BIG NEWS: अफ्रीकी चीतों नया बसेरा बनेगा मंदसौर का गांधी सागर अभ्यारण, इतने नर व मादा चीते लाने की तैयारी, भोपाल से मिले संकेत, तो वन विभाग जुटा व्यवस्थाओं में, पढ़े खबर
अफ्रीकी चीतों नया बसेरा बनेगा मंदसौर का गांधी सागर अभ्यारण, इतने नर व मादा चीते लाने की तैयारी, भोपाल से मिले संकेत, तो वन विभाग जुटा व्यवस्थाओं में, पढ़े खबर
मंदसौर। श्योपुर जिले के कूनो अभयारण्य में नामीबीया व अफ्रीका से लाए चीते छोड़ने के बाद अब दूसरे चरण की तैयारी शुरू हो चुकी है। अफ्रीका से दूसरे चरण में लाए जाने वाले चीतों को अब मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य में बसाया जाएगा। इसके लिए वन विभाग ने तैयारी भी शुरू कर दी हैं। अभी चीतों के लिए बाड़े बनाए जा रहे हैं। इसके लिए सोलर पावर्ड इलेक्ट्रिक फेंसिंग की जाएगी। बताया जा रहा है कि, दक्षिण अफ्रीका से शुरुआत में गांधी सागर में तीन नर व पांच मादा चीते लाने की तैयारी की जा रही है। भोपाल से संकेत मिलने के बाद वन विभाग आवश्यक व्यवस्थाएं करने में जुट गया है।
अभी यहां बाड़े बनाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने टेंडर काल किए हैं। इन बाड़ों के चारों तरफ जो फेंसिंग लगाई जाएगी उसमें हल्काग करंट भी रहेगा ताकि दूसरे जंगली जानवर शुरूआत में चीतों को परेशान नहीं कर सके। यह सभी फेंसिंग सोलर उर्जा से चार्ज रहेगी, ताकि बिजली की लाइन भी नहीं बिछाना होगी। बाड़े बनने का कार्य जितनी जल्दीस होगा। चीते लाने का कार्य भी उतनी ही जल्दा होगा। दक्षिण अफ्रीका से दूसरे चरण में चीते जल्दी ही लाने की योजना पर भारत सरकार तेजी से कार्य कर रही हैं।
विशेषज्ञों का दल पहले ही बता चुके हैं चीतों के लिए अनुकूल-
गांधी सागर अभयारण्य में विभागीय अमले के साथ विशेषज्ञों की टीम भी आ चुकी है। देहरादून के भारतीय वन्य जीव संस्थान से आए विशेषज्ञ पहले ही गांधी सागर अभयारण्य में घास के मैदान को चीतों के लिए अनुकूल बता चुके हैं। अब यहां चीतों के भोजन के लिए नरसिंहगढ़ से चीतल लाने का कार्य डेढ़ साल पहले ही शुरू किया गया था। अभी तक नरसिंहगढ़ से लाकर 266 चीतल छोड़े गए थे। अब इनकी संख्या 400 से ज्यादा हो गई है।
38 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैला गांधीसागर अभयारण्य-
मंदसौर जिले के साथ ही राजस्थान के चित्तौड़ व कोटा जिले से भी लगा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एक वर्ष पूर्व यहां का निरीक्षण करने आए देहरादून के भारतीय वन्य जीव संस्थान के विशेषज्ञों ने इसे काफी पसंद किया था। उनका कहना था कि चंबल नदी से सटा होने के साथ घास वाले मैदानों में चीते के दौडने के लिए पर्याप्त स्थान है। प्राकृतिक संसाधनों पहाड़, घास के मैदान, ऊंचे पेड़, छोटी झाडियां, कंदराएं, गुफाएं सहित पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
अभयारण्य में सभी वन्य प्राणियों व पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण है। हालांकि प्रथम चरण में गांधी सागर के बजाय कूनो को प्राथमिकता मिली थी। अब दूसरे चरण में अफ्रीकन चीते बसाने की योजना के तहत गांधीसागर को चुना गया है। 368 वर्ग किमी में अरावली पर्वत शृंखलाओं के बीच में बसे गांधीसागर अभयारण्य में वह सभी कुछ है, जो वन्य प्राणियों के लिए चाहिए।
बाउंड्रीवाल बनाएंगे-
डीएफओ आदेश श्रीवास्तव ने बताया कि, दूसरे चरण में गांधी सागर अभयारण्य में तीन नर व पांच मादा चीता अफ्रीका से लाने की योजना है। इसके लिए तैयारी भी कर रहे हैं। चीतों के लिए बाड़े बनाने का कार्य भी शुरू करना हैं इसके लिए टेंडर काल किए हैं। सड़क दुर्घटनाओं से जंगली जानवरों को बचाने के लिए सड़क के दोनों तरफ बाउंड्रीवाल बनाने का भी काम शुरू कर रहे हैं।
अनुकूल है गांधीसागर अभयारण्य-
अभयारण्य में जंगली पेड़ों में खेर, बेर, पलाश सहित अन्य प्रजातियां हैं। सबसे महत्वपूर्ण जलाशय है। गांधीसागर अभयारण्य में तीन साल पहले आखिरी बार हुई गिनती में करीब 50 तेंदुए मिले थे। इसके अलावा लकड़बग्घे, लोमड़ी भी काफी तादाद में हैं। बाकी छुटपुट वन्य प्राणी भी हैं। पक्षी गणना में 225 तरह की प्रजातियां मिली थीं। इनमें तेजी से घट रहे गिद्धों की भी कई तरह की प्रजातियां शामिल हैं।
5 अप्रैल के बाद बनना शुरू होंगे बाड़े-
वन मंडलाधिकारी ने बताया कि गांधीसागर अभयारण्यम में चीता पूर्नस्थाीपना हेतु बाड़े बनाने के लिए प्रेडेटर प्रूफ सोलर पावर्ड इलेक्ट्रिक फेंसिंग कराने को लेकर टेंडर बुलाए गए हैं। इनकी आखिरी तारीख 5 अप्रैल हैं। इसके बाद बाड़े बनाने वाली फर्म का निर्धारण हो जाएगा और फिर कुछ दिनों में काम शुरू हो जाएगा।