NEWS : नेशनल केमिस्ट संगठन एआईओसीडी ने नारकोटिक विभाग के प्रस्तावित नियमों का किया विरोध, जमीनी हकीकत की जटिलता को देखें, व्यापारियों को इस नियम के दायरे से रखें बाहर, पढ़े खबर

नेशनल केमिस्ट संगठन एआईओसीडी ने नारकोटिक विभाग के प्रस्तावित नियमों का किया विरोध

NEWS : नेशनल केमिस्ट संगठन एआईओसीडी ने नारकोटिक विभाग के प्रस्तावित नियमों का किया विरोध, जमीनी हकीकत की जटिलता को देखें, व्यापारियों को इस नियम के दायरे से रखें बाहर, पढ़े खबर

नीमच। आल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मेडिसिन डीलर्स एसोसिएशनों का एक प्रतिनिधि निकाय है, जो भारत के कोने-कोने तक भी जरूरतमंद लोगों को आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायक रहा है।

सीबीएन द्वारा हाल ही में की गयी सार्वजनिक अधिसूचना दिनांक 5 अगस्त 2024 में दवा विक्रेताओं, केमिस्टों और स्टॉकिस्टों को विभाग की बेब साइट पर समय-समय पर डेटा दर्ज करने का आदेश दिया गया है। जिसमें नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रोपिक दवाओं की आपूर्ति को अवैध चैनल की ओर मोड़ने का कारण बताया गया है। उक्त सार्वजनिक नोटिस के कार्यान्वयन और प्रारूप की जटिलता पर कई चिंताएं प्राप्त होने पर एआईओसीडी को डर है कि यदि इसे लागू किया गया तो संगठन के सदस्य ऐसे फॉर्मूलेशन से निपटने से खुद को इन दवाओं से दूर रख सकते हैं।

एआईओसीडी के अध्यक्ष जे.एस. शिंदे ने कहा कि, व्यापारियों वितरकों, स्टॉकिस्टों. कैमिस्टों/खुदरा विक्रेताओं द्वारा पंजीकरण करने और 30 सितंबर 2024 तक साइ‌कोट्रोपिक पदार्थों के लिए सीबीएन ऑनलाइन पोर्टल पर त्रैमासिक रिटर्न जमा करने के लिए सभी हितधारकों को एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया है। इस संबंध में एआईओसीडी द्वारा भारत के नारकोटिक्स आयुक्त को एक विस्तृत ज्ञापन भेजा गया है जिसकी प्रति संलग्न हैं।

एआईओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि, नियम 65 केवल साइकोट्रोपिक पदार्थों के निर्माताओं पर होता है और यह दवा व्यापार पर लागू नहीं होता है। देशभर में करीब 10 लाख व्यापारियों द्वारा पंजीकरण और जटिल त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने से प्रशासनिक बोझ बढ़ जायेगा और इससे व्यापारियों और सीबीएन को भी अनुचित कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। व्यापारियों वितरकों, स्टॉकिस्टों, केमिस्टों को अनुपालन के लिए एक अन्य बाहरी सलाहकार की की आवश्यकता होगी।

खासकर भारत के ग्रामीण इलाकों में. देश के कई क्षेत्रों में इंटरनेट और बिजली कटौती बहुत आम है। कानूनों के कड़े प्रावधानों को देखते हुए, यह आशंका है कि कैमिस्ट उत्पीड़न, अनजाने या प्रक्रियात्मक चूक के मामले से बचने के लिए इन दवाओं का वितरण नहीं करना पसंद करेंगे. क्योंकि एनडीपीएस अधिनियम के दंडात्मक प्रावधान कठोर हैं। इन परिस्थितियों में. वर्तमान सार्वजनिक नोटिस. जिसका उद्देश्य व्यापारियों को नियम 65 के दायरे में लाना है. इन सबसे देश में आवश्यक दवाओं की कमी पैदा कर सकता है और यह स्थिति को और खराब कर देगा।

एआईओसीडी ने नारकोटिक विभाग से अनुरोध किया है कि, उपरोक्त तथ्यों और वस्तुगत तथा जमीनी हकीकत की जटिलता को देखते हुए व्यापारियों को नियम 65 के दायरे से बाहर रखा जाए और सार्वजनिक नोटिस में तत्काल प्रभाव से संशोधन किया जाए।