BIG NEWS : निर्माण कार्यो को लेकर नहीं मिल रही अनुमति, नागदा नगर पालिका के चक्कर लगा रहें लोग, फिर धड़ल्ले से शुरू होता ये काम, और अधिकारी रहते मौन, क्या लापरवाही और मिलीभगत से यहां के हाल बेहाल, पढ़े खबर
निर्माण कार्यो को लेकर नहीं मिल रही अनुमति

रिपोर्ट- बबलू यादव
नागदा। नागदा नगर पालिका वैसे तो पूरे प्रदेश में चर्चित है, पर नागदा नगर पालिका की स्थिति किसी से छुपी नहीं नागदा में जो निर्माण हो रहे हैं, या तो परमिशन नहीं मिलने के कारण उन्हें नगर पालिका के चक्कर लगाना पड़ रहे हैं। फिर परमिशन नहीं होती है तो थक हार के आम आदमी फिर अपना निर्माण चालू कर देता है। इसका जिम्मेदार कौन जब किसी भी अधिकारी से बात होती है, तो वह चुप्पी साथ लेता है नागदा नगर पालिका से अनुमति लेकर कर रहे हैं, या अवैध निर्माण के बाद बिना परमिशन के मकान बनाने के बाद जो अधिक शुल्क लगता है फिर शुल्क की राशि कम कराने के लिए लोक अदालत का इंतजार। या फिर नगर पालिका के आम आदमी को चक्कर लगाना पढ़ते हैं। जब इसकी जानकारी इंजीनियरों (ऑनलाइन जो परमिशन करते हैं) चाहि तो अपना नाम बताने से कतराने लगे..?
बिना परमिशन के हो रहे निर्माण पर नगर पालिका की चुप्पी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें अधिकारियों की लापरवाही, नियमों के प्रति जागरूकता की कमी, और कुछ मामलों में कर्मचारियों की मिलीभगत शामिल है। यह स्थिति नागदा नगर पालिका को राजस्व का नुकसान पहुंचाती है और शहर के अनियोजित विकास का कारण बनती है, जिससे नालों का अतिक्रमण और सड़कों पर निर्माण सामग्री का फैलाव जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसे लेकर शासन स्तर पर चिंता जताई जाती है, और कई बार विशेष अभियान चलाने के निर्देश भी दिए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति अक्सर वही बनी रहती है।
नगर पालिका की चुप्पी के कारण:
लापरवाही और मिलीभगत: नगर पालिका के अधिकारी व कर्मचारी निर्माण की निगरानी करने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने में सुस्त हो सकते हैं, या फिर कुछ मामलों में अवैध निर्माण में उनकी मिलीभगत भी हो सकती है।
जागरूकता की कमी: कुछ मामलों में नागरिक स्वयं भी नगर पालिका से परमिशन लेने की आवश्यकता को नहीं समझते हैं, जिससे अवैध निर्माण बढ़ता है।
राजनैतिक दबाव: कभी-कभी, सख्त कार्रवाई के विरोध में राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण अधिकारी पूरी तरह से कार्रवाई करने से बचते हैं, जिससे अनियोजित बसावट होती है।
इसके परिणाम:
राजस्व का नुकसान: बिना अनुमति के निर्माण से नगर पालिका को परमिशन फीस और संपत्ति कर के रूप में लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान होता है।
शहरी विकास का अनियोजित स्वरूप: अवैध निर्माण शहर की योजना को बिगाड़ते हैं, नालों और सड़कों पर अतिक्रमण होता है, जिससे सार्वजनिक समस्याएं पैदा होती हैं।
सुरक्षा और अन्य समस्याएं: अनियोजित निर्माण से वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम न लगने और भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भी गैर-नियमों के अनुसार निर्माण होने से सुरक्षा का संकट उत्पन्न हो सकता है।
समाधान के उपाय:
सख्त निगरानी और कार्रवाई: नगर पालिका द्वारा नियमित निरीक्षण और अवैध निर्माणों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
जन जागरूकता अभियान: नागरिकों को भवन निर्माण के लिए परमिशन लेने के महत्व और उससे होने वाले फायदों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
प्रशासनिक सुधार: भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक सुधार आवश्यक हैं।