NEWS : चीताखेड़ा में निकाला भव्य वरघोड़ा, पालने में विराजमान हुए त्रिशला नंदन, नगर भ्रमण कर जाना प्रजा का हाल, पढ़े खबर

चीताखेड़ा में निकाला भव्य वरघोड़ा

NEWS : चीताखेड़ा में निकाला भव्य वरघोड़ा, पालने में विराजमान हुए त्रिशला नंदन, नगर भ्रमण कर जाना प्रजा का हाल, पढ़े खबर

चीताखेड़ा। त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर की..., एक-दो-तीन-चार जैन धर्म की जय जयकार..., महावीर का अमर संदेश जियो और जीने दो, अहिंसा परमो धर्म की जय-जयकार... के साथ चीताखेड़ा में बड़ी संख्या में जैनअनुयायियों ने भगवान त्रिशला नंदन के अपने बालस्वरूप मुखोटे को संचित पालने में विराजमान कर श्राविकाओं ने शिरोधार्य कर बैण्ड बाजों के साथ श्री मुनि सुव्रत स्वामी जिनालय से कल्प सूत्र का नगर भ्रमण हेतु भव्य वरघोडा निकाला। वरघोड़े में राजा की अगवानी के लिए  जैन अनुयाई पलक पांवड़े बिछाए गए थे, जिस मार्ग से भव्य वरघोड़ा गुजरा पूरे भक्ति भाव से उनकी अगवानी करी। चीताखेड़ा के राजा त्रिशला नंदन ने पालने में विराजमान कर उन्हें सिरोधार्य कर नगर भ्रमण करवाया और अपनी प्रजा का हाल जाना।

आध्यात्मिक पर्व 8 दिवसीय पर्वों के राजा पर्यूषण महापर्व के अवसर पर भगवान महावीर स्वामी के जन्म वाचन पर रविवार को पूरा गांव महावीरमय हो गया। पर्वाधिराज पर्यूषण महापर्व के अवसर पर दिनभर अहिंसा परमो धर्म के नारे गूंजते रहे। गांव के मध्य स्थित चंद्रप्रभ बड़ा जिनालय पर दोपहर 1:30 बजे त्रिशला नंदन भगवान महावीर का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर उपस्थित जैन अनुयायियों के केसर के छापें लगाए गए। तत्पश्चात भगवान के बाल स्वरूप को पालने में झुला झुलाने की बोली के लाभार्थी रजनीश दक ने लिया और भगवान को पालना झुलाया गया। चंद्रप्रभ जिनालय से सभी जैन अनुयाई बैंड बाजों के साथ वरघोड़े के रूप में मुनीसुव्रत स्वामी जिनालय पहुंचे। 

जहां पर जिन शासन के सर्व प्रमुख शास्त्र कल्पसूत्र का वचन सम सत श्री संघ के समक्ष विधिवत राजू खिमेसरा ने अपने मुखारविंद से प्रारंभ किया, माता त्रिशला के 14 स्वप्न  को कल्पसूत्र वाचन में भगवान महावीर का जन्म का वर्णन सुनाया गया। भगवान महावीर के जन्म का वर्णन आते ही उपस्थित जैन अनुयाई, श्रावक-श्राविकाओं ने खुशी का इजहार करते हुए बैण्ड बजो, ढोल, ढोलक घंटी-घड़ियाल और शंख की स्वरलहरियों एवं तालियों की ध्वनि के साथ भगवान की जय जयकार के साथ श्रीफल (वदारे) फोड़े गए और एक दूसरे ने हाथ मिलाकर व गले मिलकर और बड़ों के पैर छूकर बधाइयां दी। इस अवसर पर केसर के छापे भी लगाएं गए। 

जिसके बाद में बैंड बाजे, ढोल-ढमाकों के साथ त्रिशला नंदन भगवान महावीर के बाल स्वरूप को पालने में विराजमान कर गांव के मुख्य मार्गो से भव्य वरघोड़ा निकला। त्रिशला नंदन महावीर का भव्य वरघोड़ा नीम चौक से शाम 4:30 बजे प्रारंभ हुआ गांव के मुख्य मार्गो से परिभ्रमण करता हुआ शाम 5:30  बजे श्री मुनीसुव्रत स्वामी जिनालय पहुंचा। तत्पश्चात पालना को घर बुलाने की बोली का लाभार्थी शैलेन्द्र कुमार सगरावत के घर पहुंचे। जिस मार्ग से प्रभु का भव्य वरघोड़ा निकला जगह जगह भक्तों द्वारा अक्षत व पुष्प वर्षा कर अभिनंदन किया। भव्य वरघोड़े में श्रावक-श्राविकाएं नाचते झूमते डांडिया खेलते हुए महावीर की जय जयकार करते हुए चल रहे थे। भव्य वरघोड़ा श्री मुनीसुव्रत स्वामी जिनालय पहुंचा। 

जहां तेरा सपना जी की बोलियां, पालना की आरती में पालना झूलाने की बोलियां, मंगल दीपक, मंगल केशर छापे आदि पूरे साल भर की मंदिर जी में चढ़ावे की बोलियां हुई और जन्मवाचन की आरती का लाभ कई लाभार्थी परिवारों ने लिय। केसर के छापे लगाने की बोली का लाभ सगरावत परिवार ने लिया। बाल स्वरुप भगवान महावीर स्वामी जी को पालना झुलाने की बोलीं का लाभ रजनीश दक ने लेकर प्रभु जी को झुला झुलाया। राजेश कंकरेचा, चिराग कंकरेचा  ने कल्पसुत्र को वरघोड़े में शिरोधार्य कर चलने की बोली का लाभ लिया। सुरज मल, पंकज (छोटू) कंकरेचा ने भगवान का पालना जी को शिरोधार्य कर वरघोड़े में चलने की बोली का लाभ लिया, वहीं शैलेन्द्र कुमार सगरावत ने पालना को घर बुलाने की बोली का लाभ लिया। भव्य वरघोडा के समापन के पश्चात् प्रकाश चन्द्र -शेषमल महात्मा की ओर से प्रभावना वितरण की गई। 

चंद्रप्रभ जिनालय पर मनाया जन्मोत्सव-

चंद्रप्रभ जिनालय और दोपहर 1:30 बजे राजू खिमेसरा द्वारा कल्पसूत्र का वाचन किया गया। कल्पसूत्र वाचन के दौरान जैसे ही त्रिशला नंदन के जन्म का वृतांत सुनाया जिनालय में उपस्थित जैनसमुदाय खुशियों से झुम उठे अक्षत और पुष्प वर्षा कर घंटी घड़ियाल बजाते हुए महावीर की जय घोष कर एक दूसरे को बधाइयां दीं।  त्रिशला नंदन भगवान महावीर  के बाल स्वरूप को पालने में विराजमान कर सभी ने बारी बारी से झूला झुलाया। भगवान महावीर के जन्मोत्सव के अवसर पर जैन समुदाय ने अपने घरों में विशेष पकवान खीर -पुरी और पकोड़ी बनाकर भगवान को नैवेद्य अर्पित कर  अपने इष्ट मित्रों को आमंत्रित किया। 

पर्यूषण पर्व पांचवें दिन प्रारंभ हुए कल्पसूत्र वाचन के भव्य वरघोड़े में चंद्र प्रभ जिनालय ट्रस्ट अध्यक्ष सुनील सगरावत, सचिव शांतीलाल सगरावत, विजय कुमार झातरिया, कारुलाल झातरिया, रजनीश दक, मुकेश बोहरा, राजेश चौधरी, अशोक झातरिया, राजकुमार चौरड़िया, अक्षय बोहरा, अजीत चौरड़िया, दिलीप गोदावत, राजा बाबू, अशोक चपलोत, चंद्रशेखर जैन, राजेश कंकरेचा, अरुण खिमेसरा, सुनील पटेल एडवोकेट, सहित कई वरिष्ठ जैन बंधु विशेष रूप से मौजूद थे।