BIG NEWS: बच्चों के साथ मोर्चे पर डटी है बहनें, अल्प वेतन पर भूसा खाने को मजबूर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी, बोले- अब लड़ाई लंबी और आर-पार की, पढ़े नरेंद्र राठौर की खबर
बच्चों के साथ मोर्चे पर डटी है बहनें, अल्प वेतन पर भूसा खाने को मजबूर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी, बोले- अब लड़ाई लंबी और आर-पार की, पढ़े नरेंद्र राठौर की खबर

मंदसौर। अनिश्चित कालीन हड़ताल के 9 वें दिन शुक्रवार को समस्त संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा भूसा खाकर विरोध प्रदर्शन किया। और सरकार, शासन व प्रशासन को संकेत दिया कि, इतने कम वेतन हम अपने परिवार को पालने में सक्षम नहीं है, इतने वेतन में परिवार को पालना, बच्चों को पढ़ाना, घर पर बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य हेतु राशन ओर सभी जरुरते, ये सब होना संभव नहीं है।
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर प्रदेश भर में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। मंदसौर में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपने बच्चों के साथ मैदान में डटी हुई हैं और उनका कहना है कि, सरकार हमारे साथ जो दोहरा व्यवहार कर रही है ये कदाचित उचित नहीं है, हमारे साथी आज की महंगाई की मार में 8 हजार मासिक वेतन पर भी कार्य कर रहे है। जिसमे परिवार का भरण पोषण होना संभव नहीं है। अगर सरकार हमारे साथ वेतन देने में दोहरा व्यवहार कर रही है तो परिवार के लिए आवश्यक हर सामग्री में भी दोहरा व्यवहार करके आधी दरों पर मुहैया कराए, जिससे हम लोग, कम वेतन पर अपना परिवार पाल सके। अब लड़ाई लंबी और आर-पार की लड़ी जाएगी।
गौरतलब है कि, वर्ष 2018 की कैबिनेट की स्वास्थ्य नीति और नियमितिकरण की मांग को लेकर प्रदेश भर में स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर हैं। लगभग आधा दर्जन अलग-अलग संवर्ग के आंदोलनकारियों का कहना है कि, सरकार को हमें अब नियमित कर देना चाहिए। हमारे कुछ साथी लगभग 20 साल से विभाग में नौकरी कर रहे हैं और विपरीत परिस्थितियों में भी रात दिन एक करके हुए कार्य किया।
आंदोलनकारियों ने बताया कि, जब भी प्रदेश में किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी आपदा आई है, भले ही वह कोरोना वायरस से पहले दूसरी तमाम महामारी हो। हम सरकार के साथ हरदम हर कदम पर खड़े नजर आए। कई कर्मचारी ऐसे हैं जो पिछले 10 से लेकर 20 सालों से अनियमित कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं और उन्हें नियमित कर्मचारियों की तरह न तो सुविधा मिल रही है और ना ही संसाधन मुहैया हो पा रहे हैं।