BIG NEWS: व्यवस्थापन की दरें कम-खामियां हो दूर, सालों पहले कलेक्टर ने भेजा था प्रस्ताव, विधायक ने नहीं दिया ध्यान, बंगला-बगीचा व्यवस्थापन पर कांग्रेस नेता तरूण बाहेती का बड़ा खुलासा, पढ़े खबर
व्यवस्थापन की दरें कम-खामियां हो दूर, सालों पहले कलेक्टर ने भेजा था प्रस्ताव, विधायक ने नहीं दिया ध्यान, बंगला-बगीचा व्यवस्थापन पर कांग्रेस नेता तरूण बाहेती का बड़ा खुलासा, पढ़े खबर
नीमच। करीब ढाई साल पहले प्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय अक्टूबर 2019 में बंगला-बगीचा व्यवस्थापन की खामियों को दूर करने के लिए कांग्रेस नेताओं की मांग पर तत्कालीन कलेक्टर अजय गंगवार ने बंगला-बगीचा समस्या के सटिक समाधान के लिए शासन को महत्वपूर्ण प्रस्ताव भेजा था, लेकिन विडंबना है प्रस्ताव भेजने के बाद ही कांग्रेस सरकार चली गई।
बाद में बनी भाजपा सरकार में इस जनहित के इस प्रस्ताव को भोपाल में फाइलों में दबा दिया गया, और नीमच विधायक दिलीपसिंह परिहार इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। वर्तमान में हालात यह है कि, बंगला-बगीचा व्यवस्थापन की खामियां दूर नहीं होने से रहवासीचाह कर भी व्यवस्थापन नहीं करा पा रहे हैं। नगरपालिका के बेदखली के फरमान से लोगों के सिर पर तलवार लटकी है।
यह खुलासा कांग्रेस नेता तरूण बाहेती ने मय दस्तावेज किया। उन्होंने कहा कि, 2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान स्थानीय नेताओं ने बंगला-बगीचा व्यवस्थापन की खामियों को दूर करने की मांग को लेकर प्रदेश सरकार को अवगत कराया था। जिस पर कमलनाथ सरकार के निर्देश पर तत्कालीन कलेक्टर अजयसिंह गंगवार ने बंगला-बगीचा व्यवस्थापन में व्यवस्थापन की दरों को कम करने तथा अन्य संशोधन और खामियों को दूर करने का प्रस्ताव मप्र शासन को भेजा था। यह प्रस्ताव आज भी यथावत है।
बाहेती ने बताया कि, प्रस्ताव में बंगला-बगीचा व्यवस्थापन के लिए पूर्व में निर्धारित प्रीमियम को काफी कम करने की मांग की गई थी। साथ ही आवासीय एवं व्यावसायिक दरों को एक समान रखने की मांग की गई, जिससे हर बंगला-बगीचा में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को राहत मिले। प्रस्ताव में यह भी सुझाव दिया गया था कि, बंगला-बगीचा में निवासरत कई रहवासियों के पास अपंजीकृत विक्रय-पत्र या अनुबंध है। इसके अलावा हिब्बानामा, वसीयत और पारिवारिक बटवारा लेख है।
साथ ही संपत्ती को विभाजीत भी किया जा चुका है, जिन्हें वर्तमान के बंगला-बगीचा व्यवस्थापन मसौदे में विधि मान्य दस्तावेज नहीं माना गया है, जिसके कारण इस तरह के दस्तावजे बंगला-बगीचा के जिन रहवासियों के पास है, उनका व्यवस्थापन नहीं किया जा रहा है। जनहित में ऐसे दस्तावेजों को मान्य किया जाएगा। ताकि व्यवस्थापन की कार्रवाई को गति मिले।
प्रस्ताव में एक मांग यह भी की गई थी कि बंगला-बगीचा क्षेत्र में भूमि रिक्त हो या उस पर भवन निर्मित हो, उसके कानूनन अंतिम कब्जाधारी से प्रीमियम लेकर पट्टा दिया जाए और विकास शुल्क, भवन निर्माण शुल्क लेकर 30 वर्ष की लीज तय की जाए। लीज नवीनीकरण के दौरान नपा अधिनियम को माना जाए और लीज नवीनीकरण किया जाए। प्रस्ताव में पांच हजार वर्गफ़ीट से अधिक जमीन को भी बंगला मालिकों को ही देने की बात कही गई थी।
कांग्रेस की मांग पर यह संशोधन करने भेजा था प्रस्ताव-
कांग्रेस नेता तरूण बाहेती ने बताया कि, कांग्रेस की मांग पर तत्कालीन कलेक्टर ने जो शासन को प्रस्ताव भेजा था, उसमें बंगला-बगीचा व्यवस्थापन मसौदे में यह संसोधन करने का सुझाव दिया था, जो निम्न अनुसार है।
वर्तमान में यह है व्यवस्थापन का स्लैब-
आवासीय क्षेत्र में-
1 से 600 वर्गफुट तक प्रीमियम 1 प्रतिशत, 601 से 1500 तक प्रीमियम 2 प्रतिशत, 1501 से 3000 वर्गफुट तक प्रीमियम 8 प्रतिशत, 3001 से 5000 वर्गफुट तक प्रीमियम 10 प्रतिशत
व्यावसायिक क्षेत्र में-
1 से 600 वर्गफुट तक प्रीमियम 2 प्रतिशत, 601 से 3000 वर्गफुट तक प्रीमियम 8 प्रतिशत, 3001 से 5000 वर्गफुट तक प्रीमियम 10 प्रतिशत
कांग्रेस की मांग पर कलेक्टर ने शासन को ये भेजा था प्रस्ताव-
स्लैब दर आवासीय और व्यावसायिक में समान हो। 1000 वर्गफुट तक प्रीमियम 0.5 प्रतिशत की जाए। 1001 से 3000 वर्गफुट तक प्रीमियत 1 प्रतिशत की जाए। 3001 से 5000 वर्गफुट तक प्रीमियत 3 प्रतिशत की जाए। 5000 वर्गफुट से अधिक में प्रीमियम दर 5 प्रतिशत की जाए।
विधायक नहीं दिला पाए राहत, अब जन आंदोलन की जरूरत-
नेता बाहेती ने बताया कि, कांग्रेस नेताओं की मांग पर कलेक्टर ने बंगला-बगीचा व्यवस्थापन मसौदे की खामियों को दूर करने और व्यवस्थापन के स्लैब की दरों को कम करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया था, विडंबना यह रही कि शासन को प्रस्ताव भेजने के बाद कांग्रेस की सरकार चली गई, लेकिन समस्या यह है कि हमारे विधायक बंगला-बगीचा रहवासियों को राहत देने के मामले में भी दलगत राजनीति से उभर नहीं पाए और उन्होंने कांग्रेस की मांग पर शासन को भेजे गए प्रस्ताव पर गंभीरता नहीं दिखाई।
नीमच विधायक आये दिन भोपाल में मुख्यमंत्री से मिलने के फोटो जारी करते है किंतु वे बंगला बगीचा समस्या के समाधान की बात क्यों नही करते । विधायक या अन्य जनप्रतिनिधियों से इस मामले में गंभीरता दिखाई होती समस्या समाधान में देरी नही लगती।
नगरपालिका के फरमान 30 मई तक व्यवस्थापन के आवेदन नही आये तो बेदखली करेंगे इसका पुरजोर विरोध कर कहा कि नीमच विधायक खुद ऐसा फरमान जारी करवा रहे है अगर वे अपनी जिम्मेदारी निभाते तो नगरपालिका को यह फरमान नहीं जारी करना पड़ता कि 30 मई तक बंगला-बगीचा व्यवस्थापन के लिए जो लोग आवेदन नहीं करते हैं, 30 मई बाद आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा और नगरपालिका संबंधित लोगों के खिलाफ बेदखली अधिनियम के तहत कार्रवाई करेगी।
बाहेती ने कहा कि बंगला बगीचा समस्या समाधान पर पुनः भाजपा नेताओं द्वारा आने वाले चुनाव में जूठे वादे किए जाएंगे जबकि अगर यह चाहते तो समस्या का समाधान कभी का हो जाता। बाहेती ने कहा कि बंगला बगीचा समाधान के लिए नीमच में एक जन आंदोलन की आवश्यकता है। बंगला बगीचा रहवासी आगे आकर आंदोलन की रूपरेखा तय करें। कांग्रेस तन मन धन के साथ बंगला बगीचा वासियों के साथ खड़ी है।