NEWS: समस्त ट्रेड यूनियनों ने मिलकर मनाया मई दिवस, तो  कॉमरेड बादल सरोज ने कहीं ये बात, पढ़े खबर 

समस्त ट्रेड यूनियनों ने मिलकर मनाया मई दिवस, तो  कॉमरेड बादल सरोज ने कहीं ये बात, पढ़े खबर 

NEWS: समस्त ट्रेड यूनियनों ने मिलकर मनाया मई दिवस, तो  कॉमरेड बादल सरोज ने कहीं ये बात, पढ़े खबर 

नीमच। मई दिवस जलसे का आगाज़ निरंजन गुप्त राही के गीत भैया अब तो जागो से हुआ। कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि वक्ता कामरेड बादल सरोज ने कहां कि यह मई दिवस ऐसा त्यौहार है, जिसे दुनिया के हर देश हर धर्म का व्यक्ति पूरी दुनिया में मनाता है। दुनिया के बाकी सभी त्यौहार देश जाति धर्म में बटे हुए हैं। 1 मई ही ऐसा त्योहार है जिसे बिना किसी भेदभाव के दुनिया का हर मजदूर संकल्प दिवस के रूप में मनाता है। मई दिवस के आरंभ से लेकर आज तक हर श्रमिक अपने देखे हुए सपनों को साकार करने के संकल्प के रूप में मनाता आया है। यह मानवता का दिवस है। आरंभ में यह सारी दुनिया एक थी। शोषण के स्वार्थों ने इससे राज्य और देशों में बांट दिया। 

यह सीमाएं क्षेत्र विशेष के शोषण के बंटवारे से अधिक और कुछ नहीं है। पुरातात्विक और ऐतिहासिक तथा वैज्ञानिक खोजों ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि मानवता का आरंभ अफ्रीका से हुआ। जोहांसबर्ग के पास किए गए पुरातात्विक खनन में विश्व की प्रथम माता का कंकाल प्राप्त हुआ है। यह बात यह साबित करती है कि दुनिया के सभी मनुष्य उसी माता की संतति है, अर्थात मनुष्य और मनुष्य में जो भेद किया जाता है, वह शोषण की मंशा को पूर्ण करने के लिए किया जाता है। इतिहास साक्षी है कि जब मजदूर वर्ग की सत्ता स्थापित होती है तो शोषण की अमरबेल शुष्क हो जाती है। जब मजदूर वर्ग की सत्ता आती है तो मशीनीकरण का उपयोग पूंजी पतियों के लाभ के लिए नहीं बल्कि मजदूरों के लाभ के लिए किया जाता है। ऑटोमेशन अधिक अर्थ उत्पन्न करता है उस अर्थ का उपयोग मजदूरों को आराम देने के लिए किया जाता है। 

स्वचालित यंत्रों के कारण उत्पादन में वृद्धि और कम आदमियों की आवश्यकता के चलते मजदूरों के काम के घंटे कम किए जाते हैं तीन की जगह चार पारियों में कारखाना चलाया जाता है और मजदूरों की वेतन वृद्धि की जाती है। हां यह सब हुआ है। यह सब करके दिखाया गया है। मजदूर वर्ग की सत्ता ने 1985 में रूस में रोटी मुफ्त कर दी थी। मजदूर वर्ग की सत्ता समाज के प्रत्येक तबके के उत्थान के लिए काम करती है। 1936 से 1991 तक सोवियत संघ में किसी वस्तु के दाम बढ़े नहीं बल्कि कम हुए। पूंजीवाद लोगों की कठिनाइयां बढ़ाता है। पूंजीवाद  में  बेरोजगारी, गरीबी, बदहाली, दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती है। क्यूबा के सदर फिदेल कास्त्रो ने कहा था दुनिया में जितने संसाधन उपस्थित हैं उनसे दुनिया के प्रत्येक घर के सामने एक कार खड़ी की जा सकती है और उस घर में भरपूरखाद्य भंडारण किया जा सकता है तात्पर्य यह कि मौजूदा संसाधनों से दुनिया के हर आदमी को साधन संपन्नता और भरा पेट जिया जा सकता है।

कहने को अमेरिका दुनिया का धन्ना सेठ है लेकिन पहले वहां की जनसंख्या का 25% गरीबी की रेखा से नीचे था और अब हालत यह है कि 35% जनसंख्या वहां गरीबी से नीचे है। इसका कारण यह है कि पूंजीवाद कुछ गिने-चुने लोगों के लिए काम करता है। सिर्फ उन्हें शोषण के साधन मुहैया करवाता है। उसे जनता की कोई परवाह नहीं होती। आपको सोचना चाहिए 2014 से पहले जिस अडानी की पूंजी सिर्फ 50 करोड़ थी आज वही 12 सो करोड़ प्रति घंटा के हिसाब से कमाता है क्यों और कैसे..?


मई दिवस शोषण के विभिन्न रूपों को ध्वस्त करने के संकल्प के रूप में मनाया जाना चाहिए। शोषक व्यवस्था पहले मानस पर कब्जा करती है फिर नियतिवाद का सहारा लेती है और सांप्रदायिकता को हथियार के रूप में इस्तेमाल करती है। यह सब उसके शोषण के हथियार हैं। इनसे लड़ने के लिए ही और अपने सपनों को साकार करने का संकल्प लेने का दिवस ही मई दिवस है। कार्यक्रम में शायर आलम तौक़ीर ने अपना कलाम पेश किया। वहीं प्रियंका कविश्वर, कॉमरेड किशोर जेवरिया, कॉमरेड शैलेंद्र सिंह ठाकुर तथा विजय बैरागी ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन कामरेड कैलाश चंद्र सेन ने किया तो आभार अहमद हुसैन मुन्ना ने प्रकट किया।