BIG NEWS : नीमच का ये गांव राजा-महाराजाओं का गढ़, जंगल क्षेत्र में मिली अति प्राचीन प्रतिमा, देखने के लिए उमड़ी भीड़, प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंचे मौके पर, आखिर कैसे हुआ खुलासा, पढ़े मनीष जोलान्या की ये खास खबर

नीमच का ये गांव राजा-महाराजाओं का गढ़

BIG NEWS : नीमच का ये गांव राजा-महाराजाओं का गढ़, जंगल क्षेत्र में मिली अति प्राचीन प्रतिमा, देखने के लिए उमड़ी भीड़, प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंचे मौके पर, आखिर कैसे हुआ खुलासा, पढ़े मनीष जोलान्या की ये खास खबर

मनासा। तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम दांतोली में गुरुवार शाम गांव के नजदीक जंगल क्षेत्र में एक गाय चराने वाले व्यक्ति को जैन भगवान की अति प्राचीन मूर्ति मिली। जिसे गांव दांतोली के चारभुजा नाथ मंदिर पर रखवाया।

जानकारी अनुसार ग्राम, दांतोली निवासी परशुराम बंजारा रोजाना की तरह गुरुवार को भी गाय भेस चराने जंगल क्षेत्र में गया। अचानक तेज बारिश होने लगी और शाम को घर लौटते समय गांव के समीप पत्थरों के बीच मिट्टी में दबा काले रंग का अजीबो गरीब पत्थर दिखाई दिया, जो अधिक बरसात के कारण पानी से धूल गया। जिसे उठाकर देखा तो वही एक अति प्राचीन मूर्ति लग रही थी। मूर्ति को उठाकर वह गांव में ले आया और गांव के सरपंच और स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी दी। जानकारी मिलते ही गांव के लोग बड़ी संख्या में मूर्ति को देखने पहुंचे। बाद में श्री चारभुजा नाथ मंदिर पर रखवाया। ग्रामीणों ने शुक्रवार सुबह उक्त घटना की जानकारी एसडीएम पवन बारिया सहित स्थानीय थाना मनासा पर दी। 

एसडीएम पवन बारिया ने बताया कि, सूचना पर नायब तहसीलदार रूपसिंह राजपूत और स्थानीय थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मूर्ति और मोकस्थल का पंचनामा बनाया। हालाकि अभी मूर्ति को गांव के ही चारभुजा मंदिर पर रखवाया गया है। यह मूर्ति कितनी वर्ष पुरानी है और कौन सी शताब्दी की है इस बारे में पुरातत्व विभाग अधिकारी जांच के बाद ही जानकारी दे पाएंगे।

मामले में स्थानीय लोगों ने बताया कि, काले पत्थर से बनी भारी भरकम करीब डेढ़ फीट ऊंची मूर्ति है। जो आम मूर्ति से काफी अलग है और वजन में बहुत भारी है। सुबह से ही उक्त मूर्ति को देखने के लिए बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग पहुंचे और दर्शन कर इसे चमत्कार बताया। जैन धर्म अनुसार यह मूर्ति भगवान मुनि सुव्रत स्वामी की बताई जा रही है।

आप बता दें कि ग्राम दतौली सालो पहले राजा-महाराजाओं का गड़ हुआ करता था। जहां आज के समय में अतिप्राचीन किले खंडहर में तब्दील हो गए।