LOK SABHA ELECTION : इंदौर में भी सूरत जैसा खेला...! कांग्रेस प्रत्याशी ने मैदान छोड़ा, अक्षय कांति बम ने वापस लिया नामांकन, थामा भाजपा का दामन, पढ़े खबर
इंदौर में भी सूरत जैसा खेला...!
डेस्क। इंदौर में सूरत जैसा बड़ा खेल होने जा रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है, ऐसे में इंदौर में भाजपा के सामने कांग्रेस की चुनौती खत्म हो चुकी है। बाद में अक्षय कांति बम भाजपा कार्यालय पहुंचे। यहां उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में उनका स्वागत किया। अक्षय बम के नाम वापसी के बाद कांग्रेस कार्यालय में सन्नाटा पसरा है। इंदौर विधानसभा 4 से चुनाव लड़े कांग्रेस प्रत्याशी राजा मांधवानी ने भी अक्षय के साथ भाजपा का दामन थाम लिया।
मंत्री विजयवर्गीय ने एक्स पर पोस्ट किया कि, अक्षय कांति बम का भाजपा में स्वागत है। दोपहर 1.25 बजे तक तीन नामांकन ही वापस हुए, कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम, निर्दलीय लीलाधर और इंजीनियर सुनील अहिरवार ने नामांकन वापस लिए हैं।
बताया गया कि, कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम मंत्री कैलाश विजयवर्गीय व भाजपा विधायक रमेश मेंदोला के साथ निर्वाचन कार्यालय पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। इसके बाद वे कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला के साथ भाजपा कार्यालय पहुंचे। यहां बम ने भाजपा की सदस्यता ली।
क्या बोले अक्षय कांति...?
नामांकन वापस लिए जाने को लेकर अक्षय कांति बम का कहना है कि, नामांकन जमा करने के बाद से ही कांग्रेस की ओर से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं कर रहा था। हालांकि राजनीतिक गलियारों में यह भी प्रयास लगाए जा रहे हैं कि फॉर्म भरने के बाद से ही कांग्रेस अक्षय क्रांति पर विरोधी पार्टी दबाव बना रही थी।
मोती सिंह का भी नामांकन हो चुका निरस्त-
बता दे कि, कांग्रेस के डमी उम्मीद मोती सिंह का पहले ही नामांकन निरस्त हो चुका है, कांग्रेस को पहले ही अंदेशा था, इसलिए मोती सिंह का नामांकन डमी के रूप में जमा कराया था। लेकिन अक्षय बम के नामांकन स्वीकृत होने से मोती सिंह का नामांकन निरस्त हो गया। कांग्रेस को फॉर्म निरस्त का अंदेशा था, लेकिन बम नामांकन वापस ले लेंगे यह नहीं पता था। सूत्रों का कहना है कि, एक पुराने मामले में कोर्ट द्वारा धारा बढ़ाने के निर्णय के बाद से बम दबाव में थे, वहीं चुनाव बाद शिक्षण संस्थाओं पर कार्रवाई का दबाव भी था।
सूरत जैसा खेला-
गौरतलब कि, इससे पहले गुजरात के सूरत में भी यही घटनाक्रम हुआ था। उस समय कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापस ले लिया था, इसके साथ ही अन्य दलों की उम्मीदवार और निर्दलीय प्रत्याशी अपना पर्चा वापस ले चुके थे। जिसके बाद सूरत में भाजपा ने निर्विरोध चुनाव जीत लिया था।