BIG NEWS: MP में सीतासरन, गोपाल भार्गव जैसे BJP के 70 से ज्यादा नेताओं को क्या छोड़ना पड़ेगा मैदान...? पढ़े ये खबर

MP में सीतासरन, गोपाल भार्गव जैसे BJP के 70 से ज्यादा नेताओं को क्या छोड़ना पड़ेगा मैदान...? पढ़े ये खबर

BIG NEWS: MP में सीतासरन, गोपाल भार्गव जैसे BJP के 70 से ज्यादा नेताओं को क्या छोड़ना पड़ेगा मैदान...? पढ़े ये खबर

डेस्क। नर्मदापुरम के विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा चार बार से विधायक है। उन्होंने पहला चुनाव 1993 में लड़ा था, इसके बाद 1998 में भी विधायक रहे, 2003 के चुनाव में उनका टिकट काटा गया, तो उनके भाई पं. गिरिजाशंकर शर्मा को पार्टी ने टिकट दिया। वे दो बार विधायक रहे, 2013 में डॉ. शर्मा को फिर पार्टी ने टिकट दिया, और वे जीतकर विधानसभा के स्पीकर भी रहे। 2018 में उन्हें एक बार फिर विधायक बनने का मौका मिला। डॉ. शर्मा बंद कमरे में चुनाव नहीं लड़ने की बात कई बार कह चुके हैं, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस कुछ दिनों पहले उन्होंने एक बार और चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक दी है।

70 पार, फिर भी लगातार…

मप्र में सिर्फ डॉ. सीतासरन शर्मा (73) ही नहीं बल्कि, ऐसे कई उम्रदराज नेता हैं, जो अपने चुनावी क्षेत्र के धरतीपकड़ हैं, इनमें वर्तमान विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम (70), पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर गोपाल भार्गव (70), पूर्व मंत्री अजय विश्नोई (71), वर्तमान, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए मंत्री बिसाहूलाल सिंह (73), नागेंद्र सिंह (80), गोपीलाल जाटव (75), पारस जैन (73), गौरीशंकर बिसेन (71), महेंद्र हार्डिया (71), प्रेमशंकर वर्मा (72) जैसे विधायक शामिल हैं।

इन नेताओं की खास बात यह है कि, ये अपने क्षेत्र में खासे लोकप्रिय है। अब पार्टी के सामने समस्या यह है कि नए कार्यकर्ताओं को मौका देने के लिए इन नेताओं कैसे इनकार किया जाए, आने वाले चुनावों में भाजपा के एक दर्जन विधायक 70 की उम्र पार कर चुके होंगे। पार्टी के लगभग 13 विधायक अगले साल होने वाले चुनाव के दौरान 70 वर्ष की आयु पूरी कर चुके होंगे। अगर पार्टी के नए विचाराधीन फॉर्मूला पर अमल होता है, तो 70 साल से अधिक की उम्र के नेताओं को टिकट नहीं देने के क्राइटेरिया में कई नेताओं को माननीय बनने का मोह त्यागना पड़ेगा। 

जनता ने उम्रदराजों को नकरा- 

पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी के जनाधार के बावजूद उमाशंकर गुप्ता, रुस्तम सिंह, हिम्मत कोठारी जैसे 70 से ज्यादा उम्र वाले नेताओं को नकार दिया। हालांकि इनकी हार की अन्य वजह भी रही हैं, अब ये नेता फिर अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन से निर्देश मिलने पर उम्रदराज नेताओं को चुनाव के लिए टिकट देने से इनकार करते हुए मार्गदर्शक मंडल में भेजा जा सकता है।