NEWS: मांगने वाले हाथों ने पकड़ी पेंसिल, अपनी पाठशाला में पढ़ रहे गरीब बच्चे, संस्कारों के साथ मिल रही ये सिख, किस संस्था की ये पहल, पढ़े खबर
मांगने वाले हाथों ने पकड़ी पेंसिल, अपनी पाठशाला में पढ़ रहे गरीब बच्चे, संस्कारों के साथ मिल रही ये सिख, किस संस्था की ये पहल, पढ़े खबर
नीमच। अपनी पाठशाला में भीख मांगने और कचरा बीनने वाले नन्हें बच्चे बस्ती की पाठशाला में पढ़ने के गुर सीख रहे हैं। उन्हें पढ़ना, लिखना और ए.बी.सी.डी बोलना सिखाया जा रहा है। अधिकांश बच्चे सड़क किनारे फुटपाथ पर गुजर बसर करने वाले मजदूर परिवारों के हैं। वहीं कुछ बच्चे ऐसे जिनके माता-पिता सुबह रोजगार की तलाश में निकल जाते हैं। वे पीछे से अकेले रहकर कहीं कचरा बीनते हैं, तो कहीं आते-जाते लोगों से रुपए की आस में भीख मांगते हैं।
झुग्गी-झोंपड़ी और अस्थायी तंबू में रहने वाले ऐसे ही करीब 50 बच्चों को चाईल्ड रिलीफ मिशन फाउंडेशन संस्था निशुल्क शिक्षा दे रहा है। संस्थान की ओर से ऐसे बच्चों को पढ़ने-लिखने के लिए स्लेट, पेन, पेसिंल और कॉपियां दी जा रही हैं। प्रत्येक शनिवार एवं रविवार उनकी डेढ़ घंटे की क्लास ली जा रही है। करीब पांच शिक्षक यहां बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बस्ती के खुले आंगन में बीते करीब 2 वर्ष से चल रही पाठशाला..!
चाइल्ड रिलीफ मिशन संस्थान के अनुसार वे कोरोनाकाल मैं यहां आया करते थे।तब शाम के समय वे ऐसे बच्चों को उल्टे-पुल्टे कामों में लगा देखते थे।कुछ बच्चों को सड़क किनारे गुब्बारे बेचते देखते थे। तो कुछ बच्चे भीख मांग रहे हैं इधर उधर!तब ही उन्होंने इन बच्चों को पढ़ाने के लिए मानस बनाया था। उन्होंने स्कूल से दूर ऐसे बच्चों का भविष्य शिक्षा की ओर मोड़ने के लिए प्रयास शुरू किए हैं।बच्चों के पास स्कूल जैसी सुविधा नहीं है।
इसलिए संस्था ने बस्ती में अपनी पाठशाला बनाई ताकि यहां खुले में रहने वाले अधिकाधिक बच्चों में शिक्षा की अलख जगाई जा सके।संस्था उपाध्यक्ष किशोर बागडी ने बताया कि वे उनके इस प्रयास को जारी रखेंगे।वह चाहेंगे कि ऐसे बच्चे जो ढंग से पढ़ना सीख जाएंगे उन्हें बाद में स्कूल तक पहुंचाएंगे।अधिकतर बच्चों ने पकड़ी स्लेट और लिखने के करने लगे प्रयास। स्टेशनरी के साथ नाश्ता भी बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए एनजीओ की ओर से न केवल स्टेशनरी मुहैया कराई जाती है।
बल्कि प्रतिदिन ऐसे बच्चों को पाठशाला में शामिल होने के लिए नाश्ते की सुविधा दी जाती है।हर दिन यह नाश्ता अलग-अलग तरह का होता है,कभी पौष्टिक खिचड़ी,पौष्टिक पुलाव,बिस्किट, समोसे फल-फ्रूट तथा फ्रूटी!कुछ बच्चे तो नाश्ते की चाह में यहां दौड़े आते हैं।बच्चे यहां पाठशाला में शिक्षकों को देखते ही दौड़े चले आते हैं।
अभी बतौर शिक्षक यहां किशोर बागड़ी, श्रीमती भाग्य पांडे, शबनम खान, सुश्री योगिता यादव, अनूप सिंह चौधरी, तन्मय अग्रवाल, दीपक अग्रवाल सुश्री पूजा मिश्रा, सुश्री प्रीतिबाला निर्मल, रौनक दुग्गड तथा नवनीत अरोन्देकर, रोहित सिंह एवं नन्हा बालक प्रभव बागड़ी ऐसे बच्चों को पढ़ा रहे हैं। अपनी पाठशाला के बाद अंत में आज सभी बच्चों को समोसे एवं लड्डू दिए गए! उक्त जानकारी संस्था सदस्य श्रीमती चंदा सालवी ने दी...!