NEWS : आजादी महोत्सव, भाषण प्रतियोगिता का आयोजन, लक्ष्मी और विजयलक्ष्मी ने मारीबाजी, पढ़े खबर

आजादी महोत्सव,

NEWS : आजादी महोत्सव, भाषण प्रतियोगिता का आयोजन, लक्ष्मी और विजयलक्ष्मी ने मारीबाजी, पढ़े खबर

शासकीय महाविद्यालय जीरन में स्वामी विवेकानंद के लिए मार्गदर्शन योजना के तहत आज प्रो.दिव्या खरारे  के निर्देशन में आज आजादी महोत्सव के तहत भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया इसमें प्रथम रही छात्रा लक्ष्मी माली बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है उन ने अपने भाषण मे बताया की झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वास्तविक अर्थ में आदर्श वीरांगना थीं। वे कभी आपत्तियों से नहीं घबराई, कभी कोई प्रलोभन उन्हें अपने कर्तव्य पालन से विमुख नहीं कर सका।

अपने पवित्र उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह सदैव आत्मविश्वास से भरी रहीं। महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ। इनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे और माता का नाम भागीरथी बाई था। रानी लक्ष्मीबाई को बचपन में मनुबाई नाम से बुलाया जाता था रानी लक्ष्मीबाई का विवाह सन्‌ 1850 में गंगाधर राव से हुआ जोकि सन्‌ 1838 से झांसी के राजा थे। जिस समय लक्ष्मीबाई का विवाह उनसे हुआ तब गंगाधर राव पहले से विधुर थे। सन्‌ 1851 में लक्ष्मीबाई को पुत्र पैदा हुआ लेकिन चार माह बाद ही उसका निधन हो गया।

रानी लक्ष्मीबाई के पति को इस बात का गहरा सदमा लगा और 21 नवंबर 1853 को उनका निधन हो गया। द्वितीय स्थान विजय लक्ष्मी बीए प्रथम वर्ष ने प्राप्त किया उन्होंने अपने भाषण मे बताया की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानी देवी था। उनके पिता ईमानदार, स्वाभिमानी, साहसी और वचन के पक्के थे। यही गुण चंद्रशेखर को अपने पिता से विरासत में मिले थे।

चंद्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की। वहां उन्होंने कानून भंग आंदोलन में योगदान दिया था। 1920-21 के वर्षों में वे गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े। वे गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए। जहां उन्होंने अपना नाम 'आजाद', पिता का नाम 'स्वतंत्रता' और 'जेल' को उनका निवास बताया। उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई। हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने, 'वन्दे मातरम्‌' और 'महात्मा गांधी की जय' का स्वर बुलंद किया। इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से आजाद कहलाए।

क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का जन्मस्थान भाबरा अब 'आजादनगर' के रूप में जाना जाता है। जब क्रांतिकारी आंदोलन उग्र हुआ, तब आजाद उस तरफ खिंचे और 'हिन्दुस्तान सोशलिस्ट आर्मी' से जुड़े। रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र (1925) में सक्रिय भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए।17 दिसंबर, 1928 को चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और राजगुरु ने शाम के समय लाहौर में पुलिस अधीक्षक के दफ्तर को घेर लिया और ज्यों ही जे.पी. साण्डर्स अपने अंगरक्षक के साथ मोटर साइकिल पर बैठकर निकले तो राजगुरु ने पहली गोली दाग दी, जो साण्डर्स के माथे पर लग गई वह मोटरसाइकिल से नीचे गिर पड़ा।

फिर भगत सिंह ने आगे बढ़कर 4-6 गोलियां दाग कर उसे बिल्कुल ठंडा कर दिया। जब साण्डर्स के अंगरक्षक ने उनका पीछा किया, तो चंद्रशेखर आजाद ने अपनी गोली से उसे भी समाप्त कर दिया। तथा तृतीय स्थान वेदिका जाट ने बताया की महात्मा गांधी ने कहा था, "मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।" 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी एक वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ और लेखक थे। वे भारतीय स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रमुख बने। उनके विनम्र कार्यों के कारण ही उन्हें राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया गया। उनके सम्मान में ही हम हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाते हैं , जिसे राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया जाता है इस प्रतियोगिता का संचालन टी.पी.ओ. डॉ सोनम घोटा द्वारा किया गया एवं समापन डॉ. बाला शर्मा द्वारा किया गया इस अवसर पर सभी छात्र-छात्राएं और संपूर्ण स्टाफ उपस्थित रहा,