भी इस फूल के रस का पुल्टिस बांधना आराम देता है, हालांकि अभी तक ऐसे किसी दावों की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन ये काफी प्रचलित है, और इसी वजह से ये फूल ऊंचाई पर होने के बाद भी कम हो रहे हैं
ऐसे हुई थी ब्रह्म कमल की उत्पत्ति-
पौराणिक मान्यता है कि, ब्रह्म कमल भगवान शिव का सबसे प्रिय पुष्प है। केदारनाथ और बद्रीनाथ के मंदिरों में ब्रह्म कमल ही प्रतिमाओं पर चढ़ाए जाते हैं। किवदंति है कि, जब भगवान विष्णु हिमालय क्षेत्र में आए तो उन्होंने भोलेनाथ को 1000 ब्रह्म कमल चढ़ाए, जिनमें से एक पुष्प कम हो गया था। तब विष्णु भगवान ने पुष्प के रुप में अपनी एक आंख भोलेनाथ को समर्पित कर दी थी। तभी से भोलेनाथ का एक नाम कमलेश्वर और विष्णु भगवान का नाम कमल नयन पड़ा।
ब्रह्म कमल भगवान ब्रह्मा का प्रतिरूप माना जाता है, और इसके खिलने पर विष्णु भगवान की शैय्या दिखाई देती है। यह मां नन्दादेवी का भी प्रिय पुष्प है। इसे नन्दाष्टमी के समय में तोड़ा जाता है और इसके तोड़ने के भी सख्त नियम होते हैं जिनका पालन किया जाना अनिवार्य होता है। इससे बुरी आत्माओं को भगाया जाता है।