BIG NEWS : GBH अमेरिकन हॉस्पिटल ने नामुमकिन को कर दिखाया मुमकिन, तीन साल के मासूम का दर्द बदला राहत में, डॉक्टर हिमांशु जोशी के साथ टीम ने किया सफल ऑपरेशन, पढ़े रोशन की कहानी, उसी के पिता की जुबानी

GBH अमेरिकन हॉस्पिटल ने नामुमकिन को कर दिखाया मुमकिन

BIG NEWS : GBH अमेरिकन हॉस्पिटल ने नामुमकिन को कर दिखाया मुमकिन, तीन साल के मासूम का दर्द बदला राहत में, डॉक्टर हिमांशु जोशी के साथ टीम ने किया सफल ऑपरेशन, पढ़े रोशन की कहानी, उसी के पिता की जुबानी

राजस्थान। जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने एक बार फिर नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है, यहां मरीज के रूप में पहुंचे एक बच्चे का वजन 12 किलो था। जांच में सामने आया कि, गले की गांठ दिल से दिमाग तक जाने वाली मुख्य धमनी पर दबाव बना रही है, जिसके चलते बच्चे को बोलने, खाने-पीने और सांस लेने में परेशानी हो रही थी। हॉस्पिटल के डॉ. हिमांशु ने स्थिति को समझते हुए दवाइयां दी, और ऑपरेशन सम्बन्धित जानकारी, जांच व तैयारी साथ की। जिसके बाद डॉक्टर्स की टीम बच्चे के परिजनों के विश्वास और भरोसे पर खरी उत्तरी। 

क्या बोले बच्चे के पिता- 

बच्चे के पिता धर्मचंद जटिया ने बताया कि, वें चित्तौड़ के केसरपुरा का रहने वाले है, और खेती करके घर गुजारा करते है। छोटा सा परिवार जिसमें पत्नी सीमा, बेटी हेमलता और बेटा रोशन है। बात छह महीने पहले शुरू हुई। मेरे तीन साल के बेटे रोशन के गले में गठान हुई। धीरे-धीरे बेटे की बोली धीमी हो गई। खाना निगलने में भी परेशानी होने लगी। कहीं कैंसर तो नहीं...? सवाल बार-बार सता रहा था। मासूम की पीड़ा देखी नहीं जा रही। हमारे गले से भी निवाला नहीं उतर रहा था। जिसके बाद बेटे रोशन को चित्तौड़ के हॉस्पिटल में दिखाया, तो उदयपुर रेफर कर दिया। सभी ने ऑपरेशन की सलाह दी, पर गले की गांठ पर कोई स्पष्ट राय नहीं मिली। सही इलाज न मिलने से चिंता बढ़ती जा रही थी, और बच्चा निवाला भी नहीं निगल पा रहा था। गांठ कैंसर है या नहीं, यह भी तय नहीं था।

जिसके बाद पिता धर्मचंद जटिया अपने बेटे रोशन को जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल में ईएनटी सर्जन डॉ. हिमांशु जोशी को दिखाने पहुंचे। बच्चे का वजन 12 किलो था। जांच में सामने आया कि, गले की गांठ दिल से दिमाग तक जाने वाली मुख्य धमनी पर दबाव बना रही थी, जिससे रक्त प्रवाह प्रभावित हो रहा था। इस वजह से बच्चे को बोलने, खाने-पीने और सांस लेने में परेशानी थी। गांठ थायरॉयड ग्रंथि से चिपकी होने के कारण बच्चे के विकास पर भी असर की आशंका थी। डॉ. हिमांशु ने स्थिति को समझते हुए दवाइयां दीं। बच्चे को दो बार दिखाया। ऑपरेशन सम्बन्धित जानकारी, जांच व तैयारी भी साथ की गई। परिजनों को चिंता होने पर डॉक्टर ने भरोसा दिलाया कि बच्चा पूरी तरह ठीक हो जाएगा।

घंटों की मेहनत हुई सफल- 

22 जुलाई 2025 को रोशन का ऑपरेशन हुआ। डॉ. हिमांशु जोशी एवं टीम ने गंभीर परिणामों की संभावना बताई थी और खून की व्यवस्था भी कराई गई थी। सब बाहर चिंतित बैठे थे, जबकि रोशन ऑपरेशन थिएटर के अंदर था। करीब दो घंटे बाद डॉ. हिमांशु बाहर आए और कहा कि दस-पन्द्रह मिनट में रोशन को बाहर लाया जाएगा, ऑपरेशन सफल रहा है। हालांकि बेड और खून की व्यवस्था की गई थी, लेकिन न तो आईसीयू की जरूरत पड़ी और न ही खून की। दिल से दिमाग को जोड़ने वाली धमनी का जो बड़ा खतरा था, वह भी सुरक्षित रहा। शाम तक रोशन ने खाना मांगा। उस पल हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आज वह पहले की तरह आंगन में खेल रहा है, उसकी शरारतें लौट आई हैं।

काफी कम होती है इस तरह की गठान- 

बच्चे के गले पर हुई गांठ कई हिस्सों को प्रभावित कर रही थी। इस तरह की गांठ काफी कम होती है, जो इपीड्रीमल इक्लुजन सिस्ट जैसी थी, लेकिन यह थायरोग्लोसल सिस्ट जहां आमतौर पर होती है वहां पर मौजूद था। रोशन के यह केरोटेड आर्टरी (दिल से दिमाग तक वाली मुख्य धमनी) से चिपका हुआ था। यदि केरोटेड आर्टरी क्षतिग्रस्त होती है तो बच्चे की जान का खतरा था। पहले दवा देकर इंफेक्शन दूर किया गया, उसके बाद जटिल ऑपरेशन किया। हॉस्पिटल की तरफ से पूरी तैयारी थी, आईसीयू में बेड रिजर्व था। खून का बंदोबस्त कर रखा था, लेकिन कोई जरूरत नहीं हुई। ऑपरेशन के बाद बच्चे को वार्ड में शिफ्ट किया। फोलोअप में टांके भी सुख चुके थे। बच्चा अच्छे से बोलने लगा है और खाना भी आराम से खा रहा है।