EXCLUSIVE : संगठन चुनाव, नामों पर रायशुमारी, ये दावेदार भारी-भरकम, नीमच-मनासा का पाॅइंट क्लियर, तो जावद में क्यों फंसा पैच, सहमति इनकी, और हाईकमान के ये आदेश, पहले खुला मैदान, अब चर्चा बंद कमरे की, साहब- ये दौड़ BJP मंडल अध्यक्षों की, पढ़े खास रिपोर्ट
संगठन चुनाव, नामों पर रामशुमारी, ये दावेदार भारी-भरकम
रिपोर्ट- एडिटर अभिषेक शर्मा
नीमच। आने वाली 15 दिसंबर तक नीमच जिले में भाजपा मंडल अध्यक्ष के पद पर चुनाव होने है। जिसे लेकर भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी तैयारियों में जुट गए, और इन्हीं तैयारियों के बीच शनिवार को सर्किट हाउस में भाजपा की एक विशेष और गोपनीय बैठक समपन्न हुई, जो घंटों तक बंद हाॅल में चली। बैठक के दौरान पार्टी हाईकमान के आदेश पर अमल किया गया। यहां पार्टी के साफ और स्वच्छ छवि वाले कार्यकर्ता और सक्रिय सदस्य के नामों की खोज की गई, और सम्भवतः उन्हीं नामों को सूची में शामिल किया हो। फिर सूची में से नामों की छटाई होगी, और अंतिम नाम पर मंडल वार अध्यक्ष की मुहर लगेगी। हालांकि बातचीत और रायशुमारी का दौर तो लगातार जारी रहेगा।
इस बैठक में भाजपा के नीमच जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेन्द्र शर्मा, भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य महेन्द्र भटनागर, जिलाध्यक्ष पवन पाटीदार, पूर्व जिलाध्यक्ष हेमंत हरित, भाजपा उपाध्यक्ष सुनील कटारिया और तीनों विधानसभाओं के कुछ मंडल अध्यक्ष सहित पार्टी के कुछ चुनिंदा और खास कार्यकर्ता भी शामिल हुए।
किस विधानसभा में कितने मंडल-
चलिएं हम आपकों अब विधानसभावार मंडलों के बारे में भी थोड़ी बारिकी से जानकारी देते है, सबसे पहले नीमच विधानसभा की बात करें, तो यहां अब तक पांच मंडल थे, लेकिन यहां एक नया मंडल बनाया गया है, तो अब नीमच विधानसभा में कुल छ मंडल हो गए। मनासा विधानसभा की बात करें, तो यहां अब तक चार मंडल ही थे, लेकिन यहां भी एक नए मंडल का गठन होगा, और कुछ पांच मंडल मनासा विधानसभा में हो जाएंगे। वहीं जावद विधानसभा में पूर्व में भी चार मंडल थे, और वर्तमान में भी चार ही मंडल है, यहां नये मंडल की घोषणा नहीं हुई है। यानीं नीमच, मनासा और जावद विधानसभा में पहले कुल 13 मंडल थे, जो अब बढ़कर 15 हो गए है।
15 मंडलों में भारी-भरकम दावेदार-
पार्टी सूत्रों की माने तो तीनों विधानसभाओं के 15 मंडलों में सैकड़ों कार्यकर्ता है, और पार्टी के ये सभी कार्यकर्ता अपने-अपने स्तर पर मजबूत भी है, तो बताया जा रहा है कि, हर एक मंडल से करीब 10 से ज्यादा कार्यकर्ता अध्यक्ष पद की इस जिम्मेदारी को संभालने के लिए तैयार है, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी तो अपने ही एंजेडें पर काम कर रहे है, मतलब ना कोई आम है, और ना ही कोई खास, इसी तर्ज पर मंडल अध्यक्ष के नामों को लेकर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
नीमच-मनासा का पाॅइंट क्लियर, जावद में पैच फंसा-
पार्टी सूत्र बताते है कि, शनिवार को हुई बैठक के बाद नीमच और मनासा विधानसभा में मंडल अध्यक्षों के नाम इन्हीं दोनों विधानसभाओं के वरिष्ठ पदाधिकारियों के हाथों में है, वें कलम से जिन नामों को पर्चे पर उतारेंगे, तो हाईकमान इस पर ज्यादा सोच विचार ना करते हुए हरि झंडी भी दें सकता है, लेकिन जावद विधानसभा के मंडलों में अध्यक्षों को लेकर पैंच फंस सकता है, क्योंकि नामों को लेकर इस विधानसभा के मंडलों में उपरी स्तर से अटकले लगने जैसी खबरे भी सामने आ रही है। ऐसे में यहां थोड़ी उथर-पुथल भी देखने को मिलेगी ही...!
पहले खुला मैदान, अब बंद कमरे में चर्चा-
मंडल अध्यक्ष के नामों को लेकर रायशुमारी वाली पहली बैठक शनिवार को सर्किट हाउस के एक हाॅल में हुई, जिसका दरवाजा बंद था, और चुनिंदा लोगों को ही बैठक में शामिल होने की अनुमति थी। मंडल अध्यक्षों के लिए बैठक में पहुंचे नामों पर घंटों पर चर्चा के साथ विचार विमर्श भी किया गया, और आने वाले दिनों में भी बंद कमरे वाली चर्चाओं का दौर जारी रह सकता है।
लेकिन बताया तो यह जाता है कि, बीते सालों में जब भी मंडल अध्यक्ष के नामों को लेकर चर्चा की गई, तो उसमे पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के अलावा बूथ अध्यक्ष, सक्रिय सदस्य और कार्यकर्ताओं के साथ ही कुछ अन्य लोग भी शामिल होते थे, कहने का मतलब की खुले मैदान में नामों की दावेदारी होती थी, और आरोप-प्रत्यारोप के साथ वाद-विवाद के बीच घंटों तक अध्यक्ष के नामों के लिए सभी अपनी-अपनी राय देते थे। लेकिन ये सिलसिल इस बार बदल गया, और खुले मैदान में रायशुमारी होती थी, और अब यह प्रक्रिया बंद कमरे में होने लगी।
नामों पर रामशुमारी, सभी की सहमति से लगेगी मुहर-
शनिवार को हुई बैठक में नीमच, मनासा और जावद विधानसभा के मंडलों के अध्यक्षों के साथ ही निर्वाचन अधिकारी और चुनाव के सहप्रभारी सहित पार्टी के कई पदाधिकारी शामिल हुए, फिर तीनों विधानसभाओं के विभिन्न मंडल अध्यक्षों के दावेदारों के नामों पर रायशुमारी का दौर शुरू हुआ, और चर्चा के बाद पर्चा भी तैयार हुआ। लेकिन 15 दिसंबर में अभी समय है, ऐसे में मामना जा रहा है कि, आगामी दिनों में आज के पर्चे वाले नामों पर और भी गंभीरता से चर्चा हो सकती है। कुल मिलाकर सभी की सहमति के बाद ही मंडल अध्यक्ष के नामों पर मुहर लगेगी। अब इसमें पुराने अध्यक्षों के चेहरे भी दुबारा देखने को मिल सकते है, और नए युवाओं को भी जिम्मेदारी सौपी जा सकती है।
पार्टी हाईकमान के यह आदेश-
बीते दिनों भोपाल के बीजेपी कार्यालय में बीजेपी संगठन चुनाव के लिए बनाए गए जिला पर्यवेक्षकों की बैठक एक अहम बैठक हुई, जिसमे यह बात सामने आई कि, संगठन के इस चुनाव में किसी की भी सिफारिश नहीं चलेगी। यहां जिला पर्यवेक्षकों को बिना किसी के प्रभाव के मंडल अध्यक्ष के चयन का फ्री हैंड दिया। हर पर्यवेक्षक को तीन जिलों की जिम्मेदारी दी। इसके अलावा नए सिरे से सक्रिय सदस्यों में से मंडल अध्यक्ष चुने जाने को लेकर चर्चा हुई, जिसकी जिम्मेदारी भी पर्यवेक्षकों की होगी। यानीं चयन के लिए पर्यवेक्षक ही सर्वेसर्वा हैं, इसी कारण वे बिना किसी के दबाव के यहां से नाम निकालेंगे।