BIG NEWS: हनुमान जन्मोत्सव, मंदसौर में बालाजी का चमत्कारी दरबार, चोला चढ़ाने के लिए करना पड़ता है 22 साल का इंतजार, बराक ओबामा के लिए भी दो बार हवन, क्या है मान्यता...! पढ़े ये खबर
हनुमान जन्मोत्सव, मंदसौर में बालाजी का चमत्कारी दरबार, चोला चढ़ाने के लिए करना पड़ता है 22 साल का इंतजार, बराक ओबामा के लिए भी दो बार हवन, क्या है मान्यता...! पढ़े ये खबर
मंदसौर। मंदसौर के श्री तलाई वाले बालाजी मंदिर पर शनिवार और मंगलवार के चोले के लिए आज बुकिंग कराने पर 2045 में नंबर आएगा। इतनी आगे तक की तारीखें बुक होने के बाद अब मंदिर समिति ने मंगलवार के चोले की बुकिंग बंद ही कर दी है। शहर के गांधी चौराहा क्षेत्र स्थित 700 साल प्राचीन श्री तलाई वाले बालाजी की ख्याति विदेश तक है। यहां चोला चढ़ाने से लेकर श्री रामरक्षा स्रोत का हवन व भोग लगाने के लिए भक्तों को अच्छा-खासा इंतजार करना पड़ रहा है।
पुजारी पं. रामेश्वर शर्मा और पं. भूपेंद्र शर्मा के अनुसार मंगलवार के चोले के लिए 2045 तक की रसीदें 2019 में ही बन चुकी थीं। इसके बाद से ही बुकिंग बंद कर दी हैं। शनिवार के लिए भी आज रसीद बनवाते हैं, तो दिसंबर 2044 तक इंतजार करना पड़ेगा। इसके अलावा सप्ताह के अन्य दिनों के लिए भी जुलाई 2032 में ही नंबर आएगा। इसी प्रकार मंगलवार और शनिवार के राम रक्षा स्रोत के हवन के लिए फरवरी 2024 व अन्य दिनों के लिए अक्टूबर 2023 तक की प्रतीक्षा सूची है। भोग के लिए भी अक्टूबर-2024 तक की बुकिंग हो चुकी है।
700 साल पुराना है इतिहास-
लगभग सात सौ वर्ष पुरानी बालाजी की प्रतिमा प्रारंभ में विशाल वटवृक्ष के नीचे विराजित थी। यह स्थान शहर से दूर सूबा साहब कलेक्टर बंगले के पास स्थित था। मंदिर के पास ही एक तलाई थी। जिस पर वर्तमान में नगर पालिका तरणताल स्थित हैं। किवंदती हैं कि, इस प्रतिमा की स्थापना अत्यंत सिद्ध परमहंस संत द्वारा की गई थी। बहुत समय तक यहां बनी धर्मशाला, तलाई एवं मंदिर साधु संतों एवं जमातों का विश्राम एवं आराधना स्थल रहा। ब्रह्मलीन पूज्य राजारामदास महाराज अधिष्ठाता पंचमुखी बालाजी मंदिर भीलवाड़ा ने भी 1940 ईस्वी में यहां रहकर साधना की हैं।
ओबामा के लिए दो बार हो चुका है हवन-
अमेरिका में बराक ओबामा जब राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बने थे, तब भी भारतीय मूल के एक बालाजी भक्त ने अपने मंदसौर निवासी रिश्तेदार की मदद से श्री तलाई वाले बालाजी में हवन कराया था। चुनाव में उन्हें विजयश्री मिली थी।