NEWS : शहर में 251 दिन बिना जांच के पेयजल वितरीत, 8 माह में महज दो बार हुई जांच, मटमैला पानी वितरण, विशेष RTI में बड़ा खुलासा, ये मामला नागदा नगर का, पढ़े खबर
शहर में 251 दिन बिना जांच के पेयजल वितरीत

रिपोर्ट- बबलू यादव
नागदा। शहर मेें गत दिनों मटमैला पानी सप्लाय किए जाने को लेकर मचे बवाल के बाद बड़ा तथ्य सामने आया कि फिल्टर प्लांट नागदा की लेबोरेटरी बंद होने से शहर में पेयजल को जांच के बिना सप्लाय किया गया। वर्ष 2025 में लगभग साढे आठ माह गुजर गए लेकिन इस समय अवधि में महज दो दिन यहां के पेयजल की प्रयोग शाला उज्जैन में जांच हुई। जांच रिपोर्ट तो बाद में आई लेकिन शहर में जलापूर्ति होती रही। एक जनवरी 2025 से 10 सितंबर तक के कुल 253 दिनों में से जनता ने 251 दिन बिना परीक्षण के पानी का सेवन किया। पानी के दो बार सैंपल 6 फरवरी और 4 जून 2025 को जांच के लिऐ भेजे गए। तीसरा सैपल 9 सितंबर को भेजा लेेकिन नपा के जिम्मेदारों ने कथित लापरवाही से जांच का खर्च संबधित प्रयोग शाला में जमा नहीं किया। नतीजा यह हुआ कि पानी का टेंस्ट ही अधर में लटक गया। इधर, शहर में उसके बाद भी लगातार पेयजल जल वितरीत हुआ।
उक्त सभी बातों का खुलासा सूचना अधिकार की एक विशेष धारा के तहत 48 धंटे की समय सीमा में नपा द्धारा उपलब्ध कराए प्रमाणिक दस्तावेजों में हुआ। आरटीआई एक्टिविस्ट कैलाश सनोलिया ने इस प्रकार का सूचना अधिकार आवेदन नपा में फाईल किया था। आमतौर पर आरटीआई में 30 दिनों में सूचना उपलब्ध कराने का प्रावधान है लेकिन जनता से जुड़े मौलिक अधिकार पेयजल के इस मामले में महज 2 दिन में जानकारियंा सामने आयी है। शहर में लगभग एक सप्ताह तक लगातार मटमैला पानी वितरीत हुआ। इस बात को लेकर आरटीआई प्रस्तुत की गई थी।
आरटीआई में यह मांगी जानकारी-
फिल्टर प्लांट स्थित स्थानीय प्रयोगशाल बंदं होने से आरटीआई में 1 जनवरी 2025 से आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि 10सितंबर तक की समय अवधि में पानी की जांच जो उज्जैन प्रयोगशाला में हुई उन रिपोर्ट की प्रमाणित प्रतिलिपि चाही गई। जांच खर्च, पानी के सैम्पल को ले जाने के लिए यातायात खर्च, नमूना ले जाने वाले संदेशवाहक का नाम, उनका पद की जानकारियां भी मांगी थी।
निरंतर प्रमाणिक तथ्य उजागर-
(1) प्रमाणित दस्तावेजों के मुताबिक वर्ष 2025 में पानी के दो नमूने एक साथ पहली बार 6फरवरी 2025 को मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय उज्जैन को मुख्य सीएमओं के हस्ताक्षर से जारी पत्र से प्र्र्रेषित किए गए। एक नमूना चंबल नदी के रॉ वाटर का तथा दूसरा रेसीडियल क्लोराईड का था।दोनों सैंपल की जांच के लिए प्रदूषण बोर्ड ने 4100 रूपए का डिमांड पत्र 10 दिन बाद 17 फरवरी को सीएमओं नागदा के नाम जारी किया। नपा ने दोनों सैंपल के खर्च का भुगतान आरटीजीएस ने बोर्ड को 25 जून को किया। इसके पहले ही 17 फरवरी को बोर्ड दोनों पानी के नमूनों की रिपोर्ट जारी कर हुई। यहां बडा सवाल हैकि जांच रिपोर्ट में पानी क गुणवत्ता को परखने के बाद ही जनमानस में पेयजल सप्लाय किया जाना चाहिए। नमूने भेजने के 11 दिनों तक बिना जांच के ही पानी शहर में सप्लाय होता रहा।
(2) दूसरी बार दो नमूने 4 जून 2025 को उज्जैन भेजे गए। एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का तथा दूसरा चंबल नदी के रॉ वाटर का था। 12 जून को रिपोर्ट सामने आई। इन सैपल की रिपोर्ट तो बाद में 8 दिनों बाद आई इधर, शहर में पानी वितरीत होता रहा।
मटमैला पानी काल की रिपोर्ट अधर में-
शहर में जब मटमैला पानी वितरीत हों रहा था तब 7 सितंबर को मीडिया- सोशल मीडियां में खबरें सामने आई। नपा जलकार्य समिति सभापति प्रकाश जैन 7 सितंबर को लाईव हुए और फिल्टर प्लांट प्रयोगशाला बंद होने तथा उज्जैन में पानी की जांच कराने की बात कही। शहर में मचे इस शोरगुल के बाद ही 9 सितंबर को पानी का टेस्ट कराने नमूने मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय उज्जैन भेजे गए। बोर्ड ने टेस्ट राशि 4100 जमा कराने के लिए सीएमओं के नाम पत्र भी जारी किया। दस्तावेजों में बात स्पष्ट लिखी हैकि 15 जून तक इन नमूनों की जांच का ना तो नपा ने पैसा जमा किया ना कोई रिपार्ट इन नमूनों की आई।
अपने ही सिस्टम पर विश्वास नहीं-
एक्टिविस्ट सनोलिया नें नपा कार्यालय की कुछ तस्वीर संकलित की है जिसमें यह प्रमाणित है कि शहर के लोग दूषित पानी पीने को विवश और इधर नपा के जनप्रतिनिधि और अधिकारी मिनरल वाटर का सेवन कर रहें है। उपाघ्यक्ष सुभाष शमार्,लोकनिर्माण संभापति भावना रावल के कार्यालय में मिनरल वाटर की कैन दिखाई दी। नपा अध्यक्ष, सीएमओ के कार्यालय बंद होने से प्रमाण नहीं जुटा पाए। जलकार्य सभापति श्री जैन का कार्यालय उस दिन बंद होने से तस्वीर तो नहीं मिली लेकिन उनके आफिसं में कैन दिखाई दी। मतलब जिम्मेदार को अपनी ही व्यवस्था पर विश्वास नहीं और जनता के धन से मिनरल पी रहे हैं।