EXCLUSIVE : नीमच जिले में अफीम पट्टो के नाम पर बड़ी धांधली, दलाल बालकिशन, नंदलाल और गणेश ने ऐसे खेला खेल, कि सब हो गए फेल, बड़े फर्जीवाड़े की गूंज दिल्ली तक, अब जांच की आंच में निपटेंगे ये भी, हम करने जा रहे बड़ा खुलासा, पढ़े ये खास खबर

नीमच जिले में अफीम पट्टो के नाम पर बड़ी धांधली

EXCLUSIVE : नीमच जिले में अफीम पट्टो के नाम पर बड़ी धांधली, दलाल बालकिशन, नंदलाल और गणेश ने ऐसे खेला खेल, कि सब हो गए फेल, बड़े फर्जीवाड़े की गूंज दिल्ली तक, अब जांच की आंच में निपटेंगे ये भी, हम करने जा रहे बड़ा खुलासा, पढ़े ये खास खबर

संपादक श्याम गुर्जर की कलम से.....

नीमच। इस वर्ष की अफीम निति घोषित होने बाद नीमच जिले में अफीम पट्टो के नाम पर बड़े फर्जीवाड़े के मामले भी सामने आने लगे। जिसे लेकर म.प्र. से दिल्ली तक हड़कंप सा मच गया है। सूत्रों की माने तो एक गोपनीय जांच पड़ताल के लिए टीम भी बन चुकी है, जो की 5 हजार से ज्यादा लायसेंस की जांच कर अपनी रिपोर्ट देंगी। 

अफीम पट्टो के नाम पर धांधलियां और फर्जीवाड़े के खेल तो पुराने है, लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है, उसने सभी को चौंका सा दिया है, हालांकि किस स्तर पर ये धांधलपट्टी हुई, इसका खुलासा जांच के बाद ही हो पायेगा। पर जो जानकारिया हमारे पास आई है, उसमे बड़े खेल की आशंका है। 

इस बार जो मामले फर्जीवाड़े के सामने आये है। उसमे ऐसे लोगो को ऐसे गांवो में पट्टे जारी कर दिए गए, जहां से दूर-दूर तक इन लोगो का वास्ता तक नहीं रहा है। ये लोग वह के निवासी ही नहीं है, ऐसे में ये बड़ी जांच का विषय है। जिस पर संभवतः जांच पड़ताल भी की जा रही है। 

सूत्रों की माने, तो पट्टो के जारी होने की ये कहानी कोई इस वर्ष की नहीं है, बल्कि वर्ष 22-23 से लेकर वर्ष 24-25 के बीच की है। जिसमे दलालो ने विभाग के ही कुछ लोगो से मिलकर नए पट्टे जारी करवा दिया। वो भी उन गांवो में जहां लायसेंसधारी लोगो का या इनके पूर्वजो का कोई लेना देना तक नहीं रहा, और फिर ऐसे पट्टे होल्ड करवाते हुए अगले वर्ष उन्हें अपने मूल गांव में उन्हें शिफ्ट भी करवा लिया। 

इस बड़े फर्जीवाड़े के मास्टर माइंड दलाल में तीन नाम सामने निकल कर आये है। जिनमे बालकिशन, नंदलाल और गणेश है। जिन्होंने सिंगोली-रतनगढ़ क्षेत्र के फुसारिया से लेकर नेरल, जेतपुर, मुआवड़ा, बड़ावदा और लाडपुर जैसे गांवो में एक-एक व्यक्ति से लाखो रुपये लेकर ये बेनामी पट्टे जारी करवाए और फिर उन लाइसेंसियों के मूल गांव में उन्हें अगले वर्ष ट्रांसफर भी करवा डाले। सबसे बड़ी बात ये है कि, खसरे खातों और नामांतरणो में ये फर्जीवाड़ा करते हुए मिलीभगत से  ऐसे पट्टे जारी हुए। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस पुरे मामले में एक बात तो साफतौर पर दिखाई देती है कि, ऐसा कुछ हुआ है तो ये अब तक का सबसे बड़ा फरजीवाड़ा होगा। जिसमे की जिन किसानो को नए अफीम लायसेंस दिए गए वे या उनके परिवारजन कभी उस गांव के निवासी ही नहीं रहे और उन्हें शामिल कर लिया गया। वैसे विभागीय अधिकारियो तक ये सारी बाते शिकायते पहुंची भी। जिसे लेकर वे अपने स्तर पर जांच पड़ताल भी कर रहे है, लेकिन इस धांधली का खुलासा इसी बात से हो जायेगा कि, जब व्यक्ति उस गांव का है ही नहीं और उसे पट्टा दे दिया गया और पिछले सालो में जो होल्ड पट्टे रही उनका ट्रांसफर अगले वर्ष कही और हुआ। उन्हें ही जांच के दायरे में लेले तो दूध का दूध और पानी का पानी हो ही जायेगा। 

इस पुरे मामले में तत्कालीन अधिकारी कर्मचारियों की भी जांच पड़ताल होनी ही चाहिए, क्योकि ये सब दलालो के अकेले के बस का तो नहीं है, जरूर इन सब में विभागीय लोग शामिल होंगे। इस समय DNC गाँधी है, वे ऐसे मामलो में बड़े गंभीर है। जिसमे विभाग की साख पर कोई बात आये। ऐसे में इस बड़े खेल की तह तक जाकर पूरा खुलासा होना तय माना जा रहा है। सूत्र ये भी बताते है कि, की कुछ ऐसे लोगो की छुट्टी भी कर दी गई है, जो कि शंका के घेरे में थे, वही कई लोग ऐसे भी सामने आये है। जिन्होंने CBI जांच की मांग तक की है।