BIG NEWS: अफीम पद्धति और फसल बीमा को लेकर किसानों में आक्रोश, नार्कोटिक्स कार्यालय का किया घेराव, इन मांगों को लेकर सौपा ज्ञापन, पढ़े ये खबर

अफीम पद्धति और फसल बीमा को लेकर किसानों में आक्रोश, नार्कोटिक्स कार्यालय का किया घेराव, इन मांगों को लेकर सौपा ज्ञापन, पढ़े ये खबर

BIG NEWS: अफीम पद्धति और फसल बीमा को लेकर किसानों में आक्रोश, नार्कोटिक्स कार्यालय का किया घेराव, इन मांगों को लेकर सौपा ज्ञापन, पढ़े ये खबर

नीमच। शहर के नार्कोटिक्स कार्यालय के बाहर एक बार फिर किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया है। इस दौरान उन्होंने अफीम फसल पर लागू सीपीएस पद्धति को तुरंत खत्म करने और अफीम फसल को बीमा योजना में शामिल करने की मांग की है। 

जानकारी के अनुसार मंगलवार को किसान नेता श्यामलाल जोकचंद्र और कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव उमराव सिंह गुर्जर के नेतृत्व में सैकड़ों किसान नार्कोटिक्स कार्यालय पहुंचे। जहां किसानों ने सीपीएस पद्धत्ति और अफीम फसल बीमा योजना के संबंध में विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की। जिसके बाद एक ज्ञापन नार्कोटिक्स विभाग के आलाधिकारियों को सौंपा। जिसमे उनके हक की मांग भी की गई है। 

ज्ञापन में किसानों ने बताया कि इस वर्ष अफीम किसानों पर सीपीएस से फसल पैदा करने का निर्णय सरकार द्वारा थोपा गया, जो कि पूर्णत क्षेत्र के किसानों की समझ के बाहर है। वर्षो से चली आ रही पुरानी पद्धत्ति को सरकार के बदलने के निर्णय से सभी अफीम उत्पादक किसान असहमत है। इस पद्धति को बंद किया जाए। 

ज्ञापन में किसानों ने खेती में आ रही विषमताओं के संबंध में बताया कि इस पद्धत्ति से पोस्तदाना की मात्रा प्रति आरी कम होगी, जो कि इस फसल से आय का मुख्य स्त्रोत है। फसल के उत्पादन में हजारों मजदूर चीरा लगाने का कार्य करते है, वह बेरोजगार हो जाएंगे। इस क्षेत्र में होने वाली अफीम फसल में मार्फिन उच्च क्वालिटी की एवं अधिक मात्र में होती है। अतः अफीम का प्रति किलों भाव तुरंत बढ़ाया जाए। 

बताया गया कि वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री ने पूरे देश को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सभी फसलों पर लागू करने की घोषणा की थी, पर स्थानी सांसद की निष्क्रिय कार्य प्रणाली के कारण अफीम फसल को बीमा योजना में शामिल नहीं किया गया। अतः तुरंत बीमा योजना में लागू किया जाए। इसके अलावा पिछले दिनों क्षेत्र में हुई बारिश एवं ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा उत्पादक किसानों को शीघ्र दिया जाए। 

साथ ही फसल में उत्पादक किसानों को कई बार तुरंत विभागीय राहत की आवश्यकता होती है। अतः नार्कोटिक्स कमिश्नर को, आने वाली छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान का अधिकार भी दिया जाए। ज्ञापन सौंपने के बाद नार्कोटिक्स के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी उन्हें उचित आश्वासन दिया।