NEWS : पूर्व IAS वरद मूर्ति मिश्र का सेवा का ऐसा जज्बा,की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले उतरे जनसेवा में,राजनीति क्षेत्र में भी अब काम,नीमच प्रवास के दौरान कही ये बड़ी बाते, पढ़े ये खबर

पूर्व IAS वरद मूर्ति मिश्र का सेवा का ऐसा जज्बा,की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले उतरे जनसेवा में,राजनीति क्षेत्र में भी अब काम,नीमच प्रवास के दौरान कही ये बड़ी बाते,

NEWS : पूर्व IAS वरद मूर्ति मिश्र का सेवा का ऐसा जज्बा,की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले उतरे जनसेवा में,राजनीति क्षेत्र में भी अब काम,नीमच प्रवास के दौरान कही ये बड़ी बाते, पढ़े ये खबर

इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में जहां लोगों को अपने काम से फुर्सत नहीं है। वहीं कुछ लोगों में सामाजिक सेवा का ऐसा जज्बा़ देखने को मिलता है जो सभी को हैरत में डाल देता है। हम बात कर रहे हैं पूर्व आईएएस वरद मूर्ति मिश्र की। मिश्र में समाज सेवा का ऐसा जज्बा है कि वह अपनी प्रशासनिक सेवा छोड़कर लोगों के अधिकारों की लड़ाई कर रहे है। वरद मूर्ति मिश्र पूर्व आई.ए.एस. की सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अब जनता के बीच, जनता के अधिकारों की लड़ाई लड़ने उनके बीच जाते हैं।

अपने 26 वर्ष के शासकीय सेवाकाल के दौरान भी उन्होंने यथासंभव जनमानस के लिए बेहतर करने की कोशिश की। प्रशासनिक तंत्र में रहते हुए व्यवस्था में सुधार और समाज के विकास हेतु अपनी क्षमता के अनुसार योगदान दिया।  मिश्र का मानना था कि तंत्र के भीतर रहते हुए यह स्पष्ट हो गया था कि पूरा तंत्र लगभग समाप्त एवं यह दिनोंदिन नागरिकों से दूर होता जा रहा है। तंत्र में जनोन्मुखी व्यवस्था समाप्त सी हो चली है। तंत्र मजबूतों के पक्ष में खड़ा दिखाई देता है इसलिए तंत्र के भीतर रहकर आपके पास सुधार के अवसर अत्यंत सीमित हैं। इसलिए लगा कि इस तंत्र को और भी ज्यादा बेहतर बनाने और जनता के करीब जाकर उनकी जमीनी समस्याओं के समाधान तलाशने के लिए राजनीति में ही आना चाहिए, क्योंकि राजनीति में आपके पास लोकहित हेतु निर्णय लेने की ज्यादा शक्ति होती है।

मिश्र का कहना है कि वर्तमान में राजनैतिक परिस्थितियां बहुत ही निराशाजनक हो चुकी है। सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोगों की प्रशासनिक समझ में कमी और दूरदर्शिता के अभाव के कारण आज परे मध्य प्रदेश का विकास बाधित हो रहा है। उनकी कमजोर सोच और प्रशासनिक अक्षमता की वजह से मध्य प्रदेश की जनता को सजा भुगतनी पड़ रही है। वर्ष 2000 के उपरात अपने पुनर्गठन के बाद से मध्य प्रदेश की किसी भी सरकार ने जनता से जुड़े मूल मुद्दों पर काम नहीं किया। वर्तमान सरकार तो हर मोर्चे पर विफल है। मध्य प्रदेश के किसान संकट में है। शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल है। मध्य प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि देखी जा रही है।

 पिछले करीब बीस सालों के शासन में किसी भी विचार और किसी भी सरकार ने मध्य प्रदेश के लोगों का भला नहीं किया। झूठे आंकड़ों और इवेंट पॉलिटिक्स करके जनता को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है। इन बीस सालों में बेहाल हुई जनता के अधिकारों का सवाल है। ये म.प्र. का सवाल है। यह मध्य प्रदेश की जनता के अधिकारों का सवाल है।