BIG NEWS : अतिवृष्टि से फसलों को नुकसान, किसानों की परेशानी बढ़ी, कहां गायब है सांसद व तीनों विधायक, कांग्रेस जिलाध्यक्ष तरुण बाहेती ने उठाई मांग, बोले- बगैर सर्वे के तत्काल राहत दें सरकार, पढ़े खबर
अतिवृष्टि से फसलों को नुकसान

नीमच। जिले में सोयाबीन फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। पहले पीले मोजक और अब अतिवृष्टि से सीधे तौर पर सोयाबीन,उड़द की फसलों को शत प्रतिशत नुकसान हुआ है। ऐसे में शासन को फसलों के बगैर सर्वे के ही किसानों को तत्काल आर्थिक राहत के रूप में मुआवजा दिया जाना चाहिए। लगातार तीसरे वर्ष सोयाबीन की फसल अतिवृष्टि से खराब हुई है। किसानों की इतनी बड़ी परेशानी में जिले के विधायक और सांसद किसानों के बीच में क्यों नहीं है...?
जिला कांग्रेस अध्यक्ष तरूण बाहेती ने जिले में फसलों के नुकसानी पर कहा कि कहा कि सर्वविदित है की इस बार की फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी है और कितना विचारणीय और विडंबना भरा विषय है कि जो अन्नदाता किसान अपनी खून-पसीने की मेहनत से अनाज का उत्पादन करता है, वही अन्नदाता वर्तमान में बीमारी और अतिवृष्टि से फसलों को हुए नुकसान पर याचक बना हुआ है और ज्ञापन देकर शासन-प्रशासन से अतिवृष्टि ये खराब हो चुकी फसलों का सर्वे कर मुआवजा देने की गुहार लगा रहा है, पर हमारे क्षेत्र के निर्वाचित जनप्रतिनिधि सांसद और विधायकों को इस बात कोई सरोकार नहीं है। वें कहीं किसानों को बीच नजर नहीं आ रहे। बाहेती ने कहा की गत फसल नुक्सानी पर जिले के किसानों को फसल बीमा की राशि मिलने पर जिले के विधायक अपनी उपलब्धि बताकर किसानों पर एहसान जताते है और खुद की वाह वाही लेते हैं जबकि फसल बीमा के लिए तो किसान खुद प्रीमियम अदा करता है और फसल बीमा तो बीमा करने वाली कंपनी देती है इसमें शासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का क्या लेना देना है....?
बीमा कंपनी की नीतियाँ और हेल्पलाईन नंबर बने मजाक-
कांग्रेस जिलाध्यक्ष बाहेती ने कहा कि जिले में फसल बीमा करने वाली बीमा कंपनी के हेल्पलाईन नंबर मजाक बन कर रह गए हैं। अतिवृष्टि से फसल खराब होने की सूचना पर ही बीमा कंपनी को खेतों में जाकर फसलों की स्थिति का जायजा ले लेना था, लेकिन किसानों की सूचना शिकायत के बाद भी बीमा कंपनी को किसानों शिकायत से कोई लेना देना नहीं है। बीमा कंपनी का हेल्पलाईन पर कभी फोन नहीं लगता है और लगता भी है,तो सिर्फ शिकायत को सुन लिया जाता है और कार्रवाई कुछ नहीं होती है।
बाहेती ने कहा की पिछले दिनों बीमा कंपनी ने एक साथ तीन फसलों की नुक्सानी का बीमा एक साथ दिया गया वो भी ऊंट के मुँह में जीरे के समान था जिसकी वजह से किसानों का सरकार की फसल बीमा योजना से विश्वास उठ चुका है, जिसका बड़ा कारण यह है कि किसानों से जितनी प्रीमियम वसूली गई है, उतना बीमा भी किसानों को नहीं मिला है। इसके अलावा जिले के कई गांव ऐसे हैं, जहां किसानों को किसी प्रकार का बीमा नहीं मिला।
कांग्रेस सरकार की तर्ज पर बगैर सर्वे दे मुआवजा-
बाहेती ने कहा कि 2019 में भी अतिवृष्टि के दौरान नीमच जिले में फसलों को भारी क्षति पहुंची थी, तब तत्कालीन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने किसानों की पीड़ा को समझते हुए 100 प्रतिशत फसल नुकसानी मानी थी और किसानों को तत्काल राहत देते हुए मुआवजा वितरित किया था, उसी तरह के हालात वर्तमान 2025 में भी बने हुए हैं। लगतार बारिश और अतिवृष्टि के कारण खेत तालाब बन चुके हैं।
सोयाबीन सहित खरीफ की सभी फसले खराब होकर पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। किसान लगातार शासन प्रशासन से गुहार लगाकर फसल नुकसानी पर आर्थिक राहत के रूप में मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में प्रदेश की मोहन सरकार वर्ष 2019 की तर्ज पर अतिवृष्टि से फसलों में 100 प्रतिशत नुकसानी माने और बगैर सर्वे के ही किसानों को आर्थिक राहत के रूप में तत्काल मुआवजा दें, जिससे कि परेशान किसानों को आर्थिक मदद मिल सकें।
कब तक पत्र लिखने का झूठा खेल खेलेंगे जिले के विधायक-
कांग्रेस जिलाध्यक्ष बाहेती ने कहा फसलों के पूरी तरह ख़राब होने के बाद भी सत्ता पक्ष के किसी भी जनप्रतिनिधि ने अब तक किसानों की पीड़ा को नहीं समझा और न ही खेतों में जाकर फसलों के हालात देखे। बाहेती ने कहा की स्थानीय विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर फसलों की बर्बादी पर राहत की मांग कर अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली। बाहेती ने कहा कि जब विधायक ही मान चुके हैं कि फसलें खराब हो गई है तो वह क़िस बात का सर्वे की बात कर रहें हैं। यें सीधे शासन पर दबाव बनाकर मुआवजे की घोषणा क्यों नहीं करवाते। बाहेती ने कहा कि पिछले दो वर्षों से सोयाबीन की फसलें खराब हो गई थी उस समय भी विधायकों ने मुख्य्मंत्री को राहत राशि के लिए पत्र लिखा था लेकिन तब भी एक धेला भी किसानों को मुआवजे के रूप में नहीं मिल पाया था तो अभी के पत्र का क्या औचित्य है...?
जिला कांग्रेस अध्यक्ष तरुण बाहेती ने पूर्व में भी भाजपा सरकार किसानों को मुआवजे के नाम पर धोखा कर चुकी है। सन 2019-20 में फसलों की नुक्सानी पर कांग्रेस की कमलनाथ जी सरकार ने बिना सर्वे के 100% मुआवजा देने के आदेश प्रदान किए थे और प्रथम किस्त के रूप में 25 % मुआवजा दे दिया गया था लेकिन उस समय धोखे से बनी भाजपा सरकार ने बकाया 75 फ़ीसदी मुआवजे देने से मना कर दिया था जब वह तो किसानों का अधिकार था।