OMG ! विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024- बीड़ी तो सच में सुलगा रही जिगर, हर साल 5 लाख से ज्यादा मौते, अकेले MP में मर जाते है 33 हजार लोग, देश के इन राज्यों में आकंड़े सबसे आगे, हैरान कर देगी ये रिपोर्ट...! पढ़े खबर
विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024
डेस्क। बीड़ी जलई ले जिगर से पिया, जिगर मा बड़ी आग है, साल 2006 में रिलीज हुई फिल्म का ये गीत सुनने में तो काफी अच्छा लगता है, लेकिन यही बीड़ी लोगों के जिगर को सही में सुलगा रही है। स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ जोधपुर और टोबेको रिसर्च एंड इवोल्यूशन ई-ह्रश्वलेटफॉर्म की रिपोर्ट में 6 महीने के मेटा एनालिसिस के बाद पता चला है कि, भारत में बीड़ी पीने से हर साल औसतन 5.55 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
वहीं मध्य प्रदेश में ये आंकड़ा 32 हजार 947 के आसपास रहता है। बात करें देश के सभी राज्यों की, तो इनमें बीड़ी पीने से सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में हो रही हैं। यहां सालाना औसतन 1 लाख 03 हजार 529 हो रहीं हैं। देश के 10 राज्यों में मध्य प्रदेश का इसमें 8 वां स्थान पर है। मरने वाले मुंह के कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, दिल की बीमारी, टीबी, अस्थमा से ग्रसित रहते हैं। यह रिपोर्ट देश के 28 प्रदेशों में हुई मौत के आंकड़े, ग्लोबल हेल्थ टोबेको सर्वे की रिपोर्ट और अन्य रिपोर्ट का मेटा एनालिसिस है। ये रिपोर्ट, तमाम सुझावों के साथ राज्य सरकारों को सौंपी जा चुकी है।
रिसर्च के बाद दिए से सुझाव-
- बीड़ी उत्पादन, वितरण और बिक्री के सख्त नियम नियम हों, ताकि मांग-आपूर्ति कम हो।
- टैक्स बढ़ाया जाए, तंबाकू समाह्रिश्वत पर जोर दिया जाए, बीड़ी पैकेट पर सख्त चेतावनी लिखी हो।
- राष्ट्रीय कार्यक्रमों के जरिए जनजा गरूकता लाई जाए।
- इस उद्योग में कार्यरत श्रमिकों को व्यवसाय के विकल्प मिलें, व्यवसायिक पुनर्वास हो।
इन 10 राज्यों में हुई सबसे अधिक मौतें-
- उत्तरप्रदेश 1 लाख 03 हजार 529
- महाराष्ट्र 53 हजार 085
- तमिलनाडु 40 हजार 718
- राजस्थान 35 हजार 448
- कर्नाटक 34 हजार 662
- गुजरात 34 हजार 455
- बिहार 33 हजार 867
- मध्य प्रदेश 32 हजार 947
- पश्चिम बंगाल 32 हजार 833
- आंध्रप्रदेश 24 हजार 041
चौंकाने वाले नतीजे सामने आए-
स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, एस जोधपुर के प्रोजेक्ट मैनेजर और रिसर्चर ने बताया कि, बीड़ी पर 28 प्रदेशों के डेटा का 6 महीने तक मेटा एनालिसिस किया गया है। इसके बाद चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। ऐसा लगता है कि बीड़ी कम नुकसान करती है, लेकिन आंकड़ों के हिसाब से देशभर में सालाना इससे 5.55 लाख लोगों की मौत हो रही है।