NEWS: ग्राम अर्निया में नौ दिवसीय भागवत कथा का आयोजन, कलश यात्रा से हुआ शुभारंभ, पढ़े खबर
ग्राम अर्निया में नौ दिवसीय भागवत कथा का आयोजन, कलश यात्रा से हुआ शुभारंभ, पढ़े खबर
जीरन। नगर के समीपथ्य ग्राम अर्निया चूंडावत में ग्राम समिति द्वारा संत ब्रहमालीन और संत सीतारामदास महाराज की स्मृति में नौ दिवसीय श्रीमद भागवत कथा और कुंभ मेले का आयोजन समिति द्वारा किया जा रहा है। आयोजन के दौरान कथा के साथ ही हनुमंत महायज्ञ का भी आयोजन किया जाएगा। भागवत कथा का शुभारंभ बीती 21 मई को भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ।
आपकों बता दें कि, भागवत कथा का वाचन आचार्य शशिकांत सारस्वत के मुखारविंद होगा। कथा के माध्यम से आचार्य ने बताया कि, रामचरित्र मानस जब लिखी जा रही थी। तब गोस्वामी तुलसीदास से पूछा गया कि, तुम यह रामायण क्यों लिख रहे हो। पहले ही करोड़ो रामायण लिखी हुई है। उनको भी किसी ने नहीं पड़ा कलयुग में उसको कौन पड़ेगा। तब गोस्वामी तुलसीदास ने कहा कि, मै रामायण नहीं लिख रहा हूं... मैं राम चरित्र मानस लिख रहा हूं... राम चरित्र मानस एक सुंदर सरोवर खोद खोद कर बनाया गया वह सुंदर सरोवर है। जिसमें हंस गोस्वामी तुलसीदास भोलेनाथ याज्ञवल्क्य जैसे रहते है। राम चरित्र मानस ज्ञान है। विज्ञान है भक्ति है, कर्म है। राम चरित्र मानस कर्म सिखाता है।
हम मंदिर जाते हैं, परमात्मा को प्रणाम करते हैं। लेकिन यदि अपने मन मंदिर में पवित्रता नही है, तो मंदिर जाना परमात्मा को प्रणाम करना सब व्यर्थ है। गंगा स्नान करने से कल्याण नहीं होता है। मन पवित्र होना चाहिए, मैंने अपना मन पवित्र करो राम चरित्र मानस रूबी सरोवर में स्नान करने से मन पवित्र होता है। भागवत एक कल्प वृक्ष है। संसार में बहुत सारे वृक्ष हैं। लेकिन भागवत यह कौन सा वृक्ष है। जिसने भाव से भगवान को भजा है। वही भाव ही भागवत है। ऐसी गीता पढ़ने का क्या मतलब जिसमें मन कहीं और हो और आप गीता पढ़ने बैठे हो ऐसे भग्ति का कोई औचित्य नहीं है।
जिस भाव से भागवत कथा को सुनोगे, तो तुमको फल भी वैसा ही प्राप्त होगा। इसलिए इस पंडाल में जितने भी बैठे हैं। सबसे इनकी बात कहेंगे। मन पवित्रा रख कर बैठे सच्चे भाव से बैठे तभी कथा सुनने का सही फल प्राप्त होगा। पवित्र मन भाव से ही कथा पांडाल में भागवत सुनेंगे, तो ही भागवत कथा का कल्प वृक्ष का फल प्राप्त होगा। और भागवत से भगवान तक पहुंच पाओगे।