BIG NEWS : मोरवन में कपड़ा फैक्ट्री के निर्माण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, कलेक्टर तक भी पहुंची जानकारी, किसान नेता पूरण अहीर ने की प्रेसवार्ता, बोले- मनमानी पर लगा विराम, चरागाह भूमि और शांतिपूर्ण आंदोलन सहित इन मुद्दों को किया सार्वजानिक, पढ़े खबर

मोरवन में कपड़ा फैक्ट्री के निर्माण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

BIG NEWS : मोरवन में कपड़ा फैक्ट्री के निर्माण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, कलेक्टर तक भी पहुंची जानकारी, किसान नेता पूरण अहीर ने की प्रेसवार्ता, बोले- मनमानी पर लगा विराम, चरागाह भूमि और शांतिपूर्ण आंदोलन सहित इन मुद्दों को किया सार्वजानिक, पढ़े खबर

रिपोर्ट- अभिषेक शर्मा / पवनराव शिन्दे

नीमच। जिले की जावद विधानसभा के ग्राम मोरवन में निर्माणधीन कपड़ा फैक्ट्री से जुड़ा एक बड़ा अपडेट सामने आया है। माननीय हाईकोर्ट ने इसी कपड़ा फैक्ट्री के निर्माण पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद फैक्ट्री का निर्माण यथावत रहेगा। फैक्ट्री निर्माण और हाईकोर्ट के आदेश को लेकर किसान नेता पूरण अहीर ने सोमवार शाम फिर से एक प्रेसवार्ता की, और हाईकोर्ट के आदेश सहित अन्य जानकारियां विस्तार से मीडिया से सामने साझा की। प्रेसवार्ता में किसान नेता पूरण अहीर ने मोरवन एवं आसपास के क्षेत्र में चरागाह भूमि, किसानों के अधिकार और ग्रामीणों के शांतिपूर्ण आंदोलन को लेकर बीते समय में जो घटनाएं सामने आई हैं, वे अत्यंत चिंता का विषय है। क्षेत्रीय जनता, किसान संगठनों और सामाजिक प्रतिनिधियों की ओर से कुछ महत्वपूर्ण मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक किए। 

चरागाह भूमि पर कब्ज़े की कोशिश पर हाईकोर्ट की रोक- 

कपड़ा मिल की बाउंड्री एवं उस पारंपरिक चरागाह भूमि जहां वर्षों से गौमाता चरती आई हैं, उस पर कब्ज़े के प्रयास लंबे समय से तेज़ी से चल रहे थे। ग्रामीणों के विरोध और संघर्ष के बाद, माननीय हाई कोर्ट इंदौर ने सुविधा रियोन्स कपड़ा फैक्ट्री के निर्माण पर रोक (Stay) लगाकर इस मनमानी पर विराम लगाया है। यह निर्णय ग्रामीणों के अधिकारों और न्याय की जीत है। हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद पूरण अहीर ने जिला कलेक्टर हिमांशु चंद्रा से भी मुलाकात की, और हाईकोर्ट के आदेश के संबंध में जानकारी दी। 

किसानों-महिलाओं पर दर्ज झूठे प्रकरणों की जांच की मांग- 

प्रशासनिक अधिकारियों, विशेषकर एसडीएम जावद प्रीति सिंघवी (नाहर/जैन) द्वारा मोरवन एवं आसपास के किसानों और महिलाओं पर उन्हें डराने हेतु जो झूठे प्रकरण दर्ज किए गए, उनकी निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है। हैरानी की बात यह है कि जिन लोगों पर प्रकरण दर्ज किए गए, उनमें से कई ग्रामीण न केवल घटना स्थल पर नहीं थे, बल्कि उस दिन गांव में भी मौजूद नहीं थे। जिसे लेकर पूरण अहीर ने बताया कि, किसानों और महिलाओं पर दर्ज किए गए झूठे प्रकरण के संबंध में भी उनके द्वारा उच्च अधिकारीयों को शिकायत की गई है, झूठे प्रकरणों की जांच होने के बाद, झूठा प्रकरण दर्ज करने वाले अधिकारीयों पर भी कार्यवाही की मांग वे करेंगे।

शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन को बदनाम करने की साजिश- 

मोरवन क्षेत्र के किसानों और युवाओं द्वारा पूरी शांति से चलाए जा रहे धरना-प्रदर्शन को बदनाम करने के लिए, ओमप्रकाश सकलेचा के करीबी लोगों द्वारा षडयंत्रपूर्वक बाहरी महिलाओं और बच्चों से पत्थरबाजी करवाई गई, जिससे आंदोलन को हिंसक दिखाकर समाप्त कराया जा सके। इस पूरे मामले की भी निष्पक्ष जांच आवश्यक है। पूरण अहीर ने साफ और सीधे शब्दों में कहां कि, विधायक सखलेचा ने विधानसभा क्षेत्र में 500 उद्योग लगाने का दावा किया है, जो गलत है। 

ज्ञापन देने जा रहे ग्रामीणों को रोकना व जातिगत राजनीति- 

ग्रामीण व किसान जब शांतिपूर्वक ज्ञापन देने जा रहे थे, उन्हें जानबूझकर रोका गया, जिसके कारण लगभग दो घंटे तक हाईवे जाम हो गया। इसके बाद उन्हें सरकार विरोधी बताने की असफल कोशिश की गई, जिसमें जातिगत राजनीति की बू स्पष्ट रूप से दिखाई दी। इस पूरे घटनाक्रम के सूत्रधार जावद विधायक ओमप्रकाश सकलेचा (जैन), राजेश जैन (सुविधि रियोन्स मिल मालिक), एसडीएम जावद प्रीति सिंघवी नाहर (जैन) तथा जावद मंडल अध्यक्ष सचिन गोखरू (जैन) बताए जा रहे हैं। 

मीडिया, जनता और न्यायपालिका का सम्मान- 

क्षेत्र की जनता उन सभी मीडिया कर्मियों का धन्यवाद करती है। जिन्होंने निष्पक्षता के साथ सच्चाई का साथ दिया। साथ ही, उन किसानों और ग्रामीणों को भी सलाम, जिन्होंने शांति, एकता और साहस के साथ संघर्ष को आगे बढ़ाया। न्याय पालिका के निष्पक्ष फैसले से जनता संतुष्ट है, और आंदोलन क्रमबद्ध तरीके से आगे भी जारी रहेगा।

उद्योग के नाम पर छल, झूठ और चरागाह भूमि पर कब्ज़े की मंशा- 

2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीमच आए थे, तब स्थानीय नेतृत्व ने उनसे यह तक कहलवा दिया कि, जावद क्षेत्र में 500 उद्योग लगाए गए हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि, पिछले 22 वर्षों में जावद क्षेत्र में एक भी उद्योग स्थापित नहीं किया गया। इस तरह देश के सर्वोच्च नेतृत्व को भी गलत जानकारी देकर गुमराह किया गया। एक उद्योग के नाम पर चरागाह भूमि पर कब्ज़ा करने की नीयत से इस पूरी योजना को आगे बढ़ाया गया, और सत्य का विरोध करने वालों को "रोजगार-विरोधी" बताकर बदनाम किया गया जबकि सच यह है कि अपनी नाकामियों को छुपाने का यह प्रयास था। यदि वास्तव में क्षेत्र की जनता को रोजगार देना ही उद्देश्य है, तो फैक्ट्री को स्कूल एवं आबादी क्षेत्र से दूर उचित स्थान पर लगाया जाए, क्षेत्रवासी उसका स्वागत करेंगे।

हाई कोर्ट के आदेश से पूरी जनता खुश है और एक स्वर में कह रही है, आज सत्य की जीत हुई है।