NEWS: व्यवस्थापन नियम के विरोध में बंगला बगीचा वासी, दिया धरना काले कानून को वापस लेने की मांग, पढ़े खबर 

व्यवस्थापन नियम के विरोध में बंगला बगीचा वासी, दिया धरना काले कानून को वापस लेने की मांग, पढ़े खबर 

NEWS: व्यवस्थापन नियम के विरोध में बंगला बगीचा वासी, दिया धरना काले कानून को वापस लेने की मांग, पढ़े खबर 

नीमच।  शहर की सबसे बड़ी समस्या बंगला बगीचा समस्या को लेकर आज बंगला बगीचा संघर्ष समिति के बैनर तले बंगला बगीचा वासियों ने फोर जीरो चौराहे पर धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया और सत्ताधारी पार्टी से बंगला बगीचा व्यवस्थापन नियम में संशोधन करने एवं जनता पर लगाई जा रही पेनल्टी वापस लेने सहित अन्य मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया।

इस दौरान बड़ी संख्या में बंगला बगीचा वासी उपस्थित रहे और अपनी अपनी राय रखी । धरना प्रदर्शन के दौरान बंगला बगीचा वासियों ने जनप्रतिनिधियों एवं पूर्व जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया था इस दौरान कांग्रेस के तो कुछ नेता धरना प्रदर्शन में पहुंच गए पर सत्ताधारी पार्टी का कोई भी नेता या जनप्रतिनिधि धरने में नहीं पहुंचा । यह धरना प्रदर्शन एवं मार्च गैर राजनीतिक होकर बंगला बगीचा वासियों द्वारा बंगला बगीचा संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित किया गया था उपस्थित बंगला बगीचा वासियों ने अपनी समस्याएं बताई एवं एक सुर में बंगला बगीचा व्यवस्थापन नियम में संशोधन की मांग की ।

इस दौरान बंगला बगीचा वासियों में सत्ताधारी पार्टी के विरुद्ध काफी नाराजगी दिखी आम जनता द्वारा सीधे तौर पर सत्ताधारी पार्टी से यह पूछा गया कि हम बंगला बगीचा वासियों की क्या गलती है जो हमें परेशान एवं प्रताड़ित किया जा रहा है हम बरसों से बंगला बगीचा क्षेत्र में रह रहे हैं एवं हमारे पास रजिस्टर हैं एवं नामांतरण भी है फिर भी हमारे ऊपर अत्याधिक लिजरेंट व पेनल्टी क्यों थोपी जा रही है ? क्यों जनहित में कानून को सरल नहीं किया जा रहा है ? धरना प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में बंगला बगीचा वासी मौजूद रहे जिनके अंदर सत्ताधारी पार्टी के विरुद्ध भारी आक्रोश नजर आया । बंगला बगीचा संघर्ष समिति के सदस्य एडवोकेट अमित शर्मा द्वारा यह बताया गया कि बंगला बगीचा संघर्ष समिति द्वारा  यह निर्णय लिया गया कि इस आंदोलन को निरंतर जारी रखा जाएगा एवं प्रत्येक बंगले बगीचे एवं खेत में जाकर जनता को जागरूक किया जाएगा और इस जन विरोधी कानून का लगातार विरोध किया जाएगा और इस कानून को वापस लेने की माँग की जाएगी ।