NEWS: मनासा के इस स्कूल में मनाई चंद्रशेखर आजाद व बालगंगाधर तिलक की जन्म जयंती, डायरेक्टर ने बताया इतिहास, पढ़े मनीष जोलान्या की खबर

मनासा के इस स्कूल में मनाई चंद्रशेखर आजाद व बालगंगाधर तिलक की जन्म जयंती, डायरेक्टर ने बताया इतिहास, पढ़े मनीष जोलान्या की खबर

NEWS: मनासा के इस स्कूल में मनाई चंद्रशेखर आजाद व बालगंगाधर तिलक की जन्म जयंती, डायरेक्टर ने बताया इतिहास, पढ़े मनीष जोलान्या की खबर

मनासा। शनिवार को डिलाईट पब्लिक स्कूल मनासा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद और लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की जन्मजयंती मनाई गई इस अवसर पर संस्था के डायरेक्ट प्रेम कुशवाह ने बताया की चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भावरा गांव में हुआ था। वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। 

उनका असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था। चंद्रशेखर आज़ाद की मां ने उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाने का सपना देखा और उन्हें बनारस के काशी विद्यापीठ भेज दिया।चंद्रशेखर आज़ाद काशी में राष्ट्रवाद से परिचित हुए और महात्मा गांधी के नेतृत्व में अहिंसक आंदोलनों में भाग लिया। मजिस्ट्रेट के सामने बड़ी बहादुरी से चंद्रशेखर ने अपना नाम 'आज़ाद' बताया, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें कोड़े मारे गए।

चंद्रशेखर आजाद जलियांवाला बाग हत्याकांड से काफी दुखी हुए और शांतिपूर्ण क्रांति को छोड़कर एक स्वतंत्रता सेनानी में बदल गया। उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) समूह में प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों से मुलाकात की और आंदोलन शुरू किए।

उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के लिए अधिक धन और हथियार इकट्ठा करने के लिए काकोरी षडयंत्र की योजना बनाई।काकोरी कांड के बाद आजाद की पूरी टीम को आतंकवादी घोषित कर दिया गया और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया। जब लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई, तो उन्होंने जेम्स स्कॉट की हत्या की योजना बनाई लेकिन गलती से सॉन्डर्स को मार डाला। इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में फंस गए। उन्होंने अपनी आखिरी गोली से खुद को मार डाला और देशभक्ति और बलिदान का प्रतीक बन गए। 

साथ ही बालगंगाधर तिलक के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया की बाल गंगाधर तिलक का जन्म एक सुसंस्कृत मध्यम वर्ग के ब्राह्मण परिवार में 23 जुलाई 1856 में रत्नागिरी, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था।क्योंकि उनका जन्म महाराष्ट्र राज्य के तटीय क्षेत्र में हुआ था उन्होंने अपने जीवन के पहले 10 साल वहां रहे थे। बाल गंगाधर तिलक जी के पिता एक शिक्षक और विख्यात व्याकरणकर्ता थे जिन्हें बाद में पूना में नौकरी मिले जिसके कारण उनका परिवार वहां रहने लगे। 

लोकमान्य तिलक भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अमर तथा श्रेष्ठ बलिदानियों में गिने जाते हैं, जो अपनी उग्रवादी चेतना, विचारधारा, साहस, बुद्धि व अटूट देशभक्ति के लिए जाने जाते हैं । उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व एक ऐसे संघर्ष की कहानी है, जिसने भारत में एक नये युग का निर्माण किया। भारत वासियों को एकता और संघर्ष का ऐसा पाठ सिखाया कि वे स्वराज्य हेतु संगठित हो उठे। वे एक राजनेता ही नहीं, महान् विद्वान, दार्शनिक भी थे। स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है का नारा बुलन्द करने वाले तिलक स्वाधीनता के पुजारी थे।