BIG NEWS : सांवलियाजी में तीन दिवसीय जलझूलनी एकादशी मेला शुरू, सेठ की भक्ति में रमे भक्त, श्रद्धालुओं ने गुलाल उड़ाकर किया इनका स्वागत, पढ़े खबर

सांवलियाजी में तीन दिवसीय जलझूलनी एकादशी मेला शुरू

BIG NEWS : सांवलियाजी में तीन दिवसीय जलझूलनी एकादशी मेला शुरू, सेठ की भक्ति में रमे भक्त, श्रद्धालुओं ने गुलाल उड़ाकर किया इनका स्वागत, पढ़े खबर

रिपोर्ट- मनीष जोलान्या 

चित्तौड़गढ़/मंडफिया। मेवाड़ के कृष्णधाम सांवलियाजी में भगवान श्री सांवलिया सेठ और बाल गोपाल की पूजा-अर्चना के साथ तीन दिवसीय जलझुलनी एकादशी मेले का शुभारंभ हुआ। वैदिक विद्यालय के आचार्य और बटुकों द्वारा मंत्रोच्चारण एवं शंखनाद के बीच गणपति वंदना और दीप प्रज्वलन से मेले की शुरुआत की गई। इस अवसर पर बाल रूप में भगवान को छोटे बेवाण में विराजित कर चांदी के रथ में स्थापित किया गया।

छोटे बेवाण को चांदी के रथ में विराजित कर जब दक्षिण द्वार से बाहर निकाला गया तो श्रद्धालुओं ने गुलाल उड़ाकर भगवान का स्वागत किया। पूरा कस्बा भक्ति और रंगों से सराबोर हो गया। शोभायात्रा में सबसे आगे ध्वज वाहक, ऊंटों पर सवार ढोल-नगाड़े, हाथी, घोड़े और विभिन्न झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। हनुमानजी, राम दरबार और राधा-कृष्ण की झांकियों ने भक्तों को भावविभोर कर दिया। सांवलिया बैंड और सुभाष बैंड की मधुर धुनों पर श्रद्धालु झूम उठे।

शोभायात्रा परंपरागत मार्गों से होती हुई रात्रि 8 बजे मंदिर परिसर पहुंचेगी। यहां आतिशबाजी के बीच भगवान का भव्य स्वागत होगा। इस दौरान मंदिर मंडल अध्यक्ष हजारी दास वैष्णव, एडीएम प्रभा गौतम सहित मंडल सदस्य मौजूद रहे और भगवान के दर्शन कर अगवानी की। मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु जगह-जगह एलसीडी स्क्रीन लगाई गई हैं, जिन पर सीधा प्रसारण किया जा रहा है। मंदिर मंडल और प्रशासन ने सुरक्षा व व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान दिया है। मेले में बच्चों और परिवारों के मनोरंजन के लिए झूले, चकरी और डोलरें लगाए गए हैं। साथ ही खाने-पीने की चीजों, खिलौनों और धार्मिक वस्तुओं की दुकानों से मेला क्षेत्र रौनक भरा नजर आया।

मेले का मुख्य आकर्षण बुधवार को होने वाली विशाल रथ यात्रा रहेगी। भगवान श्री सांवलिया सेठ की राजभोग आरती के बाद दोपहर 12 बजे यात्रा प्रारंभ होगी। पारंपरिक मार्ग से होते हुए यह यात्रा सांवलियाजी स्नान घाट पहुंचेगी, जहां भगवान का जल में झुलाना और महाआरती होगी। रात्रि 8 बजे मंदिर परिसर लौटकर आतिशबाजी के बीच यात्रा का समापन होगा।